ताजुशरिया हुए दुनिया से रुखसत, मुरीदों के सैलाब में भगदड़, पुलिस से झड़प
बरेली में बिखरी चप्पलें निशानदेही करती नजर आईं कि जनाजे में उमड़ी लाखों की भीड़ में हर शख्स ताजुशरिया की एक झलक पाने को बेचैन था, इससे भगदड़ मची।
बरेली ( जेएनएन)। आला हजरत खानदान के बुजुर्ग ताजुशरिया मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां के इंतकाल के बाद जनाजे में उमड़ी भीड़ में लोगों ने हंगामा भी किया। वाट्सएप पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद लोग भड़के गए। इसके बाद किला थाने में जमकर बवाल हुआ। पकड़े गए दो लोगो पर भीड़ हमलावर हो गई। हवालात से निकालने की कोशिश की गई। धक्कामुक्की और हाथपाई से पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। भीड़ ने सड़क की सारी दुकानें बंद करा दीं। इसी बीच मुरीदों में मची भगदड़ से अय्यूब खां चौराहे से लेकर इस्लामियां इंटर कॉलेज के आसपास चप्पलें बिखरी नजर आने लगीं, यह भगदड़ की गवाही दे रहीं थी। जनाजे में उमड़ी लाखों की भीड़ में हर शख्स ताजुशरिया की एक झलक पाने को बेचैन था। इस बेकरारी में जिसे जहां मौका मिला, उसने दौडऩे की कोशिश की। अय्यूब खां चौराहे पर बड़ीं संख्या में टूटी चप्पलें पड़ी थीं। चौपला, बस अड्डा तक सड़क यह बिखरी थीं।
भीड़ में बेहाल, दर्जनों लोग बेहोश
बारिश के बाद की उमस और बेहिसाब भीड़ में बुजुर्ग और बच्चे तो छोडि़ए नौजवान बेहाल हो गए। कोई भीड़ में फंसकर तो कोई धक्की मुक्की और आगे जाने की होड़ की वजह से चोटिल हो गया। दबने से सीने में दर्द होने लगा। समाज सेवा मंच ने ऐसे दर्जनों लोगों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। अध्यक्ष नदीम शम्सी, मुनीर शम्सी, मलिक रजा, शाजिद हुमायूं, अजहर आदि सेवा में जुटे रहे।
सिसकियां आंसू में तब्दील
दिल में मुहब्बत का सैलाब और भीगी हुई आंखें लिए लाखों का मजमा नमाज-ए-जनाजा से लेकर सुपुर्द-ए-खाक तक सूरज की तपिश, भूख-प्यास की शिद्दत व मीलों पैदल चलने की थकन भूलकर अपने पीर को विदा करने के लिए दम साधे खड़ा रहा। जैसे ही अजहरी मियां के जनाजे को कब्र में उतारकर मिट्टी दिए जाने का एलान हुआ सिसकियां आंसू में तब्दील हो गईं।
ताजुशरिया ने शुक्रवार शाम सवा सात बजे पर्दा फरमाया था। वह आला हजरत के परपोते और मुफ्ती आजम हिंद मुस्तफा रजा खां के जानशीन थे। अपने इल्म की बदौलत परचम-ए-आला हजरत को बुलंदी पर ले गए। मुफ्ती आजम हिंद की तरह ही अपने दीनी काम और किरदार से दुनियाभर में मुरीदों के दिल पर राज किया। चाहने वालों के बीच उनकादीदार सम्मान का सबब माना जाता था। यही वजह रही जब ताजुशरिया ने पर्दा फरमाया तो भीड़ सबकुछ भूलकर आखिरी दीदार के लिए दौड़ पड़ी। शनिवार को सुबह ताजुशरिया का जनाजा नमाज के लिए दरगाह आला हजरत स्थित आवास से इस्लामिया की तरफ ले जाया जाने लगा। गलियों से लेकर बाहर चौड़ी सड़क तक भीड़ इस कदर थी कि जनाजा निकालने के लिए पुलिस के साथ दरगाह के लोगों को भारी मशक्कत करना पड़ गई। जैसे-जैसे जनाजा इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान की तरफ बढ़ता रहा ताजुशरिया के आखिरी सफर में हिस्सा लेने वालों की तादाद में भी इजाफा होता चला गया।
नमाजे जनाजा से पहले ही इस्लामिया का मैदान भर चुका था। सामने राजकीय इंटर कॉलेज का मैदान आसपास की सड़कें और घरों की छतें भी भर गईं। दूर तक सड़कें लोगों से ढक गईं। फिर भी भीड़ के आने का सिलसिला चलता रहा। करीब साढ़े दस ताजुशरिया के साहबजादे एवं शहर काजी मौलाना असजद रजा खां कादरी ने जनाजे की नमाज पढ़ाई। उसके बाद जनाजे को दरगाह आला हजरत ले जाकर अजहरी गेस्ट में बनी कब्र में दफन कर दिया गया। ताजुशरिया की वसीयत भी यही थी कि उन्हें किसी वली के पास ही दफनाया जाए। फाजिले बरेलवी इमाम अहमद रजा खां आला हजरत की दरगाह अजहरी गेस्ट हाउस के ठीक सामने है। गेस्ट हाउस अब ताजुशरिया के मजार में तब्दील हो जाएगा।
दो घंटे में पहुंच पाए पूर्व मंत्री शहजिल
ऐसे लोग जिनके वाहन बे-रोक टोक सड़कों पर गुजरते। भीड़ में भी जगह मिल जाती। वह भी भीड़ में घंटों फंसे रहे। पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम घर से अपनी गाड़ी से निकले। भीड़ में फंस गए। पूरे दो घंटे की मशक्कत के बाद वह इस्लामियां इंटर कॉलेज मैदान तक पहुंच पाए। जनाजे में पहुंचने वाले हर आम और खास को इसी मशक्कत से गुजरना पड़ा।