अब स्क्रीन पर नजर आएंगे बरेली के नवाब, बदलेगी खान बहादुर खां के स्मारक की तस्वीर
24 मार्च 1860 को बरेली में सत्तावनी क्रांति के नायक खान बहादुर खां को सैनिकों की सुरक्षा में शहर छावनी से कोतवाली पैदल ले जाकर सात बजकर दस मिनट पर फांसी पर लटका दिया गया। यह सजा उन्हें देश को ब्रितानवी हुकूमत से लड़ने के जुर्म में दी गई थी।

बरेली, जेएनएन। 24 मार्च 1860 को बरेली में सत्तावनी क्रांति के नायक खान बहादुर खां को सैनिकों की सुरक्षा में शहर छावनी से कोतवाली पैदल ले जाकर सात बजकर दस मिनट पर फांसी पर लटका दिया गया। यह सजा उन्हें देश को ब्रितानवी हुकूमत से लड़ने के जुर्म में दी गई थी। फांसी से पहले उन्होंने ऊंची आवाज में कहा- मैंने 100 से ज्यादा अंग्रेजों को मारा। मैंने ऐसा करके नेक काम किया है। फांसी के बाद बरेली के इस जांबाज क्रांतिकारी को जिला जेल के हाते में बनाई गई एक कब्र में दफन किया गया। आज यहां स्मारक है। लेकिन देखरेख के अभाव में बदहाल है। लोग भी यहां नहीं पहुंचते।
अब स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत खान बहादुर खां के स्मारक को नया रूप देने का प्लान तैयार किया गया है। यहां नए निर्माण करवाए जाएंगे। लोगों के बैठने की व्यवस्था भी होगी। एलईडी स्क्रीन पर आजादी के मतवालों की डायक्यूमेंट्री भी चलाई जाएगी। कमिश्नर रणवीर प्रसाद यह प्रोजेक्ट तैयार करवा रहे हैं।
बरेली का नवाब घोषित हुए थे खान बहादुर
खान बहादुर खां का जन्म 1791 में हुआ था। खान बहादुर खां रूहेला सरदार हाफिज रहमत खां के वंशज थे। मेरठ में 10 मई 1857 को क्रांति हुई। 31 मई को सूबेदार बख्त खां के नेतृत्व में व्रिदोह की शुरुआत हुई। बरेली के तत्कालीन मजिस्ट्रेट, सिविल सर्जन, जेल अधीक्षक और बरेली कॉलेज के प्राचार्य सी.बक मार दिए गए। पहली जून को विजय जुलूस में कोतवाली तक आकर खान बहादुर खां की ताजपोशी की गई। उन्हें बरेली का नवाब घोषित किया गया था।
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