गांवों की सेहत बताएगा नेचर कार्ड, जैव विविधता संरक्षण के लिए काम करेगी प्रधान की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय कमेटी
ग्राम प्रधान की अगुवाई में सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाएगा जो जैव विविधता संरक्षण के लिए काम करेगी। नेचर कार्ड के जरिए प्रति वर्ष गांव की प्राकृतिक संपदा का मिलान किया जाएगा। ताकि यह पता चल सके कि साल भर में गांव में क्या घट-क्या बढ़ा है।

बरेली, जेएनएन। ग्रामीण क्षेत्रों में जैव विविधता संरक्षण के लिए बोर्ड ने पहल शुरू की है। हर गांव का नेचर कार्ड बनाया जाएगा, जिसमें प्रकृति से जुड़ी सभी जानकारियां समाहित होंगी। साथ ही ग्राम प्रधान की अगुवाई में सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाएगा जो जैव विविधता संरक्षण के लिए काम करेगी। नेचर कार्ड के जरिए प्रति वर्ष गांव की प्राकृतिक संपदा का मिलान किया जाएगा। ताकि यह पता चल सके कि साल भर में गांव में क्या घट-क्या बढ़ा है।
भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) के सभागार में रविवार को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश जैव विविधता बोर्ड के सचिव बी-प्रभाकर ने उक्त बातें कहीं। उनके अनुसार नेचर कार्ड में गांव में रहने वाले सभी प्रकार के जीव, जन्तु, पेड़ व पौधे, पालतु जानवर, मिट्टी, फसल, सूक्ष्म जीवों व परिजीवियों का डाटा दर्ज होगा। प्रधान की अगुवाई में गठित कमेटी इनके संरक्षण का काम करेगी। सत्यापन के दौरान प्रतिवर्ष जैव विविधता में होने वाले बदलाव व इसके दूरगामी परिणामों का विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जाएगा। इससे प्राप्त आंकड़ों के अनुसार गांव में घट रहे जीव जन्तुओं व वनस्पतियों के संरक्षण के व्यापक प्रबंध किए जाएंगे।
किसानों को करेंगे जागरूक: जलवायु एवं मिट्टी की प्रकृति में हो रहे बदलाव एवं क्षरण की जानकारी नेचर कार्ड के जरिए मिलेगी। कृषि वैज्ञानिक इस बदलाव के अनुरूप किसानों को फसल चक्र में परिवर्तन करने की जानकारी देंगे। मृदा परिवर्तन के अनुसार उनको उर्वरकों का प्रयोग करने की जानकारी दी जाएगी। आवश्यकता महसूस होने पर फसलों की प्रजातियों में भी बदलाव किया जाएगा। बदलते परिवेष के अनुकूल नई व उन्नत प्रजातियां विकसित की जाएंगी।
घट रहीं प्रजातियों के संरक्षण का होगा प्रयास: नेचर कार्ड से सत्यापन के दौरान गांव में जिन प्रजातियों की संख्या कम पाई जाएगी, उनके संरक्षण का प्रयास किया जाएगा। गांव में गठित कमेटी लोगों को इससे होने वाले नुकसान से अवगत कराते हुए संबंधित प्रजाति के संरक्षण का प्रयास करेगी।
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