दूसरे शनिवार का मतलब अस्पताल में छुट्टी!
बस्ती : 32.70 लाख की आबादी पर एक जिला चिकित्सालय है, वह भी बीमार ही रहता है। यह हाल है जनपद के उस जिला चिकित्सालय की जिस पर हर पल बड़े-बडे नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की नजर रहती है।
सेकेंड सटरडे का मतलब किसी सरकारी अस्पताल में छुट्टी नहीं होती है पर जिला चिकित्सालय में इस दिन अघोषित छुट्टी रहती है। यहां मरीजों का कोई पुरसाहाल नहीं है। डाक्टर जब जी चाहा आते हैं और जब चाहा चले जाते हैं। पेश है जागरण की आंखों देखी रिपोर्ट।
समय पूर्वाह्न 11 बजे, स्थान जिला अस्पताल की ओपीडी। एक तरफ पर्ची काउंटर बंद था तो दूसरी तरफ आर्थो विभाग का कक्ष खुला था डाक्टर अंदर मरीज देख रहे थे तो बाहर मरीजों की भीड़ अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रही थी। पूछने पर बताया गया कक्ष में डा.दिलीप गुप्ता बैठे हैं।
प्लास्टर रूम खुला था, लेकिन इंजेक्शन रूम बंद हो रहा था तभी 60-65 साल की एक वृद्धा लाठी के सहारे इंजेक्शन लगवाने पहुंची। उसने इंजेक्शन लगाने को कहा तो कक्ष बंद कर रहे चिकित्साकर्मी ने उसे डपट दिया और बाद में आने को कहा। उसकी आंख में आंसू आ गए। वृद्धा के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाले ने पूछने पर ताव में अपना नाम मुन्नी लाल बताया।
इसी कक्ष के बाहर दर्जनों लोग खड़े मिले जो दूर दराज से कुत्ता काटने की सुई लगवाने आए थे। रुधौली से आई मथुरा देवी ने बताया वह दस बजे से ही सुई लगवाने के लिए इधर उधर दौड़ रहीं हैं पर कोई सुनता ही नहीं।
सर्जन कक्ष बंद मिला। यहां कंसलटेंट सर्जन डा. उमराव सिंह का कक्ष बंद मिला। बगल में स्टोर कक्ष था वह भी बंद रहा। जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन डा. ए. के. चौधरी का भी कक्ष बंद मिला। यहां पर खड़े शमसापुर के राजेश सिंह ने बताया वह बच्चे को दिखाने आए हैं पर कोई सर्जन नहीं है।
वरिष्ठ परामर्शदाता चेस्ट डा.बी. एस. त्रिपाठी और चर्म एवं गुप्त रोग विशेषज्ञ डा.ए.के.द्विवेदी का भी कक्ष बंद मिला।
नाक कना एवं गला रोग विशेषज्ञ का कक्ष खुला रहा। इस विभाग में दो डाक्टर राम केवल और राजेश कुमार की तैनाती है पर अंदर डाक्टर की कुर्सी खाली मिली। कक्ष में वार्ड ब्वाय मिला उसने अपना नाम मंगरू राम बताया। वह अपनी समझ से कुछ को दवएं वगैरह बता भी रहा था। डाक्टर के बारें में पूछने पर उसने बताया डा.राम केवल को आना था पर वह नहीं आए। यहां खड़े शेषमणि शुक्ला ने बताया वह सल्टौआ से आए हैं। एक घंटे से डाक्टर के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। बिंदू सिंह अपने नाती को दिखाने आई थीं।
बाल रोग के चिकित्सक एस.के.गौड़ का भी कक्ष बंद मिला। मुख्य औषधि वितरण कक्ष खुला रहा। यहां पर राज्य कर्मचारियों तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दवाएं तो मिलती ही हैं वार्डो में भी दवाएं यहीं से भेजी जाती हैं।
जागरण की आखों देखी टीम जिला अस्पताल के ओपीडी परिसर में दोपहर बारह बजे तक रही। वैसे तो अस्पताल को आज दोपहर बाद 12.30 बजे तक खुाला रहना चाहिए था पर 12 बजते बजते सब बंद हे गया यहां तक की खुद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का भी कक्ष समय से पहले ही बंद हो गया।
इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.पी.एल.गुप्ता ने से बात की गई तो उन्होंने बताया सेकेंड सटरडे को अस्पताल सुबह 8 बजे से दोपहर बाद 12.30 बजे तक खुाला रहता है फिर आज कैसे पहले बंद हो गया के सवाल पर कहा वह खुद पूरे समय तक अस्पताल में बैठे रहे। सभी डाक्टरों ने मरीज देखा है।
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