Move to Jagran APP

या हुसैन-या हुसैन के नारों से गूंजती रही फिजा Bareilly News

कहीं अजादारों ने तपती जमीन पर नंगे पैर चलकर गम का इजहार किया। शहर और देहात में जगह-जगह सबील लगीं। लंगर लगे।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 08:36 AM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 08:36 AM (IST)
या हुसैन-या हुसैन के नारों से गूंजती रही फिजा Bareilly News
या हुसैन-या हुसैन के नारों से गूंजती रही फिजा Bareilly News

बरेली, जेएनएन : मैदान-ए-कर्बला में नवासा-ए-रसूल और जांनिसार साथियों की शहादत के गम को सुन्नी और शिया समुदाय ने अपने-अपने तरीके से जाहिर किया। लोगों ने खिराजे अकीदत पेश की। कहीं अजादारों ने तपती जमीन पर नंगे पैर चलकर गम का इजहार किया। शहर और देहात में जगह-जगह सबील लगीं। लंगर लगे। जलसों में मजहब-ए-इस्लाम की खातिर कुर्बान हुए इमाम आली मकाम की जिंदगी पर रोशनी डाली गई। रोजा रखा गया। दुआएं मांगी गईं। कर्बला में दोपहर से लेकर रात तक ताजिये दफन होते रहे। सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी फोर्स व अफसर तैनात रहे।

loksabha election banner

खानखाह नियाजिया से कर्बला तक उमड़ी भीड़

मुहर्रम की 10 तारीख को कर्बला में हुसैनी सदाएं गूंजी। इमामबाड़ों से निकले तख्त, ताजिये और अलम के जुलूस कर्बला पहुंचे। कर्बला पर मेला भी लगा।

बाकरगंज स्थित कर्बला में पूर्वान्ह 11 बजे से जुलूस पहुंचना शुरू हुए। खानकाहे नियाजिया के प्रबंधक शब्बू मियां के नेतृत्व में अकीदतमंद तख्त, ताजियों और अलम के साथ दोपहर तीन बजे कर्बला पहुंचे। सभी लोग नंगे पैर चले। दुआ पढ़कर ताजियों पर पानी भी डलवाया। अकीदतमंदों को तबरुक खानकाह के सज्जादानशीन हसनी मियां ने बांटा। लोगों में तबरुक लेने की होड़ रही, जिसमें चांदी के सिक्के, कपड़े, खाने पीने का सामान भी शामिल रहा। बाद में उन्होंने दुआ भी कराई।

गलत कामों से बचने का लें अहद

शहर की कुछ मस्जिदों में जलसा-ए-शहादत का आयोजन हुआ। कंघी टोला की रजा नूरी में इमाम आबिद रजा ने शहीदाने कर्बला पर रोशनी डाली। कहा कि दस मुहर्रम सभी मुसलमानों के लिए हक के लिए जान कुर्बान कर देने की सीख का दिन है। सभी को गलत काम हमेशा के लिए छोड़ देने का अहद (संकल्प) लेना चाहिए।

कार्यक्रम में परवेज खां नूरी, नासिर खां, अश्शू खां, सद्दाम, हारून बेग, समीर बेग मौजूद रहे।

शिया समुदाय की तरफ से अलम के जुलूस निकालकर मातम किया गया। गमजदा अजादारों ने जंजीर और छुरियां बरसाकर जिस्म को लहूलुहान किया। फिजा या हुसैन-या हुसैन के नारों से गूंजती रही। दस मुहर्रम को इमामबाड़ा वसी हैदर गढ़ैया से अंजुमन ऑल इंडिया गुलदस्ते हैदरी और अंजुमन गुलदस्ते हैदरी की तरफ से अलग-अलग जुलूस निकले। किला सब्जी मंडी में कोठी नवाब तहव्वुर अली के बाहर अंजुमन गुलदस्ते हैदरी और कारवाने हुसैन ने दीवानखाना में जंजीरी मातम किया। जुलूस इमामबाड़ा फतेह अली शाह काला इमामबाड़ा में रुका। यहां मौलाना शहवार हुसैन नकवी ने मजलिस पढ़ी। कहा कि आज ही के दिन हजरत इमाम हुसैन का पूरा कुनबा राह-ए-खुदा में इस्लाम बचाने के लिए कुर्बान हो गया। मजहब-ए-इस्लाम को सलामत रखा। यही वजह है कि पूरी दुनिया में हुसैन की सदाएं गूंज रही हैं। फिर इमामबाड़े से सभी अंजुमनों का एक साथ जुलूस निकला। रास्ते में लीची बाग के पास से परचम अब्बास ने जंजीर का मातम किया। इसके बाद जुलूस कर्बला पहुंचा। यहां इमाम हुसैन की याद में जोरदार मातम हुआ। तकरीर हुई। ताबूत की जियारत के साथ जुलूस का समापन हुआ। इस मौके पर शानू काजमी, शकील हैदर जैदी, अथर अब्बास, जमाल जैदी, सफदर अली, समर हैदर, वकार जैदी, हसनैन सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे। जुलूस में अंजुमन शमशीर ए हैदरी, अंजुमन परचम-ए-अब्बास, अंजुमन कारवाने हुसैन भी शामिल रहीं।

तरक्की के दौर में मश्क गुजरे जमाने की बात हो गई लेकिन बिशारतगंज के पीरबख्श बरसों पुरानी परंपरा को नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अकीदत में जिंदा रखे हुए हैं। हर मुहर्रम की 10 तारीख को बाकरगंज कर्बला में जहां कि ताजिये दफन किए जाते हैं, वहां आकर धूल को उड़ने से रोकने के लिए मश्क में पानी भरकर डालते हैं। परिवार का एक सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी यह काम अंजाम दे रहा है। फोटो अजय शर्मा 

दरगाह वली मियां में फातिहा

आस्ताना आलिया मुहम्मदिया (दरगाह वली मियां) में नवासा ए रसूल की शहादत पर फातिहा हुई। कार्यक्रम में हाफिज मुहम्मद हसन ने तिलावत ए कलाम पाक पेश किया। हाफिज मुकीम, हाफिज मुहम्मद अली,अब्दुल रऊफ नश्तर, कारी यासीन आदि ने इमाम हुसैन की शान में मनकबत पढ़ी। सज्जादानशीन अनवर मियां ने वाकियात-ए-कर्बला की तफसील बयां की। दुआ कराई। सुबह 10 बजे फातिहा हुई।

मस्जिद में सजावट

शहीदाने कर्बला की याद में एजाजनगर गौटिया की पुरानी मस्जिद में इमाम मौलाना अंसारुल हक अजहरी की देखरेख में सजावट की गई। खाना-ए-काबा और इमाम हुसैन के रोजे छबीह (मॉडल) देखने के लिए रात तक लोग उमड़ते रहे। सजावट में यामीन रजा और अकील रजा इत्यादि ने सहयोग किया।

कर्बला में टेंट कर्मचारी को लगा करंट

मुहर्रम पर कर्बला में लगे मेले में टेंट कर्मचारी बाकरगंज में नूरी मस्जिद निवासी पप्पू को करंट लगा। उस समय वह पंखों में कनेक्शन जोड़ रहा था। हादसे के बाद उसे तुरंत ही अस्पताल में भर्ती कराया गया।

कीचड़-गंदे पानी से होकर गुजरे अलमदार

तमाम शिकायतों और प्रयासों के बाद भी नगर निगम मलूकपुर बजरिया में जलभराव की समस्या को दूर नहीं करा सका। अलमदार गंदे पानी और कीचड़ से होकर गुजरे। इससे उनमें नाराजगी थी। खानकाहे नियाजिया के प्रबंधक शब्बू मियां नियाजी मलूकपुर के इमामबाड़ा फतेह निशान पर हाजिरी देकर निकले तो मलूकपुर बजरिया में सड़क पर गंदा पानी भरा था। सभी अलमदारों को नंगे पैर इसी रास्ते पर जलभराव की समस्या से जूझना पड़ा। नमाजी भी परेशान हुए। जनसेवा टीम के अध्यक्ष पम्मी खान वारसी ने बताया कि 15-16 माह से इलाके के लोग इस परेशानी से जूझ रहे हैं। नगर निगम समाधान नहीं करा रहा।

अपनों से मिलाने के लिए कर्बला में लगाया कैंप

महानगर राष्ट्रीय कौमी एकता संगठन ने कर्बला में खोए बच्चों को परिजनों से मिलवाने के लिए कैंप का आयोजन किया। खानकाहे नियाजिया के प्रबंधक शब्बू मियां नियाजी ने संगठन के पदाधिकारियों को सम्मानित किया। अफरोज मियां, सर्वेश कुमार मौर्य, सैफी उल्ला अंसारी, मुहम्मद फैजान, विशाल आहूजा, साबिर हसन खां, चंद्र गुप्त मौर्य, मुहम्मद आसिफ सकलैनी मौजूद रहे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.