Rajendra Prasanna Interview: बांसुरी महोत्सव से ऐसे मिली पीलीभीत को पहचान, इसके अलावा इन सवालो के भी दिए जवाब
Rajendra Prasanna Interview बांसुरी नगरी में चार दिवसीय बांसुरी वादन कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे प्रख्यात बांसुरी वादक पंडित राजेंद्र प्रसन्ना ने जीवन में संगीत को अपनाने पर बल दिया। प्रस्तुत है दैनिक जागरण के साथ उनकी बातचीत के प्रमुख अंश...

पीलीभीत, जागरण संवाददाता: बांसुरी नगरी में चार दिवसीय बांसुरी वादन कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे प्रख्यात बांसुरी वादक पंडित राजेंद्र प्रसन्ना ने जीवन में संगीत को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संगीत जीवन में मानसिक व आत्मीय शांति का प्रमुख माध्यम है।
स्पिक मैके के तत्वावधान में आयोजित बांसुरी वादन श्रृंखला के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए बताया कि बच्चों में बांसुरी के प्रति अनुराग उत्पन्न करना है। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ संगीत सीखने के बारे में समझाना है। प्रस्तुत हैं दैनिक जागरण के साथ उनकी बातचीत के प्रमुख अंश...
प्रश्न: करीब एक वर्ष में लगातार तीसरी बार जनपद में आना हुआ है। इस बार कार्यक्रमों में प्रस्तुति के दौरान प्रमुख उद्देश्य क्या रहेगा?
उत्तर: मैंने बरेली में काफी समय व्यतीत किया है। 70 के दशक में बांस व बांसुरी खरीदने के लिए पीलीभीत आता रहता था। पीलीभीत से हमेशा लगाव रहा। इस बार स्पिक मैके के बैनर तले कार्यक्रम हो रहे हैं। प्रमुख उद्देश्य स्कूली बच्चों में बांसुरी वादन व संगीत के प्रति समझ विकसित कर उन्हें सीखने के लिए प्रेरित करना है।
प्रश्न: नई पीढ़ी बांसुरी वादन में कैसे रुचि विकसित कर सकती है?
उत्तर: सबसे मुख्य है संगीत में रुचि विकसित करना। हर बच्चे के अंदर कलाकार छिपा रहता है। बस उसे पहचानने व निखारने की जरूरत होती है। बच्चों को पढ़ाई के साथ संगीत सीखना चाहिए। सुर व ताल की गंभीरता से समझ विकसित करनी चाहिए जिससे प्रस्तुतिकरण बेसुरा न हो।
प्रश्न: बांसुरी महोत्सव ने देशव्यापी स्तर पर बांसुरी नगरी को किस प्रकार पहचान दिलाई?
उत्तर: पीलीभीत के बांस व बांसुरी के बारे में अधिकतर कलाकार जानते हैं। बांसुरी महोत्सव बांसुरी नगरी की पहचान विकसित करने में अहम रहा। बड़े-बड़े बांसुरी वादक व अन्य कलाकार कार्यक्रम में आए जिससे शहर के बारे में लोग जानते हैं और चर्चा भी करते हैं। हालांकि अभी कई महत्वपूर्ण प्रयास किए जाने जरूरी हैं। ऐसे आयोजनों की निरंतरता बनाए रखनी होगी।
प्रश्न: शहर से सम्यक बांसुरी वादन में उभरकर सामने आए हैं। अन्य इच्छुक बच्चों के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर: सम्यक ने यूट्यूब से देखकर बांसुरी बजाना सीखा। हालांकि यूट्यूब कभी आपको सही व गलत का भेद नहीं बताता। गुरु के समीप बैठकर सीखना जरूरी है। नए बच्चे सीखने का माध्यम खोजें। आनलाइन माध्यम से शुरुआत कर सकते हैं लेकिन गुरु के पास अवश्य जाएं। सम्यक ने निरंतर प्रशिक्षण व लगन से बहुत सुधार किया है। आगे भी असीम संभावनाएं हैं।
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