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Tripple Talaq : पीड़िता से पुलिस ने कहा नहीं लिखेंगे मुकदमा, बाद में आना Bareilly News

निकाह भी उनकी मर्जी के बगैर हुआ था। दहेज न लाने की सूरत में तलाक की धमकी दी। इसी बीच उन्होंने सादे कागज पर उनसे अंगूठा लगवा लिया और बाद में उसे तलाकनामा के रूप में पेश किया।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sun, 04 Aug 2019 11:19 AM (IST)Updated: Sun, 04 Aug 2019 11:27 PM (IST)
Tripple Talaq : पीड़िता से पुलिस ने कहा नहीं लिखेंगे मुकदमा, बाद में आना Bareilly News

बरेली, जेएनएन : मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण कानून बनने के बाद भी तलाक पीडि़ताओं के प्रति पुलिस का नजरिया नहीं बदला है। शनिवार को ट्रिपल तलाक पीडि़ता तहरीर लेकर थाने बारादरी थाने पहुंचीं तो पुलिस ने टरका दिया। यह कहते हुए कि कल इंस्पेक्टर आएंगे, तो उन्हीं को तहरीर देना।

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हजियापुर की कायनात का निकाह वर्ष 2018 में कांकरटोला के जाहिद से हुआ था। कायनात का आरोप है कि निकाह भी उनकी मर्जी के बगैर हुआ था। बाद में जाहिद के परिवार वालों ने एक लाख रुपये दहेज की मांग रखी। दहेज न लाने की सूरत में तलाक की धमकी दी। इसी बीच उन्होंने सादे कागज पर उनसे अंगूठा लगवा लिया और बाद में उसे तलाकनामा के रूप में पेश किया। इस तर्क के साथ कि तलाक सहमति से हुआ है। तहरीर में उन्होंने लिखा कि जाहिद ने अब दूसरा निकाह कर लिया। लिहाजा उनके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की जाए।

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क्या कहा पुलिस ने

कायनात शाम को बारादरी थाने पहुंचीं। पुलिसकर्मियों को अपनी तहरीर दी और मुकदमा दर्ज करने को कहा। पुलिसकर्मी जिसका वह नाम नहीं जानती हैं-ने कहा कि आज मुकदमा नहीं हो पाएगा। कायनात के मुताबिक उन्होंने कहा कि तहरीर तो रख लीजिए। पुलिसकर्मी बोले कल आकर देना।

पुलिस सुने तो मिलेगा कानून का लाभ

आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान के मुताबिक, पुलिस को महिलाओं के मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए। दुर्भाग्य से वह अब भी ऐसा नहीं कर रही है। कायनात का मुकदमा आज न लिखा जाता, पर उनकी तहरीर तो स्वीकार की जा सकती थी। जब पुलिस सुनेगी ही नहीं तो फिर महिलाएं किस उम्मीद से उनके पास अपनी शिकायत लेकर जाएंगी।  

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तीन तलाक पर नहीं देंगे कोई फतवा : मौलाना शहाबुद्दीन

मुस्लिम तीन तलाक पर कानून बनने के बाद भी इसको लेकर बहस जारी है। इस बीच तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने इस कानून को मुस्लिम महिलाओं के हक में बताया है। बोले, तीन तलाक से जुड़े मामलों पर कोई लिखित फतवा जारी नहीं करेंगे।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि तीन तलाक बिल पीड़िताओं के हक में है। हालांकि इसमें सजा का प्रावधान तीन साल के बजाय 15 दिन या एक महीना होता, तो अच्छा होता। फतवे को लेकर कहा कि अब कानून बन चुका है, इसलिए तत्काल तीन तलाक पर लिखित फतवा देना उलमा के लिए मुश्किल होगा। ऐसे में हमने फैसला किया है कि इस मामले में कोई फतवा जारी नहीं करेंगे। इसका यह मतलब कतई नहीं है कि उलमा अब किसी तरह का फतवा जारी नहीं करेंगे। उलमा-ए-कराम से जो भी अन्य सवाल पूछा जाएगा, शरीयत की रोशनी में वह उसका जवाब देते रहेंगे।

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कौन हैं मौलाना शहाबुद्दीन

मौलाना शहाबुद्दीन तंजीम उलमा-ए-इस्लाम संगठन के महासचिव हैं। उन्होंने धार्मिक मामलों पर बुजुर्गो पर कई किताबें लिखी हैं।

बयान के बाद सरगर्मी 

तीन तलाक पर फतवा नहीं देने की बात मौलाना शहाबुद्दीन ने एक न्यूज एजेंसी को दिए बयान में भी कही। उनका यह बयान दरगाह आला हजरत के अधिकारिक प्रवक्ता की हैसियत से जारी हुआ है। हालांकि, मौलाना ने दैनिक जागरण से बातचीत में खुद को दरगाह का प्रवक्ता होने से इन्कार करते हुए कहा कि वह कभी भी दरगाह के प्रवक्ता नहीं रहे हैं। दूसरी तरफ दरगाह के प्रवक्ता की हैसियत से मौलाना के बयान को लेकर दरगाह आला हजरत से जुड़े लोगों में भी बेचैनी पैदा हो गई।

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