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    व्यवस्था शून्य! प्रमाण पत्र बनवाने पहुंचे दिव्यांगों के लिए कुर्सियां पड़ी न खुला गेट, सीएमओ के आदेश बेअसर

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 04:55 PM (IST)

    जिले में दिव्यांगों को प्रमाण पत्र बनवाने में भारी परेशानी हो रही है। सीएमओ के आदेश के बावजूद, उनके लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। कुर्सियां तक उपलब्ध नहीं हैं, और अस्पताल का गेट भी नहीं खोला गया। दिव्यांगों को बिना प्रमाण पत्र बनवाए ही वापस लौटना पड़ा, जिससे उन्हें काफी निराशा हुई।

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    जागरण संवाददाता, बरेली। जिला अस्पताल स्थित सीएमओ कार्यालय में सोमवार को दिव्यांगों की भीड़ अधिक नजर आई। प्रमाण पत्र बनवाने के लिए वह लाइन में खड़े होने के लिए मजबूर नजर आए। इनमें से कई तो सीधे बैठने की स्थिति में भी नहीं थे, इसलिए उनके स्वजन ने फर्श पर लिटा रखा था या दीवार का सहारा देकर फर्श पर बैठा रखा था।

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    इसके बावजूद दिव्यांगों की सुविधा के लिए सीएमओ कार्यालय का सड़क की तरफ खुलने वाला गेट खोला गया, जिससे उन्हें जिला अस्पताल के मुख्य गेट से घूमकर नहीं आना पड़े। नहीं उनके लिए वहां कुर्सियां बिछवाई गई। समाजसेवी नदीम शम्सी ने इसकी शिकायत सीएमओ से की। सीएमओ ने कर्मचारी को बुलाकर व्यवस्था बनाने के लिए निर्देशित किया, लेकिन वह भी कोई व्यवस्था कराए बगैर गायब हो गया।

    जिला अस्पताल स्थित सीएमओ कार्यालय में हर सोमवार को दिव्यांगों के प्रमाणा पत्र बनाने के लिए मेडिकल बोर्ड बैठता है। प्रमाण पत्र बनवाने की आस लिए पूरे जिले से दिव्यांग और उनके स्वजन यहां पर आते हैं, लेकिन हर सोमवार को यहां अफरा-तफरी की स्थिति बनी रहती है। दिव्यांगों की सुविधा की ओर सिस्टम के अधिकारियों का ध्यान ही नहीं जाता है।

    इसके चलते दिव्यांगों को यहां हर सोमवार को परेशानी का सामाना करना पड़ता है। मीरगंज के एक गांव से आई 18 वर्ष की दोनों पैरों से दिव्यांग युवती बगैर सहारे के एक कदम नहीं सकती थी। दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए वह अपनी मां की गोद में लेटी थी। ऐसे में वहां आने-जाने वाली भीड़ के धक्के भी खा रही थी। इसके अलावा तमाम बुजुर्ग, जिनको ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा था।

    भूखे-प्यासे सुबह से ही मीलों दूर से यहां आ गए थे और प्रमाणपत्र बनवाने के लिए घंटों मशक्कत करते हुए दिखाई दिए। संवदेनहीनता की चरम यह है कि विभागीय अधिकारी यह तस्वीर हर सोमवार को अपने सामने देखते हैं लेकिन इन दिव्यांगों को लेकर उनके दिल में कोई हुक भी पैदा नहीं हो रही है। शायद यही वजह है कि लंबे समय से चला आ रहा यह सिस्टम अपने ढर्रे को बदलने को तैयार नहीं है।

    हालांकि सोमवार को समाजसेवी नदीम शम्शी जब यहां पहुंचे तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने दफ्तर में बैठे सीएमओ डा. विश्राम सिंह से दिव्यांगों के हाल पर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि भूखे-प्यासे दिव्यांग के लिए न तो कुर्सियां है और न ही बेंच। परिसर भी छोटा है। वहीं पास में सरकारी गाड़ियां खड़ी रहती हैं। कोई दिव्यांग रिक्शा से आता है तो उनके के लिए बने कक्ष तक जाने में दिक्कत होती है।

    सीएमओ ने इसका तत्काल संज्ञान भी लिया और एक कर्मचारी को बुलाकर निर्देशित किया कि दिव्यांगों के लिए फौरन कुर्सियां डलवाईं जाएं। साथ ही वहीं पास में वित्त एवं लेखाधिकारी की ओर बने गेट को भी खुलवाया जाए। कर्मचारी ने यह सुन तो लिया, लेकिन बाहर निकलने के बाद उसका कोई अनुपालन नहीं किया।

     

    दिव्यांगों की दिक्कत को लेकर मैंने सीएमओ से शिकायत की थी लेकिन उनके निर्देश के बावजूद दिव्यांगों के लिए न कुर्सियां डाली गईं और न ही पास का गेट खोला गया। जल्द ही इसकी शिकायत फिर से की जाएगी।

    - नदीम शम्सी, समाजसेवी


    दिव्यांगों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए व्यवस्था को बेहतर बनाया जाएगा। इसके लिए जल्द ही मातहतों को बुलाकर भी चर्चा करने के साथ जरूरी निर्देश भी दिए जाएंगे।

    - डा. विश्राम सिंह, सीएमओ