चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस में मिली शराब से अधिकारी हैरान, बिहार-असम में खपाने की थी तैयारी
बस्ती में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस से अंग्रेजी शराब की 35 बोतलें बरामद की गईं। यह शराब चंडीगढ़ में बिक्री के लिए थी लेकिन इसे बिहार या असम में खपाने की तैयारी थी। आरपीएफ रेलवे और आबकारी विभाग अब कोच अटेंडेंट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि शराब कोच के अटेंडेंट की सीट के पास से बरामद हुई थी। पहले भी कोच अटेंडेंट की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।

जागरण संवाददाता, बस्ती। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ सुपरफास्ट एक्सप्रेस में पकड़ी गई अंग्रेजी शराब की खेप को बिहार या फिर असम प्रांत में खपाने की तैयारी थी। वहीं तस्करी के लिए भेजी जा रही शराब को लेकर रेलवे, आरपीएफ व आबकारी विभाग की नजर अब ट्रेन के कोच अटेंडेंट के इर्द-गिर्द घूमती दिख रही है।
चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस में मंगलवार को बस्ती-खलीलाबाद के बीच आरपीएफ टीम ने सब इंस्पेक्टर सुनील कुमार कसाना की अगुवाई में अंग्रेजी शराब की कुल 35 बड़ी बोतलों (750 मिली लीटर) की खेप बरामद किया था। बोतलों पर साफ ओनली सेल फॉर चंडीगढ़ लिखा था।
इससे स्पष्ट है कि वह हरियाणा से बाहर अवैध रूप से भेजी जा रही थी। चंडीगढ़ की बनी शराब की बिक्री वहां न होकर बिहार और असम में अच्छी कीमतों में होनी थी। दूसरी तरफ आरपीएफ टीम ने ट्रेन नंबर 15905 के जिस कोच संख्या बी-2 के छत की सीलिंग में शराब की खेप बरामद किया, उसी के ठीक नीचे कोच अटेंडेंट की सीट थी।
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इससे कोच अटेंडेंट की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो जाते हैं। चूंकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब प्राइवेट कोच अटेंडेंट की भूमिका संदिग्ध न पाई गई हो। इसके पूर्व 2017 में आरपीएफ इंस्पेक्टर राकेश शुक्ला और 2020 में इंस्पेक्टर नरेंद्र यादव की टीम ने भी बड़ी मात्रा में शराब बरामद किया था।
जिसमें प्राथमिक जांच के प्रमुख केंद्र बिंदु प्राइवेट कोच अटेंडेंट ही थे। शराब की खेप पकड़ने वाले आरपीएफ के सब इंस्पेक्टर सुनील कुमार कसाना ने बताया कि जप्त अवैध शराब को अग्रिम कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को सौंप दिया गया है।
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