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    ODOP Scheme News : बरेली में बैंकों का भरोसा नहीं जीत सके जरी कारीगर, कारोबारी और एक्सपोर्टर को मिला लाभ, जानिए क्या रही वजह

    By Ravi MishraEdited By:
    Updated: Thu, 24 Jun 2021 01:53 PM (IST)

    ODOP Scheme News एक जिला एक उद्योग (ओडीओपी) योजना में सबसे पहले जिले का जरी जरदोजी उद्योग ही शामिल किया गया था। 2020 में इसकी संख्या बढ़ा कर तीन कर दी गई और बेत-बांस और आभूषण उद्योग को भी इसमें शामिल कर लिया गया।

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    ODOP Scheme News : बरेली में बैंकों के भरोसा नहीं जीत सके जरी कारीगर

    बरेली, जेएनएन। ODOP Scheme News : एक जिला एक उद्योग (ओडीओपी) योजना में सबसे पहले जिले का जरी जरदोजी उद्योग ही शामिल किया गया था। 2020 में इसकी संख्या बढ़ा कर तीन कर दी गई और बेत-बांस और आभूषण उद्योग को भी इसमें शामिल कर लिया गया। लेकिन लाभ लेने वालों में बड़ी संख्या जरी कारोबार में शामिल लोगों की हैं। चार वित्तीय वर्ष पूरी कर चुकी यह योजना अब तक अपने मूल उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकी है। उद्देश्य जरी कारीगरों के सपनों को पूरा करने और पहचान दिलाने की थी, लेकिन जरी कारीगर बैंकों के भरोसे पर खरे नहीं उतरे।

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    बैंकों ने जरी कारीगरों की दो से चार लाख तक की फाइल ही पास कीं, जबकि एक्सपोर्टर और कासनदारों (कारखानेदार) की 25 से 50 लाख तक की फाइल सेक्शन की गईं। ऐसे में दो-चार लाख में जरी कारीगर न अपना कारखाना ठीक से लगा पाते हैं और न ही अपने बनाए माल की ब्रांडिंग कर पाते हैं। पेश है ओडीओपी पर विशेष रिपोर्ट....

    191 लोगों को ही मिल सका लाभ

    प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद 2018 में शुरू हुई ओडीओपी योजना से जिले में अब तक 191 लोगों को ही लाभ मिल सका है। इसमें 2018-2019 में जिले में 576 लोगों ने आवेदन किया, जिसमें मात्र 23 लोगों को करीब 4.10 करोड़ रुपये का लोन दिया गया। इसी तरह 2019-20 में 698 आवेदन पर 47 लोगों को लाभ दिया गया, जिन्हें 4.45 करोड़ रुपये का लाभ दिया गया। वहीं 2020-21 में 1112 लोगों ने आवेदन किया, इसमें से 121 लोगों को योजना का लाभ दिया गया। इन लोगों को 9.08 करोड़ रुपये का लोन दिया गया।

    जरी कारीगरों पर भरोसा नहीं कर रहीं बैंक

    ओडीओपी योजना का मुख्य उद्देश्य जरी उद्योग को ऊंचाईं देना था। योजना की शुरुआत से अब तक करीब जरी उद्योग के लिए 160 लोन स्वीकृत किए गए। इनमें से अधिकतर लोन 7 लाख या इससे कम के थे। जरी कारेाबार से जुड़े लोग बताते हैं कि जरी कारीगर जब लोन के लिए फाइल लगाते हैं तो बैंक उनके पहले के काम के बारे में जानती हैं। इसके बाद कोई न कोई बहाना बनाकर या तो उनकी फाइल रिजेक्ट कर दी जाती है, या उनके प्रोजेक्ट की धनराशि को दस लाख से कम होने पर ही स्वीकृति देती हैं। बताते हैं वह ऐसे लोगों को ही बड़ी रकम देते हैं, जिनके कारखाने पहले से चल रहे हों या वह जरी कारोबार के काम के साथ एक्सपोर्टर भी हों।

    ब्रांडिंग धनराशि में देरी से बढ़ी बेरुखी

    जिले में कुछ जरी कारीगरों ने ओडीओपी के जरिए लोन लेकर अपना काम शुरू किया और उसे आगे बढ़ाने के लिए ब्रांडिंग का सहारा लिया। जरी जरदोजी की बड़ी मंडी विदेशों में हैं। विदेशों में इसे खासा पसंद किया जाता है। इसके चलते ही ब्रांडिंग के लिए जरी कारीगरों को बाहर जाना पड़ता है। ओडीओपी के तहत ब्रांडिंग के लिए विदेश जाने वालों को रिफंड मिलता है। कारीगर के किराए के अलावा 10-12 हजार रुपये माल लोडिंग खर्च होने पर सौ फीसद पैसा बिल लगाने पर मिलता है। जबकि 12 हजार से अधिक माल ढुलाई में खर्च होने पर 70 फीसद का ही भुगतान होता है। कारीगरों की माने तो इस पैसे को लेने के लिए भी विभाग के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं।

    2018 में शुरू हुई ओडीओपी योजना के जरिए जरी उद्योग को काफी सफलता हासिल हुई है। योजना के जरिए जरी कारीगरों को भी बड़ी संख्या में धनराशि उपलब्ध कराई गई। विभाग के स्तर पर हर पात्र व्यक्ति के छोटे बड़े सभी प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी गई। बैंकों के स्तर पर फाइल रिजेक्ट होने की वजह वहीं बता सकते हैं। जरी, बेंत और ज्वैलरी के उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए भी प्रयास तेज कर दिए गए हैं। - ऋषि रंजन गोयल, उपायुक्त उद्योग