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    उझानी इंस्पेक्टर को लापरवाही बरतना पड़ा भारी, 4 घंटे तक कटघरे में रहे; आंवला के तीन साल पुराने दुष्कर्म का मामला

    Updated: Wed, 10 Jul 2024 07:13 PM (IST)

    आंवला के तीन साल पुराने दुष्कर्म के मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह को काफी समय से तलब किया जा रहा था। दुष्कर्म के इस मामले में आखिरी गवाही होना थी और उनके न पहुंचने से मामला अटका पड़ा था। अदालत ने इंस्पेक्टर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। सरकारी कार्य की अधिकता के कारण छुट्टी नहीं मिल पाने का दिया बहाना।

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    तीन साल पुराने दुष्कर्म के मामले में हुई आखिरी गवाही

    जागरण संवाददाता, बरेली। बदायूं के उझानी कोतवाली के इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह को बुधवार का दिन भारी पड़ा। कोर्ट ने गवाही देने में लापरवाही बरतने पर उन्हें चार घंटे तक कटघरे में खड़ा रखा।

    बाद में इंस्पेक्टर ने कोर्ट को इस बात का भरोसा दिलाया कि अगर अदालत कभी भी उन्हें दोबारा बुलाएगी तो बिना देरी के कोर्ट में हाजिर होंगे। तब अदालत ने उन्हें माफ किया और अंडरटेकिंग मंजूर करके गिरफ्तारी वारंट निरस्त कर दिया।

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    तत्कालीन इंस्पेक्टर को काफी समय से किया जा रहा था तलब

    आंवला के तीन साल पुराने दुष्कर्म के मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह को काफी समय से तलब किया जा रहा था। दुष्कर्म के इस मामले में आखिरी गवाही मनोज कुमार सिंह की होना थी, जिस कारण मुकदमे की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही थी। तब फास्ट ट्रैक कोर्ट- प्रथम के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने गवाह मनोज कुमार सिंह के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

    बुधवार को कोर्ट में पेश हुए इंस्पेक्टर

    आंवला पुलिस ने मनोज कुमार सिंह को गिरफ्तारी वारंट की जानकारी दे दी थी। इसके बावजूद इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे। अदालत ने इंस्पेक्टर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। बुधवार को बदायूं के उझानी थाने के इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह कोर्ट में पेश हुए।

    उन्होंने बताया कि उन्हें सरकारी कार्य की अधिकता के कारण एसएसपी कार्यालय से छुट्टी नहीं मिल पा रही थी, इसलिए वह कोर्ट में हाजिर नहीं हो सके।

    अदालत ने इंस्पेक्टर की अंडरटेकिंग को स्वीकार करके गिरफ्तारी वारंट निरस्त कर दिया। न्यायिक कार्रवाई के दौरान इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह को चार घंटे तक निरंतर कोर्ट के सामने खड़े रहना पड़ा।

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