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ताजुशरिया के आखिरी सफर में उमड़ा जनसैलाब

इमाम अहमद रजा खां आला हजरत के उर्स में हर साल शहर में लाखों का मजमा इकट्ठा होता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 07:39 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 07:39 AM (IST)
ताजुशरिया के आखिरी सफर में उमड़ा जनसैलाब
ताजुशरिया के आखिरी सफर में उमड़ा जनसैलाब

जागरण संवाददाता, बरेली : इमाम अहमद रजा खां आला हजरत के उर्स में हर साल शहर में लाखों का मजमा इकट्ठा होता है। वैसा ही नजारा शनिवार को जानशीन मुफ्ती आजम ¨हद मुफ्ती अख्तर रजा खां अजहरी मियां के नमाजे जनाजा में दिखाई दिया। मैदान, सड़कें सब भरी हुई थीं। होटल, गेस्ट हाउस, स्कूल फुल थे। ताजुशरिया के आखिरी सफर में भारी जनसैलाब उमड़ा।

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शहर में उनके मुरीदों के आने का सिलसिला शुक्रवार रात से ही शुरू हो गया था। जैसे ही ताजुशरिया के निधन की खबर फैली, लोग उनके आखिरी दीदार के लिए मुहल्ला सौदागरान स्थित दरगाह आला हजरत पहुंचने लगे। पहले दिन ही इतनी भीड़ हो गई कि व्यवस्था बनाने के लिए वहां पुलिस व्यवस्था कराना पड़ी। पहले रास्तों पर वाहनों की आवाजाही रोकी गई। उससे भी व्यवस्था नहीं बनी तो आखिरी दीदार करने वालों की लाइन लगवा दी गई। इस सबके बावजूद न जाने कितने ऐसे लोग होंगे, जो ताजुशरिया के आखिरी दीदार नहीं कर सके। वह लाइन में ही लगे रह गए। वे अफसोस भी जाहिर करते दिखे। चूंकि, काफी लोग विदेश से भी आने थे, इसलिए सुपुर्द-ए-खाक का वक्त एक दिन बाद का तय किया गया। नमाजे जनाजा के लिए इस्लामिया मैदान का चयन हुआ। यह वही जगह है, जहां आला हजरत का उर्स होता है। शनिवार को जब चारों तरफ से लोग आने शुरू हुए तो लोग कहते सुने गए कि यह तादात आला हजरत के उर्स से ज्यादा है।

मुफ्ती आजम ¨हद के इंतकाल में उमड़ा था हुजूम

अब से 37 साल पहले 1981 में जब मुफ्ती आजम ¨हद मुस्तफा रजा खां का इंतकाल हुआ, तब उनकी नमाजे जनाजा में भारी भीड़ उमड़ी थी। उस समय माना गया था कि दरगाह के बुजुर्गो के इंतकाल में यह सबसे बड़ी भीड़ है। मुफ्ती आजम ¨हद के इंतकाल के बाद ही आला हजरत का उर्स भी इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान पर होना शुरू हो गया था।

दिलीप कुमार भी आए थे

मुफ्ती आजम ¨हद के विसाल (देहांत) में दिलीप कुमार भी बरेली आए थे। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी का कहना है कि दिलीप कुमार मुफ्ती आजम ¨हद के विसाल में आए थे, दरगाह पर पुराने लोग इस बात का चर्चा अक्सर करते हैं। 1981 के दौर में दिलीप कुमार की मकबूलियत उफान पर थी।


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