इस बार चित्रा नक्षत्र में शुरू हो रहे नवरात्र, दुर्गा मां की आराधना से मिलेगा बल, जानें शुभ मुहूर्त
Navratri 2021 शारदीय नवरात्र यानी मां दुर्गा के पवित्र नौ दिन इस बार चित्रा नक्षत्र से शुरू हो रहे हैं। हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप का पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।आचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि इस साल नवरात्र आठ दिन के हैंं।

बरेली, जेएनएन। Navratri 2021 : शारदीय नवरात्र यानी मां दुर्गा के पवित्र नौ दिन इस बार चित्रा नक्षत्र से शुरू हो रहे हैं। हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप का पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य आचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि इस साल शारदीय नवरात्र आठ दिन के है, क्योंकि इस बार चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है। इसलिए तीसरे दिन मां चंद्रघंटा और कुष्मांडा की पूजा भी एक ही दिन होगी। बताया कि चित्रा नक्षत्र में नवरात्र शुरू होने से साधना, साहस व संतोष का बल मिलता है। सात अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र 14 अक्टूबर तक रहेंगे और 15 अक्टूबर को विजयदशमी यानी दशहरा मनाया जाएगा।
इस बार मां दुर्गा की सवारी होगी डोलीः देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि वार के अनुसार मां दुर्गा किस चीज की सवारी कर पृथ्वी लोक में आएंगी। अगर नवरात्र की शुरुआत सोमवार या रविवार से होती है तो मां हाथी पर सवार होकर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को मां अश्व और नवरात्र गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होते हैं तो माता डोली पर सवार होकर आएंगी। यही कारण है कि मां इस बार डोली पर सवार होकर आएंगी।
घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्तः नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना के साथ देवी मां का पूजन शुरू किया जाता है। 7 अक्टूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:17 से 7:07 मिनट तक है। इसके बाद मध्यान्ह काल में अभिजीत मुहूर्त 11:44 से 12:31 तक रहेगा। इन मुहूर्तो में की गई घट स्थापना शुभकारी और मंगलकारी रहेगी।
पितृ अमावस्या ब्रह्म योग में रहने से रहेगी अनंंत पुण्य दायिनीः सर्व पितृ अमावस्या 6 अक्टूबर को है। इस बार की अमावस्या में ब्रह्म योग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार ब्रह्म योग में की गई पूजा अनंत गुना फलदाई होती है। जो यश, वैभव, रिद्धि-सिद्धि समृद्धि में वृद्धि कराती है। धार्मिक दृष्टि से यह श्राद्ध का अंतिम दिन होता है।आचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि शास्त्रों में आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मोक्षदायिनी अमावस्या और पितृ विसर्जनी अमावस्या कहा गया है। इस दिन मृत्यु लोक से आए हुए पितृजन वापस लौट जाते हैं। जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर अपने पितरों को विदा करता है उसके पितृ देव उसके परिवार में खुशियां भर देते हैं।
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