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    बस्ती में करोड़ों खर्च होने के बाद भी प्रदूषित जल पीने को मजबूर ग्रामीण, वाटर हेड टैंक का नहीं हुआ निर्माण

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 03:18 PM (IST)

    बस्ती जिले में करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी ग्रामीणों को प्रदूषित जल पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। वाटर हेड टैंक का निर्माण नहीं होने से समस ...और पढ़ें

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    करोड़ों खर्च होने के बाद भी प्रदूषित जल से प्यास बुझाने को विवश ग्रामीण।

    जागरण संवाददाता, भानपुर (बस्ती)। हर परिवार को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए शासन द्वारा जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत की गई है। योजना के तहत लगभग तीन करोड़ की लागत से वाटर हेड टैंक का निर्माण कर पाइप लाइन के माध्यम से ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध कराया जाना था। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा ही शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना की हवा निकाली जा रही है। निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद भी अधिकतर स्थानों पर हर घर तक पानी पहुंचाना तो दूर कार्य तक पूरा नहीं हुआ है।

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    जागरण द्वारा सल्टौआ गोपालपुर विकास खंड के बस्थनवा व रामनगर विकास खंड के करैली तथा मोहम्मदनगर ग्राम पंचायतों में पेयजल आपूर्ति की असलियत जानने का प्रयास किया। अभी तक किसी भी ग्राम पंचायत में पेयजल आपूर्ति शुरू नहीं हुई है। इस समय काम भी नहीं चल रहा है।

    बस्थनवा में 300.0587 लाख की लागत से सात नवंबर 2022 को परियोजना का शुभारंभ हुआ था। इसे छह नवंबर 2023 को पूर्ण हो जाना था। निर्धारित अवधि से दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी वाटर हेड टैंक का निर्माण शुरू नहीं हुआ है।

    कार्यदाई संस्था मेधा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा केवल ट्यूबवेल ही गलवाया गया है। बाउंड्री खड़ी करने के बाद लगभग डेढ़ वर्ष से काम बंद कर दिया गया है। इस वाटर हेड टैंक का निर्माण डूब क्षेत्र में कराया जा रहा है। वर्षा ऋतु में परिसर चारों तरफ बाढ़ के पानी से घिर जाता है। परिसर में अभी तक मिट्टी भी नहीं डाला गया है।

    इस वाटर हेड टैंक से तीन राजस्व गांवों के 458 परिवारों को पेयजल उपलब्ध कराने हेतु 22996 मीटर पाइप लाइन बिछाकर 175 किलो लीटर क्षमता के टैंक का निर्माण कराया जाना है। रामनगर विकासखंड के ग्राम पंचायत मोहम्मद नगर के राजस्व गांव चिरईबांधा व ग्राम पंचायत करेली में 2022 में ही जल जीवन मिशन के तहत निर्माण कार्य शुरू हुआ था।

    इन स्थानों पर अभी तक पानी की टंकी का निर्माण नहीं हो सका है। केवल फाउंडेशन बनाकर छोड़ दिया गया है। पिछले कई महीनों से काम भी बंद पड़ा हुआ है। गांव में पाइप लाइन भी आधा अधूरा ही डाला गया है। दोनों परियोजनाओं से लगभग 1500 परिवारों को लाभान्वित किया जाना है।

    तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी वाटर हेड टैंक का निर्माण पूर्ण नहीं हुआ है। लगभग छह माह से निर्माण कार्य भी ठप है। पाइप लाइन डालने का काम भी पूरा नहीं हुआ है। -राम पुजारी, ग्राम प्रधान मोहम्मद नगर।

    यह योजना केवल कागजों में चल रही है। वाटर हेड टैंक के नाम पर करोड़ों की बर्बादी की जा रही है। निर्धारित अवधि बीत जाने के तीन तीन वर्ष बाद भी आपूर्ति शुरू नहीं हो सका है। लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है। -वीरेंद्र यादव, करैली।

    शासन ने योजना तो ठीक बनाई थी। लेकिन कमीशनखोरी के चलते योजना कमाई का जरिया बनकर रह गई है। जिम्मेदार पेयजल आपूर्ति को लेकर गंभीर नहीं हैं। जहां निर्माण कार्य पूरा हो गया है। वहां भी लीकेज व पाइप फटने के कारण आपूर्ति नहीं हो रही है। -दिनेश कुमार, राडीजोत।

    लोगों के घरों पर लगाई गई टोटियां टूट गईं। लेकिन उनमें पानी नहीं पहुंचा। करोड़ों खर्च हो जाने के बाद भी लोगों को प्रदूषित जल से प्यास बुझानी पड़ रही है। -राम नरेश चिरईबांधा।