नीलगाय को मारने का सरकारी फरमान बेअसर
बस्ती: किसानों के फसल को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाली नीलगाय से बचाव के लिए प्रदेश सरकार न
बस्ती: किसानों के फसल को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाली नीलगाय से बचाव के लिए प्रदेश सरकार ने नियम तो बनाए हैं, मगर इनका अनुपालन नहीं हो पा रहा है। इन्हें मारने के लिए बनाए गए नियम कानून कागजों में सिमटकर रह गए है या यूं कहिए बेअसर साबित हो रहे हैं। नीलगाय का नाम सुनते ही किसानों के चेहरे उतर जाते हैं। उन्हें यदि अपने फसलों का सबसे बड़ा दुश्मन कोई नजर आता हैं तो वह नील गाय है। रात रात भर जाग कर फसलों की रखवाली करने वाले किसानों को नीलगाय से निपटने का रास्ता अब तक नहीं नजर आ रहा है। वह नीलगाय के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। प्रदेश सरकार ने नील गायों को मारने के लिए भले ही फरमान जारी कर दिए हों लेकिन अभी तक कोई सरकारी पहल नहीं हुई। वन विभाग की ओर से नीलगाय को मारने के लिए क्या नियम, निर्देश है, उन्हे मारने के लिए क्या जरूरी शर्ते हैं, इसकी जानकारी के लिए कहीं भी कोई जागरूकता शिविर या गोष्?ठी का आयोजन नहीं किया गया। ऐसे में इन्हें मारने के लिए बनाए गए नियमों और निर्देशों की जानकारी किसानों को नहीं हो पाई।
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क्या है नील गायों को मारने का नियम निर्देश
: नील गाय मारने की अनुमति पहले जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, डीएफओ, क्षेत्रीय वन अधिकारी ही दे सकते थे, अब खंड विकास अधिकारी को भी यह पावर दे दिया गया है कि वह किसान के अनुरोध पर नील गाय को मारने की अनुमित प्रदान कर सकते हैं। नीलगाय मारने की अनुमति उसे ही मिलेगी जिस किसान के पास लाइसेंसी बंदूक होगी। नीलगाय मारने के बाद वन विभाग को उसकी जानकारी देनी होगी, जिससे वह मृत जानवर का पोस्टमार्टम कराकर उसे दफना सके। किसानों को नीलगाय मारते समय इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि गोली नीलगाय को ही लगे, उससे कोई जनहानि न हो।
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बिना बंदूक वाले किसान नहीं मार सकते नीलगाय
सरकारी नियमों में पेंच है। जिन किसानों के पास बंदूक नहीं है वह नीलगायों को नहीं मार सकते हैं। गांवो में अधिकतर किसानों के पास बंदूक नहीं है, ऐसे में वह नीलगायों को कैसे मारें यह एक बड़ा सवाल है। वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो शिकारियों की मदद से भी नीलगायों को मारा जा सकता है।
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अभी तक तो किसी किसान ने उनके पास नीलगाय मारने के लिए आवेदन नहीं किया। यदि कोई आवेदन करेगा तो शर्तो के अनुरूप उन्हे नीलगाय मारने की अनुमित दे दी जाएगी।
विनय कृष्ण मिश्र
डीएफओ, बस्ती।
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