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    Next Patient Please यानी मरीज के दर्द की सच्ची कहानी डा. बृजेश्वर सिंह की जुबानी

    By Samanvay PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 08 Apr 2022 02:34 PM (IST)

    Next Patient Please मरीज और डॉक्टर का क्या रिलेशन होता है। केवल मरीज का ऑपरेशन और दवा देना ही डॉक्टर का मरीज से संबंध नहीं है। इन्हीं बातों को समझाते हुए 38 मरीजों की कहानी को एक सूत्र में पिरोया है डा. बृजेश्वर सिंह ने।

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    Next Patient Please : दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में नेक्स्ट पेशेंट प्लीज का विमोचन किया गया।

    बरेली, जेएनएन। Next Patient Please : मरीज और डॉक्टर का क्या रिलेशन होता है। केवल मरीज का ऑपरेशन और दवा देना ही डॉक्टर का मरीज से संबंध नहीं है। बल्कि मरीज की आत्मा और चेतना को भी समझना जरूरी होता है। इन्हीं बातों को समझाते हुए 38 मरीजों की कहानी को एक सूत्र में पिरोया है डा. बृजेश्वर सिंह ने। बरेली के वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डा. बृजेश्वर सिंह केवल डॉक्टर ही नहीं, लेखक और रंगकर्मी हैं। उन्होंने मरीजों के दर्द को समझते हुए नेक्स्ट पेशेंट प्लीज नाम से किताब लिखी है। जिसमें उन्होंने 38 मरीजों से अपने रिश्ते और उनके दर्द को साझा किया है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में नेक्स्ट पेशेंट प्लीज का विमोचन किया गया।

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    हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. बृजेश्वर सिंह ने अपनी किताब में उन मरीजों की सच्ची कहानियों को संकलित किया है, जिन्होंने अथाह दर्द से जूझने के बावजूद अपनी हिम्मत नहीं हारी और उसके बल पर ही दुख के सागर को पार किया। इन कहानियों में 102 साल के नवाब साहब भी हैं, जो अंग्रेजों की फौज में हुआ करते थे। इसके साथ ही इन 38 कहानियों में एक चार साल के बच्चे की भी कहानी है, जो शारीरिक लाचारियों के बावजूद जिंदगी की जंग लड़ रहा है। किताब की भूमिका मशहूर उर्दू के शायर प्रो. वसीम बरेलवी ने लिखी है। डा. बृजेश्वर सिंह को अपने डॉक्टरी पेशे के साथ थिएटर और लेखन कार्य में भी काफी रुचि है। यही कारण है कि चार साल की अथक मेहनत के बाद उन्होंने नेक्स्ट पेशेंट प्लीज जैसे अनमोल रत्न को तराशा है।

    इस अनमोल रत्न के जरिए डा. बृजेश्वर सिंह एक संदेश भी देते हैं। संदेश यह है कि मरीज का इलाज करने का मतलब सिर्फ ऑपरेशन या उसे दवा देना ही नहीं होता है। बल्कि इंसानी जज्बात और इंसानियत की रूह को समझना भी इलाज का हिस्सा है।शायर वसीम बरेलवी ने किताब के प्राक्कथन में लिखा है, जिसमें उन्होंने डॉ. बृजेश्वर सिंह की दिली कैफियत को अपने एक शेर के माध्यम से उकेरा है। अजीब दर्द का रिश्ता दिखाई देता है, कि हर गम आशना अपना दिखाई देता है।