Tripple Talaq : उलमा बोले, घर में सुलझाएं मियां-बीवी के मसले Bareilly News
अब कानून अमल में आ चुका है। इसलिए समाज इस मसले पर जागरूक और गंभीर बने। मियां-बीवी के बीच रिश्ते बेहतर रहें दोनों को यह कोशिश करनी चाहिए।
बरेली, जेएनएन : एक बार में तत्काल तीन तलाक को सजा के दायरे में लाने वाला मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण कानून वजूद में आने के बाद उलमा सजग हो गए हैं। कानूनी कार्रवाई के नौबत न आए इसके लिए वे तत्काल तीन तलाक से बचाव की अपील कर रहे हैं। इस संदेश के साथ कि मियां-बीवी के विवाद परिवार में बैठकर हल करें। गुस्से में आपा न खोएं, न ही कोई ऐसी स्थिति पैदा करें जिससे तत्काल तीन तलाक बोलने की नौबत आए।
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शुक्रवार को जुमे की नमाज में भी कुछ मस्जिदों में उलमा-ए-कराम ने शरीयत के हवाले से इस मसले पर रोशनी डाली। वहीं, तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के मुताबिक, अब कानून अमल में आ चुका है। इसलिए समाज इस मसले पर जागरूक और गंभीर बने। मियां-बीवी के बीच रिश्ते बेहतर रहें, दोनों को यह कोशिश करनी चाहिए। आवेश में आकर पुलिस, कोर्ट-कचहरी जाने की स्थितियों से बचें। उलमा-ए-कराम इस पैगाम को जलसों और अन्य कार्यक्रमों में जरिये अवाम तक पहुंचाएं।
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राष्ट्रीय सुन्नी उलमा कौंसिल के अध्यक्ष मौलाना इंतेजार अहमद कादरी के मुताबिक मियां-बीवी के विवाद का हल तलाक नहीं है। बातचीत से रास्ता निकालने की कोशिश करें। विवाद न सुलझे तो परिवार के बुजुर्गों के बीच मसला रखें। यकीनन हल निकलेगा। उलमा-ए-कराम और मदरसों के छात्र-छात्राओं की यह जिम्मेदारी है कि वह इस पैगाम को समाज तक पहुंचाएं। इसी में समाज की भलाई है। ताकि हम शरीयत पर पाबंद रहते हुए जिंदगी गुजार सकें।
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