राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे
बस्ती: हनुमान जी ब्रह्माचर्य के स्वरूप हैं,हनुमान जी को कौन उपदेश दे सकता है। वे तो सकल विद्या के आच
बस्ती: हनुमान जी ब्रह्माचर्य के स्वरूप हैं,हनुमान जी को कौन उपदेश दे सकता है। वे तो सकल विद्या के आचार्य है। हनुमानजी की कृपा के बिना प्रभु श्रीराम के दर्शन नहीं होते। '' राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे''।
यह सद् विचार साध्वी उमा ने आवास विकास कालोनी स्थित सावित्री विद्या बिहार में आयोजित श्रीराम कथा, रूद्राभिषेक कार्यक्रम में व्यास पीठ से व्यक्त किया।
हनुमान जी की महिमा का गान करतीं हुई साध्वी उमा ने कहा कि मानव शरीर भोग के लिये नहीं है। जीवन का समुद्र पार करते समय भी मार्ग में सुरसा आ जाती है। नए-नए रस की वासना रखने वाली ही सुरसा है। सुरसा को हनुमान जी संयम से नष्ट करते हैं।
पं. अरविंद जी महाराज ने कहा कि जीवन को सुंदर बनाना है तो उसे हनुमान जी की तरह भक्तिमय बनाना होगा। रामचरित मानस मार्ग दर्शक है। अपना मन कैसा है इसे जानने के लिये रामायण के शरण में जाना चाहिए। रामायण से मनुष्य को अपने माता, पिता, भाई, पत्नी और समाज के साथ व्यवहार का सहज ज्ञान हो जाता है। रामायण के सभी काण्ड श्रीराम के अंग है।
कथा को विस्तार देते हुए कहा कि श्रीराम ने रावण और राक्षसों का बध किया, किंतु श्रीराम का नाम तो युगों-युगों से करोड़ो जीवों का उद्धार कर रहा है। इस नाम की महिमा अनन्त है। इस भाव को तो वहीं समझता है जिसके जीवन में भक्ति, करूणा, उदारता का समावेश हो जाय। श्रीराम कथा के पूर्व पार्थिव शिवलिंग से भगवान शिव का गंगाजल से रूद्राभिषेक विधि विधान से आचार्यो द्वारा कराया गया। यज्ञाचार्य पं. संजय कुमार पांडेय, डा. प्रवीण कुमार पांडेय, जगदीश प्रसाद मिश्र, अजय कुमार श्रीवास्तव, सूरज गुप्ता, प्रदीप चन्द्र पांडेय, सूरज गुप्ता, राम नरोत्तम चौधरी, संतोष शुक्ल, सोनू शुक्ल, संजय पांडेय, चन्द्रमौलि मिश्र, क्षितिज, राम प्रसाद तिवारी, ज्ञानेन्द्र, शीतल, अनिल, भवनाथ मिश्र, संजय पाण्डेय, दयाशकर शुक्ल, तुंगनाथ मिश्र, सूरज वैदिक, पंकज शास्त्री आदि मौजूद रहे।
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