Bareilly News: कौन है Justice रवि कुमार दिवाकर, जिनकी टिप्पणी से हिला UP का पुलिस महकमा
Justice Ravi Kumar Diwakar Remark Case जस्टिस रवि कुमार दिवाकर की एक टिप्पणी से पूरा पुलिस महकमा सकते में आ गया हैं।जज रवि कुमार ने पुलिस की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई हैं।उन्होंने मामले को खुद संज्ञान में लेते हुए आदेश दिया हैं।

बरेली, जागरण संवाददाता। Justice Ravi Kumar Divakar News : सिर्फ एक टिप्पणी और हिल गया यूपी का पुलिस महकमा। अपनी टिप्पणी में ऐसा क्या लिखा जस्टिस रवि कुमार दिवाकर (Ravi Kumar Divakar) ने कि बरेली पुलिस को अपनी सफाई देनी पड़ी। ऐसा क्या किया यूपी पुलिस (UP Police) ने कि जस्टिस रवि कुमार को लिखना पड़ा-
"मैं डरने वाला नहीं हूं। मेरे मां-बाप ने सिर्फ ईश्वर से डरने को कहा है। किसी अन्य शक्ति से डरा तो उचित होगा कि न्यायिक संस्था से इस्तीफा दे दूं।" आइए हम बताते है आपको कि जस्टिस रवि कुमार दिवाकर कौन है, और उन्होंने यह तल्ख टिप्पणी क्यों लिखी ?
जस्टिस रवि कुमार दिवाकर वो हैं जिन्होंने ज्ञानवापी परिसर मामले में सर्वे का आदेश दिया था। उन्होंने यह आदेश दिल्ली निवासी राखी सहित पांच महिलाओं के प्रार्थना पत्र पर दिया था। जिन्होंने उनकी अदालत में प्रार्थना पत्र देकर परिसर में शृंगार गौरी के प्रतिदिन दर्शन-पूजन करने सहित अन्य देवी देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखने की मांग की थी। जिसके कुछ दिनों बाद ही उनका तबादला बरेली हो गया।
अब जस्टिस रवि कुमार दिवाकर बरेली में लघुवाद न्यायधीश के पद पर है। यहां पर नवाबगंज भाजपा विधायक डा एमपी आर्य के अस्पताल का गेट खुलने को लेकर विवाद चल रहा हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने अस्पताल के गेट को बंद कराने के आदेश दिए हैं। लेकिन प्रशासन उसे बंद नहीं करा पाया। जिसके बाद कोर्ट अमीन गेट बंद कराने पहुंचे।
लेकिन समर्थको के विरोध के चलते गेट नहीं बंद हो सका। कोर्ट अमीन वापस लौट आए। इस मामले में कोर्ट अमीन ने अपनी रिपोर्ट जस्टिस रविकुमार दिवाकर के सामने पेश की। जिस पर उन्होंने गेट बंद कराने की जिम्मेदारी बरेली डीएम और एसएसपी को सौंपते हुए कड़ाई से कोर्ट के आदेश का पालन कराने का निर्देश दिया था।
29 अगस्त को कोर्ट के आदेश पर नवाबगंज विधायक डा. एमपी आर्य के अस्पताल के एक गेट के सामने दीवार खड़ी की गई थी। यहां फोर्स के साथ कोर्ट अमीन राकेश चंद्र भी गए थे। जिसके बाद कोर्ट अमीन राकेश चंद्र पर डा. आर्य के मैनेजर पंकज ने प्राथमिकी लिखा दी, कि कार्रवाई के दौरान कोर्ट अमीने ने अस्पताल की बिजली आपूर्ति कटवा दी।
इससे मरीजों को परेशानी हुई। विरोध करने पर उन्होंने हाथापाई भी की। कोर्ट अमीन ने अपनी रिपोर्ट लघुवाद न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर को सौंपी। उसमें अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को भी रद कराने की मांग की। कोर्ट अमीन पर रिपोर्ट दर्ज करने का प्रकरण लघुवाद न्यायधीश ने संज्ञान ले लिया।
उन्होंने मामले को लेकर तल्ख तेवरों में टिप्पणी करते हुए लिखा- यह न्यायपालिका पर हमला है। पुलिस-प्रशासन ने डराने के लिए ऐसा किया मगर, मैं डरने वाला नहीं हूं।मेरे मां-बाप ने सिर्फ ईश्वर से डरने को कहा है। किसी अन्य शक्ति से डरा तो उचित होगा कि न्यायिक संस्था से इस्तीफा दे दूं। पुलिस मनमानी कर रही। अंग्रेजों की मंशा देश को गुलाम रखने की थी, आजादी के बाद भी पुलिस में बदलाव नहीं आया।
इसके साथ ही उन्होंने आईजी रमित शर्मा को सीओ चमन सिंह चावड़ा व इंस्पेक्टर अशोक कुमार कम्बोज पर कार्रवाई करने का आदेश दे दिया। इधर उनकी तल्ख टिप्पणी और कार्रवाई के आदेश के बाद यूपी पुलिस के बरेली के पुलिस अधिकारियों में हलचल मच गई। जिसके बाद पुलिस ने अपना पक्ष रखा। पुलिस का कहना है कि मामले को एक्सपंज कर दिया गया था, क्योंकि मामला जांच में झूठा पाया गया। जिसके बाद मामले में यूपी पुलिस फंसती नजर आ रही हैं।
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