तौकीर का कदम नया नहीं, दरगाह खानदान का राजनीति से पुराना जुड़ाव
दरगाह आला हजरत परिवार के सदस्य एवं इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल (आइएमसी) अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां कांग्रेस को समर्थन दे चुके इसके बाद राजनीति गर्म है। खानदान का राजनीति से जुड़ाव नया नहीं है। इससे पहले भी कई सदस्य सक्रिय राजनीति में रह चुके हैं।

जागरण संवाददाता, बरेली : दरगाह आला हजरत परिवार के सदस्य एवं इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल (आइएमसी) अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां कांग्रेस को समर्थन दे चुके, इसके बाद राजनीति गर्म है। खानदान का राजनीति से जुड़ाव नया नहीं है। इससे पहले भी कई सदस्य सक्रिय राजनीति में रह चुके हैं। प्रदेश में सपा और बसपा सरकार के दौरान नजदीकियां रहीं। कांग्रेस से भी संपर्क बना रहा था। अर्से बाद अब एक बार फिर मौलाना तौकीर रजा कांगे्रस के साथ हैं।
वर्ष 1975 में दरगाह आला हजरत से नसबंदी के खिलाफ आवाज बुलंद हुई थी, बाद में दरगाह के सज्जादानशीन मौलाना रेहान रजा खां को कांग्रेस सरकार ने एमएलसी बनाया था। वह चार सत्र तक लगातार इस जिम्मेदारी पर रहे। उनके बाद बेटे मौलाना तौकीर रजा खां ने सात अक्टूबर 2001 को आइएमसी की स्थापना की। समाजसेवा के लिए बनाया गया एक संगठन वर्ष 2004 में राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत करा लिया गया। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में आइएमसी ने कांग्रेस का साथ दिया। वर्ष 2012 के चुनाव में पार्टी 25 सीटों पर अपने प्रत्याशी मांग रहे थे मगर, कांग्रेस ने प्रस्ताव नामंजूर कर दिया। जिसके बाद आइएमसी ने मंडल में प्रत्याशी उतारे थे। भोजीपुरा सीट पर पार्टी के विधायक बने, बाकी सीटों पर अच्छे मत मिले थे। तौकीर रजा बदायूं के बिनावर सीट और बरेली की कैंट सीट से चुनाव लड़ चुके मगर, जीते नहीं। उनके भाई तौसीफ रजा पीलीभीत से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं।
खानदान के बुजुर्ग मन्नान रजा खान को मिले थे 22,876 वोट
वर्ष 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में आला हजरत खानदान के सदस्य मन्नान रजा खां ने बरेली सीट से चुनाव लड़ा था। उन्हें 22, 876 वोट मिले थे। उस चुनाव में भाजपा के संतोष गंगवार जीते थे।
दरगाह के दो लोगों को मिल चुके पद
वर्ष 2007 में बसपा की सरकार के वक्त दरगाह के सज्जादानशीन अहसन रजा खां को मदरसा बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था। उस वक्त उन्हें सरकार ने लाल बत्ती दी थी। वर्ष 2012 की सपा की सरकार में पहले दरगाह से जुड़े आबिद रजा को आयोग का सदस्य बनाया गया। बाद में तौकीर रजा खां के हथकरघा आयोग का सदस्य बनाया गया था।
आरएसी भी रही है राजनीति में सक्रिय
आल इंडिया रजा एक्शन कमेटी भी राजनीति में सक्रिय रही है। इसके नायब सदर मौलाना अदनान रजा बीते दिनों लखनऊ में अखिलेश यादव से मिले हैं।
जमात रजा ए मुस्तफा के उपाध्यक्ष का फोटो हुआ था वायरल
जमात रजा ए मुस्तफा दरगाह का सबसे पुराना धार्मिक संगठन है। यह वर्ष 1920 से चल रहा है। इसके उपाध्यक्ष सलमान हसन का फोटो कुछ समय पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ वायरल हुआ था। खानदान के बुजुर्ग मन्नान रजा खां ने विरोध भी किया था। इस पर सलमान हसन का कहना था कि वह मुस्लिमों के कुछ मुद्दों पर मुख्यमंत्री से मिले थे।
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