रेलवे के राजस्व में आई कमी, इन ट्रेनों को चलाने पर रेलवे कर रहा है विचार, देखें पूरी लिस्ट
कोरोना की वजह से एक वर्ष से बंद साधारण ट्रेनों को चलाने के लिए रेलवे ने मंथन करना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रमुख स्टेशनों से मंडल प्रशासन ने प्रस्ताव भी मांगे है। मंडल रेल प्रशासन ने ट्रेनों को चलाने का प्रस्ताव बनाया है।
बरेली, जेएनएन। कोरोना की वजह से एक वर्ष से बंद साधारण ट्रेनों को चलाने के लिए रेलवे ने मंथन करना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रमुख स्टेशनों से मंडल प्रशासन ने प्रस्ताव भी मांगे है। मंडल रेल प्रशासन ने काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस समेत 10 अन्य साधारण एक्सप्रेस ट्रेनें व कुछ अन्य ट्रेनों को चलाने का प्रस्ताव बनाया है। हालांकि ट्रेनों को चलाए जाने की हरी झंडी रेल बोर्ड द्वारा मिलेगी।
रेलवे अभी केवल कोविड स्पेशल, त्योहार स्पेशल ट्रेनों के साथ ही पैसेंजर ट्रेनों को भी मेल बनाकर चला रहा है। अधिकांश साधारण ट्रेनें बंद होने से राजस्व में भी कमी आई है। रेलवे माल ढुलाई से होने वाले घाटे को पूरा करने की कोशिश कर रहा है। जो कि अभी तक पूरा नहीं हो पा रहा है। राजस्व में बढ़ोत्तरी के लिए रेल बोर्ड के निर्देश पर उत्तर रेलवे प्रशासन ने सभी रेल मंडल से बंद ट्रेन को चलाने का प्रस्ताव मांगा है। इनमें ऐसी ट्रेनों का चयन करने का निर्देश दिया है, जिसमें यात्रियों की भीड़ अधिक रहती थी।
काशी विश्वनाथ, बरेली-दिल्ली इंटरसिटी का नाम सबसे ऊपर
मुरादाबाद मंडल द्वारा उत्तर रेलवे मुख्यालय के आदेश पर मंडल के वाणिज्य व परिचालन विभाग बंद ट्रेनों को चलाने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। जिसमें नई दिल्ली से वाराणसी जाने वाली काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, बरेली-नई दिल्ली इंटरसिटी, नई दिल्ली-न्यू मालदा टाउन एक्सप्रेस प्रमुख हैं। जिसमें यात्रियों की काफी भीड़ रहती थी। मंडल के विभिन्न स्टेशनों पर काफी यात्री सवार होते हैं। इन ट्रेनों से अच्छी आय भी होती थी। इसके अलावा अमृतसर-हावड़ा के बीच चलने वाली पंजाब मेल, डुप्लीकेट पंजाब मेल, मेरठ-लखनऊ के बीच चलने वाली राज्यरानी एक्सप्रेस चलाने का प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। पैसेंजर ट्रेन में सहारनपुर-मुरादाबाद-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन चलाया जाना प्रस्तावित है। मंडल वाणिज्य प्रबंधक गौरव दीक्षित ने बताया कि मुख्यालय ने बंद ट्रेनों को चलाने का प्रस्ताव मांगा है। जिसे शीघ्र उत्तर रेलवे मुख्यालय भेज दिया जाएगा। मुख्यालय की स्वीकृति के बाद ही प्रस्तावित ट्रेनों को चलाया जा सकता है।