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    यूपी की यह महिला थानेदार बनी नारी शक्ति की मिशाल, इनके काम को जानकर आप भी करेंगे सलाम

    Updated: Thu, 11 Apr 2024 03:25 PM (IST)

    उत्‍तर प्रदेश के बस्‍ती जिले में महिला थाने की थानाध्यक्ष निधि यादव नारी शक्ति की मिशाल बनी हैं। वह अपनी समझदारी से पांच महीने में 123 परिवारों को टूटने से बचाया है। यह दंपती अब एक दूसरे के साथ हंसी खुशी रह रहे हैं। निधि महिलाओं के लिए एक नजीर हैं। संघर्षों के बीच वह परिवार को बिखरने से बचाने के लिए पूरी शिद्दत से लगी रहती हैं।

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    नारी शक्ति की मिशाल बनी महिला थाने की थानाध्यक्ष। जागरण

    संदीप यादव, बस्ती। कलह व मनमुटाव के चलते आए दिन रिश्तों में दरार आने के मामले सामने आ रहे हैं। कई परिवार तो कलह के चलते बिखर गए हैं। कुछ दंपतियों के बीच तो तलाक लेने की नौबत आ जा रही है। ऐसे में नारी शक्ति की मिशाल बनीं महिला थाने की थानाध्यक्ष निधि यादव ने अपनी समझदारी से पांच महीने में 123 परिवारों को टूटने से बचाया है।

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    यह दंपती अब गिले सिकवे भूलकर एक दूसरे के साथ हंसी खुशी रह रहे हैं। निधि महिलाओं के लिए एक नजीर हैं। संघर्षों के बीच वह परिवार को बिखरने से बचाने के लिए पूरी शिद्दत से लगी रहती हैं।

    निधि बताती है कि पुलिस विभाग में नौकरी करना उनका सपना था। वह स्नातक की पढाई करने के बाद 2014 से एसआई की तैयारी में जुट गईं। कहा कि शुरुआती दौर में सुबह दौड़ने में कठिनाई होती थी। थोड़ी दूर दौड़ने के बाद थक जाती थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और जुनून को बनाए रखा। जिसका परिणाम रहा कि वर्ष 2016 में वह उप निरीक्षक के पद पर चयनित हो गईं।

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    उनकी पहली पोस्टिंग भदोही जिले में हुई थी। उसके बाद उनका स्थानांतरण बस्ती जनपद में हो गया। नवंबर 2023 में उन्हें महिला थाने की कमान मिली। जिसके बाद से अब तक उनके पास दंपती के मनमुटाव के कुल 123 मामले आए। जिसमें से लगभग 50 मामले तलाक की नौबत तक आ चुके थे, लेकिन सूझबूझ दिखाते हुए वह इनके बीच के गिले सिकवे को दूर कराईं। उन्हें एक साथ रहने के लिए राजी किया।

    कहा कि ड्यूटी के साथ वह एक मां की भूमिका निभाती हैं। उनका एक 15 वर्षीय बेटा है। ड्यूटी का समय पूरा होने पर वह अपने बेटे की उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए उसे भी समय देती हैं। सुबह साढ़े पांच बजे के आस पास वह प्रतिदिन जग जाती हैं। बच्चे को तैयार करके नाश्ता कराने के बाद उसके लंच बाक्स देकर स्कूल भेजती हैं। फिर ड्यूटी जाने के लिए वह खुद तैयार होती हैं।

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