बरेली में उलमा ने तैयार किया मुस्लिम एजेंडा, कौंम को दी हिदायत, बोले- बर्दाश्त नहीं होगी हिंदू व मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने की राजनीति
Muslim Agenda in Bareilly उर्स ए रजवी के पहले दिन दरगाह आला हजरत स्थित इस्लामिक रिसर्च सेंटर में आल इंडिया तंजीम उलमा ए इस्लाम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए उलमा ने मुसलमानों पर विस्तार से चर्चा की।

बरेली, जेएनएन। Muslim Agenda in Bareilly : उर्स ए रजवी के पहले दिन दरगाह आला हजरत स्थित इस्लामिक रिसर्च सेंटर में आल इंडिया तंजीम उलमा ए इस्लाम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अशफाक हुसैन कादरी की अध्यक्षता में देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए उलमा ने मुसलमानों के मसाइल पर विस्तार से चर्चा की। उलमाओं ने मुसलमानों, हुकूमतों व राजनीतिक पार्टियों के कामों का जायजा लेते हुए मुस्लिम एजेंडा भी तैयार किया।
तंजीम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिम एजेंडा की विस्तृत जानकारी दी। बोले, इसमें मुसलमानों को हिदायत है कि शिक्षा, बिजनेस व परिवार पर ध्यान दें। समाज में फैल रही बुराइयों पर रोकथाम करें वर्ना भविष्य में बड़े नुकसान उठाने पड़ेंगे। मौलाना ने केंद्र और राज्य सरकारों को कड़े शब्दों में कहा कि देश की एकता और अखंडता के लिए मुसलमान हर कुर्बानी देने के लिए तैयार है, लेकिन हिंदू व मुस्लिम के दरमियान नफरत फैलाने वाली राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुसलमानों के साथ नाइंसाफी, जुल्म व जियात्ती को भी सहन नहीं किया जाएगा।
सरकारों व राजनीतिक पार्टियों को इस पर गंभीरता से काम करना होगा। मुसलमानों को अपने आचरण में बदलाव लाना होगा। बैठक में ग्रांड मुफ्ती आफ इंडिया के प्रतिनिधि केरल से मुफ्ती सादिक सकाफी, बंगाल से मौलाना मजहर इमाम, कर्नाटक से मौलाना अब्दुस्सलाम, आंध्र प्रदेश से मौलाना रिजवान, राजस्थान से मुफ्ती शाकिरूल कादरी, उत्तराखंड से मौलाना जाहिद रजा रजवी समेत देश भर के उलमाओं के साथ ही तंजीम के उपाध्यक्ष सूफी मुहम्मद हनीफ लियाकती चिश्ती, हाजी नाजिम बेग, चौधरी अनवार ऐवज, आरिफ अंसारी, खलील कादरी आदि मौजूद रहे।
मुस्लिम का़ैम को दी हिदायतें
1. 2020-2021 में मुसलमानों की शिक्षा दर कुछ हद तक बढ़ी है, लेकिन यह संतुष्टि लायक नहीं है। इसके लिए कोशिशें जारी रखी जाएं।
2. मालदार मुसलमान गरीब और कमजोरों के बच्चों की स्कूल की फीस का खर्चा उठाएं।
3. मदरसों और मस्जिदों में चलने वाले दीनी मकतबों में हिंदी, अंग्रेजी व कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करें।
4. माँ-बाप अपनी जमीन व जायदात में लड़कियों को भी हिस्सा दें।
5. जकात की सामूहिक व्यवस्था कायम की जाए। इसके माध्यम से गरीब, मिस्किन और बेसहारा लोगों की मदद की जा सके।
केंद्र सरकार व राज्य की सरकारों को हिदायत
1. देश की एकता व अखंडता पर काम करने वाली केंद्र सरकार या राज्य सरकारों के साथ हम कंधे से कंधा मिलाकर काम करने को तैयार हैं।
2. अल्पसंख्यकों के उत्थान को बनाई योजनाओं का फायदा मुसलमानों को नहीं मिल रहा, इसकी व्यवस्था में बदलाव किया जाए।
3. बेकसूर उलमा और मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारियां रोकी जाएं। इससे मुसलमानों में असुरक्षा की भावना फैल रही है।
4. लव-जिलाद, माॅब-लिंचिंग, मतांतरण, टैररफंडिंग और आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को भयभीत व परेशान न किया जाए।
5. कुछ कट्टरपंथि संगठन गांव-देहात के कमजोर मुसलमानों की लड़कियों को डरा धमकाकर और लोभ देकर शादी करा रहा है। इससे हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द को खतरा हो सकता है।
6. मुसलमानों को आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाए।
7. हुकूमत ने कुल मुस्लिम आबादी के सिर्फ एक फीसद हिस्से को प्रतिनिधित्व दिया है। सुन्नी सूफी बरेलवी मुसलमानों की केंद्र या राज्य में कही भी नुमाइंदगी नहीं है।
8. उत्तर प्रदेश के मदरसों में आधुनिक टीचरों की तनख्वाह साल भर से नहीं आई है जिससे परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
9. सरकारें सभी समुदाय को साथ लेकर चले। किसी समुदाय के साथ भेदभाव न करें।
राजनीतिक पार्टियों को हिदायत
1. राजनीतिक पार्टियां वोट लेने के लिए मुसलमानों को इस्तेमाल करती है। सरकार बना लेने के बाद भूल जाती है। उन्हें अपने तरीके बदलने होंगे।
2. मुसलमान किसी भी एक राजनीतिक पार्टी का गुलाम नहीं है।
3. जो पार्टी मुसलमानों के मसाइल और उनके अधिकारों पर ध्यान देगी, मुसलमान उसके साथ खड़ा होगा।
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