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    Ram Navami Special: बच्‍चों के मन में राम नाम के बीज बो रहे लैप्रोस्‍कोपिक सर्जन डा. बृजेश यादव

    By Vivek BajpaiEdited By:
    Updated: Sun, 10 Apr 2022 02:10 PM (IST)

    बाल मन में राम नाम की यह अलख लैप्रोस्कोपिक सर्जन डाक्टर बृजेश यादव प्रतियोगिताओं के माध्यम से जगा रहे हैं। सनातन संस्कृति का बाल मन में बीजरोपण करने क ...और पढ़ें

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    डा. बृजेश के अस्पताल में श्रीराम और हनुमान की बड़ी तस्‍वीर लगी है।

    बरेली, (पीयूष दुबे)। बच्चों, आज एक प्रतियोगिता होगी, जिसमें आपको मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित श्रीरामचरितमानस से प्रश्न पूछे जाएंगे। श्रीरामचरितमानस पर आधारित इस प्रतियोगिता में जो सबसे अच्छे अंक लाएंगे, उन बच्चों काे पुरस्कार दिए जाएंगे। अब हम जो बताने जा रहे हैं उसे ध्यान से सुनना, जिससे कि आप प्रश्नों के सही उत्तर दे सकें। इस संवाद के बाद बच्चों को श्रीरामचरितमानस और उससे जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां बच्चों को दी जाती हैं। इसके बाद श्रीराम से संबंधित तमाम सवाल बच्चों से पूछे जाते हैं, जिनका उत्तर बच्चे बेहद ढंग से देते हैं। इससे बच्चों के कोमल मन पर श्रीराम के चरित्र की अमिट छाप अंकित हो जाती है।

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    बाल मन में राम नाम की यह अलख लैप्रोस्कोपिक सर्जन डाक्टर बृजेश यादव प्रतियोगिताओं के माध्यम से जगा रहे हैं। सनातन संस्कृति का बाल मन में बीजरोपण करने की शुरुआत डा. बृजेश ने फरवरी 2017 में मानस सेवा समिति के माध्यम से की थी। सबसे पहले उन्होंने हनुमान के बड़ा बाग मंदिर में मानस प्रतियोगिता का आयोजन कराया था, जो अब तक सौ प्रतियोगिताओं से ऊपर पहुंच चुका है। एक प्रतियोगिता में करीब सौ से छह सौ बच्चे तक शामिल होते हैं। अब तक हुईं प्रतियोगिताओं में सबसे ज्यादा बच्चे बदायूं के बेहटा गुंसाई और शाहजहांपुर के अजीजपुर गांव में आयोजित प्रतियोगिता में शामिल हुए थे। इसमें कान्वेंट शिक्षा लेने बच्चों को भी शामिल किया जाता है, जिससे उन्हें सनातन संस्कृति से अवगत कराया जा सके।

    दो वर्गों में होती है प्रतियोगिता: प्रतियोगिता में शामिल होने वाले बच्चों को दो वर्गों में बांटा जाता है, आठ साल से कम और आठ से 16 साल तक के बच्चे। प्रतियोगिता में शामिल बच्चों को 50 प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। लिखने में छोटे बच्चों से मौखिक पूछ लेते हैं और उन्हें इसके बदले टाफी, बिस्किट, चाकलेट आदि देते हैं। प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के तीन सांस्त्वना पुरस्कार दिये जाते हैं।

    राम सा चरित्र होने से पूरी होगी रामराज्य की परिकल्पना: अक्सर रामराज्य की परिकल्पना तो लोग करते हैं लेकिन उसे साकार करने की युक्ति कम लोग ही जानते हैं। डा. बृजेश यादव का कहना है कि लोगों का चरित्र राम की तरह होने से रामराज्य की परिकल्पना पूरी होगी। सबसे पहले अपनी पीढ़ी को राम की तरह चरित्रवान बनाना होगा, इसके लिए राम के बारे में बच्चों को बताने के हरसंभव प्रयास करता हूं।

    जन्म लेते ही बच्चों को सुनाते राम का नाम: डा. बृजेश के अस्पताल में श्रीराम और हनुमान की बड़ी तस्‍वीर लगी है। वह बच्चों के जन्म लेने के बाद उसे श्रीराम का नाम सुनाते हैं। उसे राम नाम जीवन में कभी न भूलने की सीख देते हैं।