पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ: भारत शांति का पालन करता है, पाकिस्तान जंग में सब मानता जायज
बरेली में सनातन संस्कृति चेतना ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में, पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने 'मताधिकार' को 'मतदान' से बेहतर बताया, क्योंकि इसमें नेताओं से हिसाब लिया जा सकता है। उन्होंने सनातन धर्म को वैज्ञानिक बताया और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने नारी शक्ति का सम्मान करने और पहलगाम हमले के शहीदों को बहादुर बताया। उन्होंने पाकिस्तान की युद्ध नीति की आलोचना की और कहा कि उनके लिए सब कुछ जायज है।
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कार्यक्रम में बोलते पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ
जागरण संवाददाता, बरेली। सनातन संस्कृति चेतना ट्रस्ट की ओर से शनिवार को अर्बन हाट सभागार में आयोजित बौद्धिक विमर्श में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा, शादी के दौरान कन्यादान शब्द बहुत प्रचलित है। भारतीय संस्कृति में दान का मतलब होता है, दान के बाद उसका कोई हिसाब नहीं लेना। यही प्रवृत्ति को चुनाव के दौरान इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें मतदान की बात कही जाती है। यह नेताओं का प्रिय शब्द है, जब हम मतदान करते हैं तो दान में हिसाब नहीं ले सकते। जबकि सही शब्द है मताधिकार, जिसमें नेता को कुछ समय के लिए जनता विकास करने का अवसर देती है, जिसमें हिसाब लिया जा सकता है।
बौद्धिक विमर्श कड़वा सच भात तीन कार्यक्रम में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने नेताओं पर निशाना साधा, नेता बहुत गर्व के साथ बोलते हैं सारे धर्म बराबर हैं। यह नहीं समझ में आता, ऐसा किस साहित्य, ग्रंथ में लिखा गया है? वहीं जो लोग जानकार हैं, वह ऐसे नेताओं को मूर्ख समझते हैं। युवा पीढ़ी के विषय में कहा, पहले बड़ों से तर्क करना बुरी बात समझी जाती थी, अब अगर 2025 के बच्चों के साथ बड़े-बुजुर्ग बैठें और उनके तर्क सुनें तो समझ आएगा कि बच्चे समझदार और जानकार हैं। इसलिए, घर में थोड़ी देर बच्चे के साथ बैठकर उनसे बात करें।
सूर्य को जल चढ़ाना है वैज्ञानिक विधि
कुलश्रेष्ठ ने कहा, सनातन धर्म विज्ञानी विधि पर आधारित हैं। अगर आप बच्चे से सूर्य को जल चढ़ाने के लिए कहेंगेे तो बच्चा इसके पीछे की वजह जानना चाहेगा। बच्चे को बताएं, जब सूर्य की पहली किरण निकलती है, तब जल चढ़ाने से सूर्य की किरणें धारा का पार करते हुए निश्चित कोण पर आने के बाद शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं। कहा, दुनिया ने टेस्ट ट्यूब बना लिया, लेकिन दूसरा पेड़ नहीं बना सके, पर्यावरण संरक्षण करने का संदेश दिया। कहा, पीपल की आक्सीजन उत्पादन क्षमता, औषधीय उपयोग बहुत है, उस पर बूंदी के लड्डू न चढ़ाएं, जब हमारे पूर्वजों ने शुरू किया था, तब प्रसाद में बूंदी नहीं थी।
दुनिया में सबसे बड़ी पवित्र है मां
किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत मां, बहन या बेटी से कराने को लेकर कहा, दुनिया में सबसे बड़ी पवित्र मां होती है। उसकी तरह कोई नहीं हो सकता, हमारे यहां अकड़ आ गई है कि मर्द ताकतवर है। दुनिया में सिर्फ मां को ही पता है कि बच्चे का पिता कौन है। पुरुष ने बहुत खूबसूरती के साथ महिला को कमजोर दिखाया। वह मां की शक्ति को नहीं जानते। महिला बच्चे को जन्म देते नहीं रोती, लेकिन पुरुष उसे रुलाता है। यह सब नहीं होना चाहिए
पहलगाम में मारे गए हिंदू सबसे ज्यादा बहादुर
पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले को लेकर कहा, पहलगाम में मारे गए हिंदू दुनिया में सबसे बहादुर है, जिन्होंने अपना धर्म नहीं छिपाया। आजकल देखने को मिलता है लोग अवसर के अनुसार पहचान बदल लेते हैं। युद्धविराम शब्द के इस्तेमाल पर कहा, जब महाभारत के दौरान इस शब्द का इस्तेमाल हुआ करता था, तब नियम होते थे कि भले ही दुश्मन सामने खड़ा हो। उस पर हमला नहीं करेंगे। हम इसका अब तक पालन कर रहे हैं, नीति बना रखी है कि पहले हमला नहीं करेंगे। पर यह समझ नहीं आता कि बाद में हमला तब करेंगे जब बचेंगे। यह पहले हमले न करने की मानसिकता से बाहर आना होगा। पाकिस्तान युद्ध नहीं जंग शब्द का इस्तेमाल करता है, जोकि इस्लामिक इतिहास से जुड़ा है, जिसके लिए कहा जाता है ''''इश्क और जंग में सब जायज है''''। ऐसे में उनके लिए 26 सनातनियों को मारना भी जायज है, पहचान छिपाकर निकिता को मारना भी जायज है।
सीजफायर के नियम ने लौटाए पाक सैनिक
1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। तब यूएनओ के सीजफायर शब्द ने सैनिकों को जीवनदान दिया। भारत ने पाकिस्तान के सैनिक को तीन महीने तक खाना खिलाया, उस दौर में अमेरिका से अनाज आता था। विमर्श के दौरान सोनाली मिश्रा की पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष डा. राजेश अग्रवाल, आशू अग्रवाल, संजय शुक्ला, आइएमए अध्यक्ष डा. अतुल श्रीवास्तव, डा. ब्रजेश यादव, डा. हिमांशु अग्रवाल, डा. विमल भारद्वाज, डा. प्रमेंद्र माहेश्वरी आदि उपस्थित रहे।

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