बरेली [वसीम अख्तर] : प्राचीन काल में जिला पांचाल का हिस्सा था। रुहेलों के आने से पहले यहां कठेरिया राजपूतों का अधिपत्य था। 1500 ईसवी में राजा जगत सिंह कठेरिया ने राज्य की स्थापना जगतपुर से की थी। यह जगह अब एक मुहल्ले के तौर पर पहचानी जाती है। रुहेलखंड के इतिहास पर लिखी पुरानी किताबों में इसका हवाला मिलता है। बकायदा आबाद करने की तिथि को लेकर थोड़ा विरोधाभास है।
अब्दुल अजीज खां आसी ने अपनी किताब ‘तारीख-ए-रुहेलखंड’ में 1537 लिखा है, जबकि कुछ किताबों में 1536 का जिक्र आया है। उसी दौरान मुहल्ला कोट में एक किला बनाने की बात भी लिखी गई है लेकिन, मौके पर अब किले के निशान मिट चुके हैं। हां, कोट मुहल्ले में एक पीली कोठी जरूर है, जिसे राजा जगत सिंह की कोर्ट के रूप में पहचाना जाता है। यहां अब कुछ मुस्लिम परिवार रहते हैं। मुहल्ले के बुजुर्गो से बातचीत पर साफ होता है कि राजा जगत सिंह ने कोठी का निर्माण कराया था। वह यहां अपनी अदालत लगाया करते थे। इसी वजह से यह मुहल्ला कोट कहलाता है।
मुहल्ला कोट बारादरी थाने से पहले पुराना शहर को जाते समय बाएं हाथ पर पड़ता है। युवाओं को मुहल्ले के इतिहास के बारे में न के बराबर जानकारी है। हां, बुजुर्गो को थोड़ा-बहुत याद है। जिन्हें याद है, वे इस बात पर इत्तेफाक रखते हैं कि मुहल्ले में राजा जगत सिंह का किला या कोर्ट थी। जिसमें बैठकर सुनवाई किया करते थे। जहां से जगत सिंह कठेरिया ने अपना राज्य शुरू किया, उस जगतपुर की बात करें तो मुहल्ला कोट से उसकी दूरी ढाई किमी है। इतिहास की किताबों में ऐसा कोई हवाला नहीं मिलता, जिससे कि यह साफ हो सके कि जब जगतपुर से राज्य स्थापित किया तो फिर उससे दूर मुहल्ला कोट में किला या कोर्ट की स्थापना क्यों की?
राजा जगत सिंह के बेटे के नाम पर जिले का नाम बरेली
इस बात की पुष्टि इतिहास की किताबों से होती है कि जिले का नाम बरेली राजा जगत सिंह के बेटे के नाम पर ही पड़ा। पहले यह बारैहली और फिर बांस बरेली से होकर अब बरेली के रूप में दर्ज है। राजा जगत सिंह से यह इलाका मुगलों ने 1569 ईसवी में छीन लिया। उससे पहले सल्तनत काल में सुल्तान फिरोज शाह के अधिकार क्षेत्र में भी रहा लेकिन तब भी इसका नाम बरेली ही रहा।
मुगलिया दौर की कई निशानियां मौजूद
जगतपुर की बात करें तो वहां भी इस जगह को आबाद करने वाले राजा जगत सिंह की कोई निशानी नहीं मिलती। हां, उसके बाद मुगलिया दौर की कई निशानियां मौजूद हैं। मुहल्ला कोट में 500 साल पुरानी मस्जिद चिराग अली शाह है। इस मस्जिद को हजरत चिराग अली शाह ने बनवाया था। मस्जिद में ही उनकी मजार मौजूद है। वहां एक तख्ती भी मौजूद है, जिस पर मजार की तारीख लिखी है।
अकबर के सेनाधिकारी ने पराजित किया
कराची से 1963 में प्रकाशित अब्दुल अजीज खां आसी ने अपनी किताब तारीख-ए-रुहेलखंड में लिखा है कि राजा जगत सिंह के दोनों बेटे बांसदेव और नागदेव हुमायूं के दौर में मारे गए। तब कठेरिया वंश के किले को भी ध्वस्त कर दिया। रजा लाइब्रेरी रामपुर से प्रकाशित किताब ‘रुहेलखंड 1857 में’ जिक्र आया है कि राजा जगत सिंह के जिन बेटे वासुदेव बड़ल के नाम पर पर जिले का नाम बरेली पड़ा, उन्हें मुगल सम्राट अकबर के सेनाधिकारी अब्बास अली खां गर्गशशी ने 1569 ईसवी में आक्रमण करके पराजित किया था।
मुहल्ले के बारे में जानकारी देते स्थानीय नागरिक।
यहां लगती थी कचहरी
टेलरिंग का काम करने वाले फिरोज खां अपने बुजुर्गो से सुनी बातों का हवाला देकर बताते हैं कि मुहल्ले में राजा जगत सिंह की कचहरी लगती थी। वह यहां बैठकर विभिन्न मामलों को लेकर फैसले किया करते थे।
इतिहासकार खोजें किला
कपड़ा व्यवसायी हाजी नईमुल्ला खां का कहना है कि इतिहासकारों को भी खोजना चाहिए, जिन राजा जगत सिंह के बेटे के नाम पर जिले का नाम बरेली पड़ा, उनका किला कहां था।
बड़ी खूबी कौमी एकता
वाहिद हुसैन, मुहल्ला जगतपुर काफी बड़ा क्षेत्र है। बुजुर्गो से सुना है, इसे राजा जगत सिंह ने बसाया था। मेरी पैदाइश यहीं हुई। मैंने यहां की सबसे बड़ी खूबी कौमी एकता की देखी है। हिंदू-मुस्लिम मिलीजुली आबादी है।
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