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    यूपी पुलिस का 'जादू', मिनटों में मिलेगी क्राइम की पूरी कुंडली; बरामद सामान का भी मिल जाएगा इतिहास

    By Jagran News NetworkEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Fri, 20 Jun 2025 08:28 PM (IST)

    किसी घटना या राजफाश के समय बरामद सामान का इतिहास क्या है? उसे कब बरामद किया, किससे बरामद किया या घटनाक्रम क्या था? यह सब सिर्फ क्यूआर कोड स्कैन से पता चल जाएगा। इसके लिए पुलिस ने जिले के सभी 30 थानों के मालखाने डिजिटल कराने की तैयारी कर ली है।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, बरेली। किसी घटना या राजफाश के समय बरामद सामान का इतिहास क्या है? उसे कब बरामद किया, किससे बरामद किया या घटनाक्रम क्या था? यह सब सिर्फ क्यूआर कोड स्कैन से पता चल जाएगा। इसके लिए पुलिस ने जिले के सभी 30 थानों के मालखाने डिजिटल कराने की तैयारी कर ली है।

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    पहले चरण में फरीदपुर और अलीगंज थाने के मालखाने के सभी सामान का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। यह कार्य जुलाई पहले सप्ताह में पूरा हो जाएगा। वर्तमान में मालखाना में रखे सीलबंद सामान पर नंबर पड़ा होता है, जबकि रजिस्टर में उसका विस्तृत ब्योरा लिखा दिया जाता है।

    प्रकरण की विवेचना या कोर्ट में सुनवाई के दौरान उस सामान का ब्योरा निकालने के लिए रजिस्टर खंगालने पड़ते हैं। इसमें अधिक समय भी लगता है। एसएसपी अनुराग आर्य से इसे सुविधाजनक बनाने के लिए सभी थानों के मालखानों का डिजिटलीकरण आरंभ कराया। इसकी देखरेख की जिम्मेदारी एसपी साउथ अंशिका वर्मा को दी गई है।

    उन्होंने बताया कि पहले चरण में फरीदपुर और अलीगंज थाने के मालखाने का सभी रिकार्ड निकलवाया गया। बीटेक के 10 छात्रों स्थानीय छात्रों ने सभी सामान का ब्योरा प्रदर्शित करने के लिए अलग-अलग क्यूआर कोड बनाने शुरू कर दिए हैं। यह कार्य पूरा होने के बाद प्रत्येक सामान पर उससे संबंधित क्यूआर कोड चस्पा कर दिया जाएगा।

    इसके बाद जब भी सामान का ब्योरा निकालना उसका क्यूआर कोड स्कैन करना होगा। इससे स्क्रीन पर समस्त जानकारी आ जाएगी। यदि उसकी पत्रावली तैयारी करने की जरूरत हो तो ब्योरा का प्रिंट भी निकलवाया जा सकेगा। फरीदपुर और अलीगंज का काम पूरा होने के बाद अन्य थानों के मालखाने के क्यूआर कोड बनाए जाएंगे। यह सभी जानकारी गोपनीय रखी जाती है, जोकि सिर्फ पुलिस के काम आती है। क्यूआर कोड स्कैनिंग एक एप्लीकेशन के जरिये पुलिसकर्मी ही कर सकेंगे।