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मुहल्लानामा : रामलीला ने दिलाई शोहरत, नेताजी के नाम पर पड़ा मुहल्ले का नाम Bareilly News

उस दौर में मंदिर के समीप रामगंगा नदी होकर बहती थी जिसके प्रमाण कुछ वर्ष पूर्व मंदिर में लगे नलकूप की खोदाई के दौरान मिले हैं।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Thu, 15 Aug 2019 02:24 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 05:47 PM (IST)
मुहल्लानामा : रामलीला ने दिलाई शोहरत, नेताजी के नाम पर पड़ा मुहल्ले का नाम Bareilly News
मुहल्लानामा : रामलीला ने दिलाई शोहरत, नेताजी के नाम पर पड़ा मुहल्ले का नाम Bareilly News

बरेली, जेएनएन : शहर में रेलवे लाइन पार बसे सुभाष नगर की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी है, जो यहां होने वाली रामलीला ने दिलाई है। मुहल्ले का नाम सुभाष नगर भी क्षेत्र के लोगों ने आपसी सहमति से नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा।

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इससे पहले तक यह क्षेत्र शहर में लाइन पार या सिविल लाइंस-दो के नाम से जाना जाता था। आज भी सरकारी दस्तावेजों में सुभाष नगर का सड़क के इस पार का हिस्सा न्यू सिविल लाइंस में आता है, जबकि शेष हिस्सा सुभाष नगर में है। यही वजह है कि यहां पर दो तरह के सर्किल रेट चलन में हैं।

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क्षेत्र की दूसरी पहचान यहां स्थित श्री तपेश्वरनाथ मंदिर से है, जो नाथ नगरी के प्रमुख मंदिरों में से एक है। मंदिर का इतिहास भी लगभग 250 वर्ष से अधिक पुराना है। बताया जाता है, उस दौर में मंदिर के समीप रामगंगा नदी होकर बहती थी, जिसके प्रमाण कुछ वर्ष पूर्व मंदिर में लगे नलकूप की खोदाई के दौरान मिले हैं।

क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले रामगंगा में जब बाढ़ आती थी, तो वर्तमान में बाजपेई ढाल के नीचे तक सब कुछ पानी में डूब जाता था। पहले ढाल के नीचे सिर्फ नागफनी के पौधे होते थे। पूरा रेत का मैदान था, जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के समय में चांदमारी थी। वर्तमान में भी यह जगह चांदमारी के नाम से ही जानी जाती है, लेकिन अब यहां पर पूरी तरह आबादी बसी हुई है। इसके अतिरिक्त तिवारी मंदिर का अखाड़ा, झांझन की बगिया, खन्ना बिल्डिंग, शेर सिंह बिल्डिंग, मित्तल बिल्डिंग आदि क्षेत्र की पहचान है।

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पहले चांदमारी में ही बनी थी पुलिस चौकी 

सुभाष नगर की पुलिस चौकी पहले इसी चांदमारी में बनी हुई थी। बाकायदा यहां पर पुलिस वाले तैनात रहते थे। आजादी के बाद कुछ समय के लिए यह नेकपुर में स्थापित हुई, जो कि अब सिविल लाइन क्षेत्र में थाना सुभाष नगर के बराबर में बनी है।

कथावाचक राधेश्याम की रही कर्मस्थली

बदायूं रोड स्थित चौरासी घंटा मंदिर से थोड़ा आगे कथा वाचक राधेश्याम की बगिया हुआ करती थी। बताया जाता है कि तांगे में बैठकर वह प्रतिदिन अपनी बगिया में आकर घंटों रियाज करते थे और किताबें आदि लिखते थे। माना जाता है कि उन्होंने रामायण भी अपनी इसी कर्मस्थली पर लिखी।

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कनाडा की पामेला ने किया है उनकी रामलीला पर शोध

शहर में सुभाष नगर ही एक मात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां पर कथावाचक राधेश्याम की रामायण पर रामलीला का मंचन होता है। उनकी रामलीला पर शोध करने के लिए कनाडा की पामेला कई वर्ष लगातार सुभाष नगर की रामलीला में आईं।

लाइन पार के नाम से जाना जाता था क्षेत्र

सेवानिवृत्त बैंक कर्मी भीमसेन शर्मा ने कहा कि मुहल्ले का नाम क्षेत्र में रहने वाले रोडवेज से सेवानिवृत्त स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखने का सुझाव दिया। इससे पहले तक यह क्षेत्र लाइन पार या सिविल लाइन दो के नाम से जाना था। फिर सुभाष क्लब के नाम से हॉकी और फुटबाल की टीमें बनी, जिन्होंने नैनीताल तक जाकर कई मैच खेले। हॉकी टीम में स्वयं भी शामिल रहे। उस दौर में वर्ष 1964 में यूपी की टीम से हॉकी खेलने का भी मौका मिला।

नागफनी के पौधे और रेत के टीले होते थे

पूर्व पार्षद और मंत्री सुभाष नगर रामलीला सभा के अालोक तायल ने बताया कि सुभाष नगर की पहचान रामलीला की शुरुआत सेंट्रल बैंक के पास से हुई। उस समय रामलीला मैदान में नागफनी के पौधे और ऊंचे-ऊंचे रेत के टीले हुआ करते थे। रामलीला की शुरुआत गौरीशंकर, भैरव प्रवाद, हजारी लाल, बाला प्रसाद शुक्ला ने मिलकर की। बताते हैं वर्ष 1947 में तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत के डीएम ने रामलीला मैदान में लीला करने की इजाजत दी। उस समय तख्त डालकर स्टेज बनाकर रामलीला होती थी। 

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नेताजी के नाम पर क्लब का नाम 

पूर्व एमएलसी और सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रमेश चंद्र शर्मा ‘विकट’ ने कहा कि मुहल्ले का नाम नेता जी के नाम पर रखा गया। क्षेत्र में बने पहले क्लब का नाम भी उनके नाम रखा गया। क्षेत्र से पहला एमएलसी होने का सौभाग्य मिला। बतौर शिक्षक विधायक के तौर पर विधान परिषद तक का सफर तय किया। बाजार में बना हनुमान मंदिर भी एक सरदार करतार सिंह ने बनवाया। पहले यहां पर एक कुआं भी हुआ करता था, जिस पर वह सरदार जी बैठकर भजन आदि करते थे।


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