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    बावरिया गैंग का 50 हजार का इनामी एसटीएफ ने राजस्थान से दबोचा

    By Jagran News NetworkEdited By: Nitesh Srivastava
    Updated: Fri, 20 Jun 2025 07:42 PM (IST)

    वर्ष 2009 में भोजीपुरा में डकैती करने वाले बावरिया गैंग के 50 हजार के इनामी सतीश उर्फ मनीष को एसटीएफ ने राजस्थान के अलवर से दबोच लिया। वह नाम पता छिपाकर अलवर के खेरथल में आटो चला रहा था। पूछताछ में डकैत ने यह स्वीकारा है कि, उसने अपने सात साथियों के साथ मिलकर भोजीपुरा और देवरनिया में डकैती की थी।

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    जागरण संवाददाता, बरेली : वर्ष 2009 में भोजीपुरा में डकैती करने वाले बावरिया गैंग के 50 हजार के इनामी सतीश उर्फ मनीष को एसटीएफ ने राजस्थान के अलवर से दबोच लिया। वह नाम पता छिपाकर अलवर के खेरथल में आटो चला रहा था। पूछताछ में डकैत ने यह स्वीकारा है कि, उसने अपने सात साथियों के साथ मिलकर भोजीपुरा और देवरनिया में डकैती की थी। देवरनिया में डकैती के दौरान कुछ व्यक्ति को अधमरा भी कर दिया था।

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    भोजीपुरा व देवरनिया में डकैती के बाद सतीश फरार हो गया। लोकल पुलिस, एसओजी की टीमों ने उसे काफी तलाशने का प्रयास किया लेकिन उसका कुछ भी पता नहीं चला। उस पर इनाम घोषित होने के बाद भी उसके बारे में किसी को भी जानकारी नहीं हो सकी। इसके बाद पुलिस ने सतीश पर 50 हजार का इनाम घोषित किया और एसटीएफ को सक्रिय किया तो एसटीएफ ने अपने सभी खबरियों के काम पर लगा दिया।

    16 वर्ष बीतने के बाद भी सतीश पकड़ में नहीं आ सका था। एसटीएफ को जानकारी मिली कि आरोपित डकैत सतीश इस समय राजस्थान के अलवर में है और वह खेरथल में आटो चला रहा है। सूचना पर बरेली से एसटीएफ के दारोगा धूम सिंह, कांस्टेबल संदीप, कुलदीप, अरुण, संजय यादव व मनोज राजस्थान पहुंच गए। सूचना के आधार पर एसटीएफ ने आरोपित सतीश को हरसौली फाटक के पास से गिरफ्तार कर लिया।

    पूछताछ में उसने बताया कि, वह घुमंतू अपराधी गिरोह का सदस्य है। यह गिरोह अलग-अलग राज्यों में घूमकर लूट डकैती चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। आरोपित ने यह भी स्वीकारा कि उसने वर्ष 2009 में बरेली में भोजीपुरा व देवरनियां में अपने सात साथियों के साथ मिलकर डकैती की घटनाओं को अंजाम दिया था। देवरिनया में डकैती के दौरान कुछ लोगों को पीटकर गंभीर रूप से घायल भी किया था।

    क्या है इनके अपराध का तरीका

    जानकारी के मुताबिक, गिरोह के सभी सदस्य जब भी किसी घर में घटना को अंजाम देने के लिए घुसते तो सबसे पहले पीड़ित को पीटना शुरू कर देते। उसे पीट-पीटकर अधमरा कर देते और उसके बाद लूट डकैती जैसी घटनाओं को अंजाम देते थे। पूर्व में इस गिरोह की काफी दहशत थी। बताया जा रहा है कि यह गिरोह अधिकांश आवासीय क्षेत्रों में ही घटना को अंजाम दिया करता था। बहरहाल अब इस गैंग के अधिकांश लोग जेलों में हैं।

    नाम पता बदलकर चले जाते हैं दूसरी जगह

    पूछताछ में सामने आया कि आरोपित जिस राज्य में चार-पांच घटनाओं को अंजाम दे देते थे उसके बाद वहां से फरार होकर किसी दूसरे राज्य में चले जाया करते थे वहां पर नाम पता और सभी दस्तावेज बदलकर रहने लगते। सबसे महत्वपूर्ण बात इस गिरोह के लोग फोन का इस्तेमाल नहीं करते। सतीश के परिवार में उसकी माता-पिता, पत्नी और बच्चे हैं।

     

    यह है सतीश का आपराधिक इतिहास

    सतीश के विरुद्ध कुल सात मामले दर्ज हैं। इसमें से बरेली के भोजीपुरा व देवरनिया थाने में दो मामले, आगरा के अछनेरा में एक और बिजनौर की शहर कोतवाली में चार मुकदमें पंजीकृत है। इसके बाद भी अभी तक यह पकड़ में नहीं आया था।

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