रजा के दीवानों ने घरों को बनाया इबादतगाह
आला हजरत के कुल पर घरों में अकीदतमंदों का सैलाब नजर आया। रजा के दीवानों ने घरों को इबादतगाह बना लिया। कोरोना संक्रमण से बचाव के मद्देनजर शासन द्वारा निर्धारित यानी अधिकतम 100 लोग ही उर्स स्थल इस्लामियां ग्राउंड मथुरापुर स्थित इस्लामिक स्टडी सेंटर पर जुटे।
बरेली, जेएनएन: आला हजरत के कुल पर घरों में अकीदतमंदों का सैलाब नजर आया। रजा के दीवानों ने घरों को इबादतगाह बना लिया। कोरोना संक्रमण से बचाव के मद्देनजर शासन द्वारा निर्धारित यानी अधिकतम 100 लोग ही उर्स स्थल इस्लामियां ग्राउंड, मथुरापुर स्थित इस्लामिक स्टडी सेंटर पर जुटे।
कुल से पहले रजा के दीवाने घर, दुकान गलियों में खड़े हो गए। मोबाइल फोन, लाउडस्पीकर पर मसलके आला हजरत, ताजुश्शरिया के नारे लगाए गए। आखिर में कुल की रस्म हुई तो सभी मुरीद अपने रजा से मन्नत, मुरीद मांगने लगे। इस्लामियां ग्राउंड में मुफ्ती अहसन मियां और जामियतुर्रजा में काजी उल हिद मुफ्ती असजद रजा खां ने कुल की रस्म अदा कराई। गलियों में भीड़ नहीं रही। कुल के वक्त कोरोना महामारी के खात्मे और मुल्क, कौम की तरक्की के लिए दुआ की गई। गली-मुहल्ले समेत दुनिया भर में 45 लाख से अधिक लोग ऑनलाइन ऑडियो के माध्यम से कार्यक्रम में शरीक हुए। दरगाह आला हजरत के प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा खां कादरी, खानकाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन काजी ए हिदुस्तान मुफ्ती असजद रजा खां कादरी, जमात रजा मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खां कादरी ने मुरीदों से घरों पर ही कुल की रस्म अदा करने की अपील की थी।
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सुन्नी मुसलमान गुस्ताख-ए-रसूल से रहे दूर : मुफ्ती असजद मियां
बरेली, जेएनएन : सुन्नी बरेलवी मसलक के सबसे बड़े धर्मगुरू इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी आला हजरत के उर्स के आखिरी दिन बुधवार को मथुरापुर स्थित जामियातुर्रजा मदरसे और सौदागरान स्थित ताजुश्शरिया दरगाह पर कुल की रस्म अदा की गई। काजी उल हिद मुफ्ती असजद मियां ने कुल की रस्म अदायगी से पहले कहा कि तमाम सुन्नी मुसलमान गुस्ताके रसूल से दूर रहें। यह लोग रसूल की शान में गुस्ताखी कर रहे हैं।
जमात रजा मुस्तफा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया कि उर्स के सभी कार्यक्रम काजी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रजा खां कादरी और जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उर्स प्रभारी सलमान मियां की निगरानी में हुआ। बाद नमाजे फज्र दरगाह ताजुशारिया और मदरसा जामियातुर रजा में कुरान ख्वानी और नात व मनकबत की महफिल सजाई गई। कारी रेहान रजा ने कुरान शरीफ की तिलावत से रस्म का आगाज किया। राशिद रजा, गुलाम मुर्तजा अजहरी और मौलाना अख्तर रजा ने आला हजरत की शान में कलाम पेश किए। इश़्क मोहब्बत इश़्क मोहब्बत आला हजरत आला हजरत और बस्ती बस्ती करिया करिया ताजुश्शरिया ताजुश्शरिया के नारे दरगाह पर गूंजे। काजी उल हिद ने कहा कि सुन्नी मुसलमान गुस्ताके रसूल, गुस्ताके अहले बैत और गुस्ताके साहबा से दूर रहें। काजी-ए-शहर मुफ्ती सैय्यद फैजान रजा रामपुरी, मुफ्ती शाहजाद ने कहा नबी के पहले खलीफा अबू बकर को सच्चे दिल से मानना जरूरी है। आला हजरत ने फरमाया जो अबू बकर को सच्चा खलीफा न माने वह मुसलमान नहीं है। मौलाना अख्तर अलीमी, मुफ्ती अबू यूसुफ, मुफ्ती आशि़क हुसैन, मुफ्ती अफजाल र•ावी, अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आदि ने बुजुर्गों की शान में खिताब किया। इसके बाद दोपहर 2:38 पर आला हजरत के कुल की रस्म मुफ्ती असजद मियां की सरपरस्ती और उलमा-ए-इकराम व मुफ्तियना-ए-इकराम की मौजूदगी में अदा की गई। उर्स में दिखी हिदु-मुस्लिम एकता की मिसाल
बरेली, जेएनएन : सियासत ने नफरत फैलाई तो त्योहारों ने हिदु-मुस्लिम के बीच मोहब्बत का ताना-बाना बुन दिया। हिदु-मुस्लिम एकता की मिसाल उर्से रजवी में भी देखने को मिली। कोरोना महामारी का डर भी और पीर से मुहब्बत भी देखने को मिली। लोगों ने अमन और सौहार्द का पैगाम दिया। बुधवार को जब शहर की प्रमुख सड़कों पर सन्नाटा था और घरों में लोग रजा को याद कर रहे थे तो हिन्दू परिवार के लोगों ने भी मजार पर जाकर फूल चढ़ाए। जमात रजा मुस्तफा के कौर कमेटी के सदस्य शमीम अहमद ने बताया कि उर्से रजवी में हिदू मुस्लिम के बीच इबादत देखने को मिली। उर्स में हिदू भाईयों ने कुल की रस्म का एतराम भी किया। देश-विदेश के भी अकीदतमंद कुल में शामिल
मंजरे इस्लाम मदरसे के आइटी प्रभारी जुबैर रजा खां ने बताया कि इस साल उर्से ए र•ावी के सारे प्रोग्रामों का ऑडियो लाइव प्रसारण पूरी दुनिया में इंटरनेट के जरिए किया गया है। मस्जिदों, मदरसों और मजहबी संस्थानों में इंटरनेट से साउंड सिस्टम कनेक्ट करके सारे प्रोग्राम सुना हैं और आला हजरत का कुल की दुआ की ऑडियो भी लाइव की गई है। जामियातुर रजा के आइटी सेल हेड अतीक अहमद ने बताया की उर्स के ऑनलाइन प्रसारण के लिए वेबसाइट लिक सोशल मीडिया के जरिए जारी कर दिया गया था जिससे पूरी दुनिया के देशों में आला हजरत के 102वां उर्स-ए-रजवी की रस्म ऑनलाइन से जुड़कर अदा की गई। तीन दिन कार्यक्रम को लगभग 30 लाख जायरीन ने आइफोन, एंड्रॉइड फोन, आइ पैड, लैपटॉप, डेस्कटॉप आदि पर इन लिक पर क्लिक करके उर्स का लाइव ओडियो प्रसारण सुना है।
इन्होंने संभाली उर्स की व्यवस्था
शमीम अहमद, डा. मेहंदी हसन, समरान खान, हाफिज इकराम रजा खां, मौलाना निजामुद्दीन, मोहम्मद कलीम उद्दीन, अब्दुल्लाह रजा खां, मोईन खां, बख्तियार खां, नदीम अहमद, मोईन अख्तर, शाईबूद्दीन रजवी, वसीम र•ा, दानिश र•ा आदि रहे।