रखें होश, जिंदगी छीन लेगा पटाखे का जोश
नन्हे-मुन्नों को आतिशबाजी से दूर रखना बेहद जरूरी
बस्ती : दीपावली खुशियों का त्योहार है। पटाखों का खेल कहीं अनहोनी का कारण न बन जाए। यह सेहत के लिए भी नुकसानदेह है और वातावरण के लिए भी। धूम-धड़ाम के जोश में होश न खोएं। जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। नन्हे-मुन्नों पर विशेष निगरानी की जरूरत है। सभी तरह के पटाखों से उन्हें दूर रखना ही अकलमंदी है। वरना यह पटाखा मासूमों को अपंगता का शिकार भी बना सकता है। पटाखों के अत्यधिक प्रयोग से बच्चों में अस्थमा जैसी बीमारी बढ़ने की प्रबल संभावना है। शारीरिक रूप से गंभीर क्षति पहुंच सकती है। आंख और कान पर इसका सीधा असर पड़ता है। आतिशबाजी के दौरान उठने वाले धुएं सेहत के लिए काफी नुकसानदेह हैं। कभी-कभी हाथ में ही पटाखे दग जाते हैं। इससे बारूद नर्म त्वचा को झुलसा देता है। इस संबंध में दैनिक जागरण ने गुरुवार को चिकित्सकों की राय जानी तो पटाखों से होने वाले नुकसान की बातें सामने आईं।
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बारूद से होते हैं कई नुकसान
लाइ¨टग के साथ तेज आवाज करने वाले पटाखे वातावरण को प्रदूषित करते हैं। सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं। वह दमा के रोगी बन सकते हैं। पटाखा छोड़ते समय बच्चों के हाथ में बारूद लग जाती है। सावधानी न बरतने पर खाना खाते समय बारूद के कण पेट में चले जाते हैं। जो पेट में इंजरी कर देते है। लीवर और किडनी तक प्रभावित हो जाता है। दूसरा पटाखा से निकलने वाला धुंआ सांस लेने के दौरान फेफड़े की नली में चला जाता है। अचानक दिक्कत हो सकती है। बारूद के कण शरीर के अंदर जाने पर निकलते नहीं हैं। कैंसर तक होने का खतरा रहता है। ज्यादा आतिशबाजी करने वाले बच्चों का व्यवहार बदल जाता है। झटके आने लगते हैं। स्किन एलर्जी, कान का परदा फटना, आंख में इंजरी यह सब आम बात है। बेहतर होगा कि पटाखों का उपयोग बिल्कुल न किया जाए।
डा. पीके श्रीवास्तव, बाल रोग विशेषज्ञ, जिला महिला चिकित्सालय, बस्ती।
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जा सकती है आंखों की रोशनी
आतिशबाजी के दौरान यदि एक भी ¨चगारी पुतली पर पड़ी तो वह जल सकती है। पुतली पर हमेशा के लिए सफेदी आ सकती है। इससे रोशनी गायब हो जाएगी। पटाखों के धुएं भी नुकसानदेह है। आंख में पड़ने पर जलन शुरू हो जाएगी। लाली आ जाएगी और पानी गिरेगा। ज्यादा प्रभावकारी होने पर आंख की रोशनी कम हो जाएगी। पटाखे की चमकीली रोशनी भी खतरनाक है। इससे आंख के सामने अचानक अंधेरा छा जाता है। रोशनी सीधे आंख पर पड़ने से बुरा प्रभाव पड़ता है। आतिशबाजी के दौरान आंख को बचाना चाहिए। धुआं, रोशनी, ¨चगारी कुछ भी आंख की तरफ न आए। सावधानी पूरी बरती जाए। वैसे कम विस्फोटक वाले पटाखे फोड़े जाएं और जितना हो सके उतना आतिशबाजी से बचा जाए।
डा. आशीष नारायण त्रिपाठी, नेत्र रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल, बस्ती।
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