स्ववित्तपोषित कोर्स में अब नहीं चलेगी मनमानी
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जागरण संवाददाता, बरेली : अब स्ववित्तपोषित कोर्स में सहायता प्राप्त कॉलेजों की मनमानी नहीं चल सकेगी। कई बार कहने पर भी खातों का ऑडिट न कराने पर शासन ने सख्त रुख अपनाया है। ऐसे सभी कॉलेजों को 30 जून तक इन कोर्स के खातों का ऑडिट कराना होगा, साथ ही इसकी रिपोर्ट विश्वविद्यालय के माध्यम से शासन को भेजना जरूरी होगा। इसके साथ ही शिक्षकों की नियुक्ति और वेतनमान आदि के संबंध में भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
शासन ने 23 अगस्त 2011 को निर्देश जारी कर स्ववित्त पोषित कोर्स के खाते अलग करने को कहा था। साथ ही इनका वार्षिक ऑडिट भी कराने के लिए कहा गया था, लेकिन अधिकतर महाविद्यालयों में इसका पालन नहीं किया जा रहा था। इसके चलते विशेष सचिव मुरली मनोहर लाल ने सभी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों को आवश्यक रूप से स्ववित्तपोषित कोर्स का अलग खाता खोलने और उनका ऑडिट 30 जून तक कराने का आदेश दिया। ऐसा न कराने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही। इसके साथ ही ऐसे कोर्स में शिक्षकों की नियुक्ति और उनके मानदेय के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
अनियमितता की थी शिकायत -
स्ववित्तपोषित कोर्स में छात्रों से फीस के नाम पर मोटी रकम की वसूली की जाती है। ऐसे कोर्स अधिकतर रोजगारपरक हैं, जिसके चलते छात्रों की संख्या भी खूब रहती है। वहीं इनमें पढ़ाने के लिए नियमानुसार शिक्षकों की नियुक्ति न करने की भी बात कही जा रही थी। सूत्रों की मानें तो उक्त शिकायतों के चलते विशेष सचिव ने इन पर दोबारा सख्ती करते हुए निर्देश जारी किए हैं।
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पूर्व में स्ववित्तपोषित कोर्सो के खाते का ऑडिट कराने का निर्देश दिया गया था, लेकिन कई सहायता प्राप्त महाविद्यालय ऑडिट नहीं करा रहे थे। इसके चलते दोबारा विशेष सचिव ने निर्देश जारी किए हैं।
-डॉ.केएन पांडेय, कुलसचिव
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