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    जलमार्ग से बदलेगा उत्तर प्रदेश का परिवहन स्वरूप, गंगा में बिजनौर से वाराणसी तक चलेगा रिवर क्रूज और मालवाहक जलपोत

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 10:19 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में बिजनौर से वाराणसी तक गंगा नदी में जल्द ही जलपोत और रिवर क्रूज चलेंगे। इस परियोजना के तहत माल ढुलाई की लागत एक तिहाई घटेगी और पर्यटन को नया प्रोत्साहन मिलेगा। गंगा और रामगंगा दोनों पर व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रिवर क्रूज और वाटर टैक्सी सेवाएं शुरू होंगी, जिससे प्रदेश की आर्थिक गति और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

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    कमलेश शर्मा, जागरण बरेली। गंगा और रामगंगा में जल मार्ग से माल की ढुलाई और क्रूज पर पर्यटन की बात सुनने में अप्रत्याशित जरूर लग सकती है, लेकिन यह बात भविष्य में सच होने जा रही है। रेलवे पटरी की तरह पानी में जलपोत चलाने के लिए ड्रेजिंग कर चैनल बनाया जाएगा। जगह-जगह कारगो एवं यात्री टर्मिनल बनाए जाएंगे। परियोजना बड़ी है, धरातल पर आने में समय लग सकता है, लेकिन गंगा में में बिजनौर से नरौरा एवं नरौरा वाराणसी तक पानी वाले जहाज और पर्यटन के लिए क्रूज का संचालन कराने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

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    उत्तर प्रदेश आंतरिक जलमार्ग प्राधिकरण का गठन भी कर दिया गया है, जिसमें आरटीओ प्रशासन को रजिस्ट्रार के रूप में नई पहचान दी गई है, जो इन जहाजों की रजिस्ट्रेशन और फिटनेस की जिम्मेदारी निभाएंगे। दावा किया जा रहा है कि निकट भविष्य में यह परियोजना प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

    मुंबई में 27 से 31 अक्टूबर तक आयोजित इंडिया मैरीटाइम वीक (आइएमडब्ल्यू) 2025 में इस पर मंथन कर कार्ययोजना तैयार की गई है। विकसित उत्तर प्रदेश 2047 का लक्ष्य पूरा करने के उद्देश्य से परिवहन आयुक्त किंजल सिंह, विशेष सचिव केपी सिंह, उप परिवहन आयुक्त राधेश्याम, शिखर ओझा, बरेली के आरटीओ प्रणव झा, आरटीओ अखिलेश द्विवेदी, एआरटीओ हरिओम एवं आरआइ प्रशांत भी इसमें शामिल हुए। इसकी थीम महासागरों का एकीकरण, एक समुद्री दृष्टिकोण रहा।

    उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना, घाघरा, चंबल, गोमती जैसी नदियों में मालवाहक जलपोतों के आवागमन शुरू कराने के अलावा इन नदियों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रिवर क्रूज संचालित कराने का मसौदा तैयार किया गया है। इंडिया मैरीटाइम वीक से लौटे आरटीओ प्रवर्तन प्रणव झा ने बताया कि नदियों में मालवाहक पोत और क्रूज संचालन के लिए उत्तर प्रदेश आंतरिक जलमार्ग प्राधिकरण का गठन कर दिया गया है।

    जलपाेत और क्रूज का पंजीयन की जिम्मेदारी संबंधित आरटीओ को होगी, जिन्हें रजिस्ट्रार के रूप में नई पहचान दी गई है। बताया कि जिस तरह रेलवे ट्रैक पर मालगाड़ी, यात्री ट्रेनों का संचालन कराया जाता है, ठीक उसी तरह नदियों में लगभग 120 मीटर चौड़ा कैपिटल ड्रेजिंग करते हुए चैनल तैयार किया जाएगा, जिसमें वर्षभर न्यूनतम ढ़ाई मीटर पानी का ड्राफ्ट (गहराई) की उपलब्धता बनी रहेगी।

    इसमें तीन प्रकार की एजेंसियां कार्य करेंगी, पहली एजेंसी कैपिटल ड्रेजिंग करेगी, दूसरी एजेंसी कारगो टर्मिनल एवं पैसेंजर टर्मिनल का निर्माण कराकर उसका मेंटिनेंस कराएगी। जबकि तीसरी संस्था के रूप में जलपोत एवं क्रूज के भौतिक स्थिति का निरीक्षण की जिम्मेदारी संभालेगी। आरटीओ इसमें जलपोत और क्रूज का रजिस्ट्रेशन और निगरानी की जिम्मेदारी संभालेंगे।

    पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर से लेकर वाराणसी तक गंगा में जलपोत और क्रूज का संचालन कराने की कार्ययोजना बनाई गई है। नरौरा में बैराज है, इसलिए यहां चैनल बनाया जाएगा। भविष्य में रामगंगा नदी को भी इसमें शामिल करने की संभावना तलाशी जा रही है। उन्होंने बताया कि जलमार्ग से मालवाहक जलपोतों के माध्यम से आयात-निर्यात में आने वाली लागत एक तिहाई रह जाएगी।

    एक मालवाहक जलपोत परएकबार में 38 ट्रक के माल के बराबर ढुलाई हो सकेगीइस परियोजना से पर्यटन को भी पंख लगेंगे। क्रूज में पर्यटकों को भरपूर मनोरंजन के संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। कई दिनों तक पर्यटक क्रूज पर समय बिता सकेंगे। काशी, प्रयागराज और अयोध्या में वाटर टैक्सी का संचालन कराने की कार्ययोजना बनी है। निकट भविष्य में इसे गंगा और रामगंगा में भी क्रियान्वित किए जाने की संभावना तलाशी जा रही है।

    इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 में बहुत कुछ सीखने को मिला। अंतराष्ट्रीय विशेषज्ञों और नई तकनीकों की जानकारी हुई। गंगा में बिजनौर से वाराणसी तक मालवाहक जलपोतों के संचालन के लि‍ए अति‍रि‍क्त पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्रूज संचालित कराने के लिए नई कार्ययोजना बनी है। नई तकनीकों से नदी में कैपिटल ड्रेजिंग,मेंटिनेंस ड्रेजिंग, कारगो व पैसेंजर टर्मिनल का निर्माण आसानी से हो सकेगा। वर्तमान साहिबगंज, झारखंड से एनटीपीसी बाढ़ तक कोयले का परिवहन  मालवाहक जलपोतों का संचालन पहले से हो रहा है, इसे वाराणसी के चंदासी मंडी से जोड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है। इस विषय में राष्ट्रीय आंतरिक जलमार्ग प्राधिकरण (आइडब्यूएआइ) के अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा का मौका मिला। धरातल पर उतरने के बाद यह योजना विकसित उत्तर प्रदेश 2047 का सपना साकार करने में मील का पत्थर साबित होगी

    प्रणव झा, आरटीओ प्रवर्तन