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    आखिर प्रशासन ने क्‍यों रोकी 56 मह‍िलाओं की पेंशन, अब सरकारी वसूली की तलवार लटकी

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 04:42 PM (IST)

    आंवला तहसील में 56 महिलाओं द्वारा फर्जी दस्तावेजों से विधवा पेंशन लेने का मामला सामने आया है। वर्ष 2021 में इन महिलाओं को गलत तरीके से पात्र बनाया गया था। शिकायत मिलने पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए पेंशन रोक दी और रिकवरी के आदेश दिए। जांच के आदेश दिए गए हैं, लेकिन अभी तक दोषियों का पता नहीं चल पाया है।

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    जागरण संवाददाता, बरेली। आंवला तहसील की 56 महिलाओं के फर्जी तरीके से विधवा पेंशन लिए जाने के मामले में नए तथ्य उजागर हुए हैं। फर्जीवाड़ा संज्ञान में आने के बाद तुरंत सभी की पेंशन रोककर उनके विरुद्ध आरसी जारी कर दी गई थी। मामले की जांच के लिए सीडीओ ने एसडीएम को निर्देश भी दिए, लेकिन दोषियों का पता नहीं लगाया जा सका। बीते दिनों शिकायत मिलने पर प्रशासन हरकत में आया।

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    पुलिस ने कुछ दिन पहले अवैध तरीके से प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया था। उनसे पूछताछ में आंवला तहसील क्षेत्र की 56 अपात्र महिलाओं द्वारा फर्जी दस्तावेजों के सहारे विधवा पेंशन लिए जाने का मामला प्रकाश में आया। इसमें आलमपुर जाफराबाद की 35 और रामनगर की 21 महिलाओं के नाम शामिल थे। वर्ष 2021 में इन महिलाओं को पात्र दिखाकर उनके पेंशन शुरू करा दी गई।

    मामले का संज्ञान लेकर डीएम अविनाश सिंह के निर्देश पर ग्राम पंचायत अधिकारी सुमित गुप्ता को निलंबित कर दिया गया। उन्होंने डीपीओ के विरुद्ध शासन में अनुशासनात्मक कार्रवाई को पत्र भी भेजा। जिला प्रोबेशन अधिकारी मोनिका राणा का कहना है कि अप्रैल में आलमपुर जाफराबाद के एडीओ पंचायत ने 35 और रामनगर के बीडीओ ने 21 महिलाओं को अपात्र बताया था।

    इसकी जानकारी मिलने पर उसी वक्त उनकी पेंशन रोक दी गई। फिर लीड बैंक मैनेजर से सभी महिलाओं के बैंक खाते के आधार पर उनके पते निकलवाए गए। फिर जून में एडीएम (एफआर) की ओर से सभी महिलाओं के विरुद्ध 35.88 लाख रुपये की रिकवरी अधिपत्र (आरसी) जारी किया गया। एक महिला ने 15 हजार रुपये वापस भी किए।

    मामले की तह तक पहुंचने के लिए सीडीओ की ओर से मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश एसडीएम आंवला को दिए गए, लेकिन जांच नहीं हो पाई, जिससे फर्जीवाड़ा करने के असल दोषियों के बारे में पता नहीं चल पाया। वहीं, जीवित पात्र महिला विद्या देवी को मृत दर्शाकर पेंशन रोकने के मामले में डीपीओ का कहना है कि नियमित सत्यापन में अधिकारियों ने कुछ महिलाओं की पेंशन रोकने की रिपोर्ट दी थी, जिसके आधार पर पेंशन रोकी गई।

    मामले में तीन सितंबर को ही एडीएम सिटी के माध्यम से सत्यापन करने वाले एसडीएम और बीडीओ को पत्र भेजकर मामले की जांच कराए जाने को कहा गया था, लेकिन जांच नहीं हो पाई। डीपीओ ने बताया कि उन्होंने अपने स्तर से दोनों प्रकरणों में कार्रवाई की है।