Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मां-बाप, रिश्तेदारों की मगफिरत को मांगें दुआ

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 29 May 2018 07:33 AM (IST)

    रमजान के दूसरे असरे में मगफिरत की दुआएं मांगे। अल्लाह तआला तमाम खताओं को माफ कर देंगे।

    मां-बाप, रिश्तेदारों की मगफिरत को मांगें दुआ

    जागरण संवाददाता, बरेली : रमजान के दूसरे असरे में मगफिरत की दुआएं मांगे। अल्लाह तआला तमाम खताओं को माफ कर देंगे। कसरत से इबादत और तिलावत करें। तमाम बुराइयों से दूर होने का इरादा करें। सोमवार को उलमा-ए-कराम ने रोजेदार, नमाजियों को यह पैगाम दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सोमवार को 11वां रोजा था। मस्जिद बारादरी में सामूहिक रोजा इफ्तार हुआ। इमाम अजहर रजा ने हुजूर गौस-ए-आजम की जिंदगी पर रोशनी डाली। रोजेदार, नमाजियों से उनके बताए रास्ते पर चलने की इल्तिजा की। मोअज्जिम शाहनवाज हुसैन ने नात-ओ-मनकबत का नजराना पेश किया। सलातो सलाम के बाद फातिहा हुई। इस दौरान राशिद खां, शाजेब खां, समरान खान, जावेद खान, शराफत, यावर, मुजीब, हिकमतउल्लाह, हाजी नबी अहमद, इरफान आदि मौजूद रहे। गरीबों को बांटे कपड़े

    अवामी खिदमत कमेटी ने कपड़े बांटे। पूर्व विधायक अताउर्रहमान ने कमेटी की सराहना की। कहा कि इस्लाम में गरीबों को कपड़े पहनाने का बड़ा सबाब है। हर साहिबे निसाब शख्स को चाहिए कि वो गरीब, बेसहारा लोगों की मदद करें। नवाब अय्यूब हसन, अध्यक्ष मो. शाकिर यार खां नूरी, हसनैन रजा खां, शमशाद अहमद, अनवर हुसैन, हाजी सलीम सकलैनी, बिलाल रजा, काशिफ तहसीनी आदि मौजूद रहे।

    अल्लाह से मांगे मगफिरत की दुआ

    मदरसा अरबिया कशीफुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती मो. मियां कासमी ने कहा कि अल्लाह रब्बुल इज्जत मगफिरत के असरे में गुनाहों से माफी देते हैं। इस दरम्यान सभी मुसलमान अपने मां, बाप, रिश्तेदार, भाई और बहन या अन्य मुसलमानों की मगफिरत के लिए दुआ मांगे। झूठ, चुगली, बुराई से बचें। खासतौर से रोजे की हालत में तो किसी भी सूरत में ऐसा न करें। सहरी और इफ्तार में बेशक दो निवाला खाएं या दो घूंट पानी पिएं, मगर भूखे न रहें। इफ्तार से पहले दुआ मांगे। खजूर से इफ्तार पूरी तरह मुफीद

    तहरीक-ए-तहफ्फुज-ए-सुन्नियत के मो. नफीस रजा खां ने कहा कि खजूर से रोजा इफ्तार करना इस्लामिक और वैज्ञानिक दोनों तरह से बेहद मुफीद है। इसलिए रोजे की हालत में विटामिन की कमी बयानबाजी ठीक नहीं है। लोगों को मजहबी मामलों से जुड़े मसलों पर बयान देने से परहेज करना चाहिए।