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    चरित्र निर्माण शिविर में सिखाए गए आत्मरक्षार्थ के गुर

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 25 May 2022 11:21 PM (IST)

    शिविर निरीक्षण के दौरान भारत विकास परिषद के अध्यक्ष डा. डीके गुप्ता ने बच्चों को बताया कि विचार मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति है।

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    चरित्र निर्माण शिविर में सिखाए गए आत्मरक्षार्थ के गुर

    जागरण संवाददाता, बस्ती: सनातन धर्म संस्था द्वारा भारत विकास परिषद व अन्य संस्थाओं के सहयोग से आयोजित चरित्र निर्माण शिविर के चौथे दिन बुधवार को शारीरिक कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षक विनय द्वारा बच्चों को लाठी के प्रहार, सुरक्षा, रणमार एवं रोक और रणमार बैठी का अभ्यास कराया गया।

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    साथ ही त्रिदेश मुष्टि प्रहार, संयुक्त मुष्टि प्रहार, व्याघ्रनख प्रहार, सर्पमुख प्रहार तथा श्येन प्रहार का विधिवत अभ्यास कराया गया। शिविर निरीक्षण के दौरान भारत विकास परिषद के अध्यक्ष डा. डीके गुप्ता ने बच्चों को बताया कि विचार मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति है। विचारशीलता की गति किशोरावस्था के प्रारम्भ में अत्यधिक होती है। इस अवस्था में बालक किसी को भी अपना आदर्श मानकर उसकी ओर आकर्षित होने लगता है। ऐसे में उसे सही मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता होती है अन्यथा भ्रमित होकर वह अपने मार्ग से विचलित भी हो सकता है। द्वितीय बौद्धिक सत्र में सौरभ तुलस्यान ने वैदिक गणित की प्राचीनता, विशेषता बताते हुए बच्चों को गणित के प्रमुख सूत्र भी बताए। योग शिक्षक प्रशिक्षक गरुणध्वज पांडेय ने बच्चों को एकाग्रता के लिए योग व प्राणायाम की आवश्यकता विषय पर विस्तार से समझाया। प्रशिक्षक दीपक ने बताया यज्ञ के तीन अर्थ हैं देव पूजा, संगतिकरण एवं दान। जिस कर्म का फल सब में बंटे उसे यज्ञ कहते हैं। यज्ञ का मुख्य उद्देश्य मानसिक भावनाओं तथा पर्यावरण को शुद्ध करना है यज्ञ से आत्मिक सुख-शान्ति मिलती है जो प्रतिदिन यज्ञ करता है, वह देवत्व को प्राप्त होता है। शिविर संचालक भृगुनाथ त्रिपाठी पंकज ने बताया कि चरित्र निर्माण शिविर के उद्देश्य, कर्तव्य, चरित्र, अनुशासन, स्वास्थ्य आदि का ज्ञान शिविरार्थियों को अत्यन्त सरल तरीके से दिया जा रहा है। बच्चों ने अलग-अलग टोलियों में सेवा और स्वच्छता कार्य किया। प्रशिक्षिका ज्योति व योग शिक्षिका शन्नो दुबे ने बालिकाओं को सर्वांग सुंदर व्यायाम एवं ध्यान का अभ्यास कराया। शिविर का निरीक्षण शिक्षक अनिरुद्ध त्रिपाठी, डा. संजय द्विवेदी, आर्थोपेडिक सर्जन डा. आलोक पांडेय, डा. रोहन दूबे ने किया।