Move to Jagran APP

JAGRAN SPECIAL : महिलाओं का जीरो फिगर का इरादा... मां बनने में खड़ी कर रहा बाधा

देर तक जिम करना और पौष्टिक आहार न लेकर स्लिम बनने का इरादा मां बनने में बाधा खड़ा कर रहा है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 02:37 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 12:46 PM (IST)
JAGRAN SPECIAL : महिलाओं का जीरो फिगर का इरादा... मां बनने में खड़ी कर रहा बाधा
JAGRAN SPECIAL : महिलाओं का जीरो फिगर का इरादा... मां बनने में खड़ी कर रहा बाधा

जेएनएन, बरेली: महिलाओं के गर्भधारण को प्रभावित करने में सिर्फ अधिक वजन ही कारण नहीं है। सामान्य से कम वजन होने पर भी गर्भधारण में समस्याएं आ रही हैैं। दरअसल, देर तक जिम करना और पौष्टिक आहार न लेकर स्लिम बनने का इरादा मां बनने में बाधा खड़ा कर रहा है। 

loksabha election banner

केस वन : जगतपुर में रहने वाली 30 वर्षीय एक महिला शादी से पहले ही स्लिम बनने के लिए जिम कर रही थी। शादी के बाद दो साल तक बच्चा नहीं हुआ। डॉक्टरों की सलाह ली तो बीएमआइ काफी कम निकला।

केस टू : महानगर निवासी एक युवती की शादी डेढ़ साल पहले बदायूं में हुई थी। शादी के वक्त उनका लंबाई के हिसाब से काफी कम वजन था। गर्भधारण में दिक्कत हो पर डॉक्टर को दिखाया तो कारण स्पष्ट हुआ।

गर्भधारण में वजन का काफी महत्व

महिलाओं के स्वास्थ्य, उम्र, बीएमआइ (बॉडी मास इंडेक्स) और वजन का सही तालमेल होने पर ही गर्भधारण सफल होता है। वजन से मतलब सिर्फ मोटापा ही नहीं है। जरूरी नहीं है कि सिर्फ अधिक वजन के कारण ही गर्भधारण प्रभावित हो। कम वजन होना भी महिलाओं के लिए खतरनाक साबित होता है।

कम वजन से होने वाली समस्याएं

कम वजन की महिलाओं में प्री-टर्म बर्थ का खतरा होता है। प्री-टर्म न भी हो तो बच्चे का वजन सामान्य से कम होता है। इससे बच्चेे को भी कई परेशानियां हो सकती है। एनिमिया या कुछ अन्य प्रकार की समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए वजन सामान्य होने पर ही गर्भधारण ठीक होगा।

संतुलित रखें वजन

यदि किसी महिला की लंबाई 155 सेमी है तो उनका वजन 55 किलो होना चाहिए। अगर लंबाई 160 सेमी है तो 60 किलो वजन हो। इसे आदर्श वजन माना जाता है। इस प्रकार वजन को संतुलित रख कर समस्याओं से बचा जा सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि 18 से 25 वर्ष तक महिलाएं अपने बीएमआइ को संतुलित रखे। बीएमआइ के कम या बहुत ज्यादा होने पर मां बनने में खतरा हो सकता है।

क्या है कम वजन

कम वजन का अर्थ है शरीर में फैट का प्रतिशत कम होना। ओव्यूलेशन और पीरियड्स के समय पर होने के लिए बॉडी फैट 22 प्रतिशत अवश्य होना चाहिए। यदि बॉडी फैट कम होने के बावजूद पीरियड्स समय पर हो रहे हैैं तो भी गर्भधारण नहीं होने की आशंका होती है, क्योंकि ऐसी स्थिति में ओव्यूलेशन प्रभावित होता है।

क्या कहती हैैं विशेषज्ञ

गइनेकोलॉजिस्ट एवं आइवीएफ विशेषज्ञ डॉ. श्रुति घाटे ने बताया कि 22 से 34 वर्ष की उम्र में प्रेग्रेसी को प्राथमिकता दें। इस अवधि में गर्भधारण की क्षमता बेहतर मानी जाती है। नियमित व्यायाम करें और हेल्दी फूड लें। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। भोजन समय पर लेती रहें। वजन बहुत कम नहीं होने दें और अधिक है तो फैट और चीनी युक्त भोजन कम कर दें। फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और सलाद खाए।

इंफर्टिलिटी के 12 फीसद मामले कम वजन के

विशेषज्ञों के अनुसार करीब 12 फीसद इंफर्टिलिटी के मामलों में महिलाओं के कम वजन या कम बीएमआइ का होना मुख्य कारण होता है। शरीर का फैट प्रजनन में बड़ा रोल अदा करता है। जिन महिलाओं के कम बीएमआइ होता है वे कम एस्ट्रोजन रिलीज कर पाती हैैं, जिससे उनका मासिक चक्र अनियमित होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.