UP News: पीएचडी की 200 सीटों पर प्रवेश के लिए 2,800 आवेदन, लगातार बढ़ रही शोध करने वाले छात्रों की संख्या
महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन की तिथि 10 से 14 जनवरी तक निर्धारित की गई थी। 200 सीटों के सापेक्ष करीब 2800 आवेदन आ चुके हैं। अब प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया चल रही है। परीक्षा नियंत्रक संजीव कुमार ने बताया कि अब 28 जनवरी तक परीक्षा शुल्क जमा करने की तिथि तय की है।

जागरण संवाददाता, बरेली। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश के लिए 200 सीटों के सापेक्ष 2,800 आवेदन आ चुके हैं। आनलाइन आवेदन प्रक्रिया अब बंद की जा चुकी है। शोध निदेशालय प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी कर रहा है, जोकि 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच प्रस्तावित है।
रुवि को राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद (नैक) की ओर से ए प्लस प्लस ग्रेड दिए जाने के बाद शोध करने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ रही है। पहले नेट और जेआरएफ करने वाले छात्रों को शोध के लिए बिना प्रवेश परीक्षा लिए प्रवेश दिया जा चुका है। इसमें कई प्रांतों के विद्यार्थियों को मौका मिला है।
अब पीएचडी प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन की तिथि 10 से 14 जनवरी तक निर्धारित की गई थी। 200 सीटों के सापेक्ष करीब 2,800 आवेदन आ चुके हैं। अब प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया चल रही है। शोध निदेशक प्रोफेसर सुधीर कुमार ने बताया कि प्रवेश परीक्षा के लिए 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच तिथि निर्धारित की जाएगी। पीएचडी में प्रवेश के लिए नेपाल के भी कई छात्रों ने आवेदन किया है।
परीक्षा आवेदन की तिथि बढ़ाई
रुहेलखंड विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में एमए, एमकाम, एमएससी प्रथम व तृतीय सेमेस्टर के संस्थागत व बैक परीक्षा आवेदन की तिथियां बढ़ा दी गई हैं। पहले 17 जनवरी अंतिम तिथि निर्धारित थी। परीक्षा नियंत्रक संजीव कुमार ने बताया कि अब 28 जनवरी तक परीक्षा शुल्क जमा करने की तिथि तय की है। ऐसे ही एलएलबी तृतीय व पंचम विषम सेमेस्टर के संस्थागत, भूतपूर्व, बैक परीक्षा व छूटी प्रयोगात्मक परीक्षा के आवेदन तिथि 17 जनवरी से बढ़ाकर 22 जनवरी कर दी है।
निदेशालय में कोर्स वर्क के लिए जुटे शोधार्थी
शोध निदेशालय में गुरुवार को शोध वर्क के लिए कई शोधार्थी उपस्थित हुए। उनके कोर्स वर्क के लिए निर्धारित विशेषज्ञों ने जांचा और आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। इस दौरान कुछ शोधार्थियों ने आवेदन की त्रुटियां भी दूर कराईं।
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