माफिया अशरफ के गुर्गे अजहर ने कोर्ट में किया सरेंडर, नया खुलासा- जेल में चलता था अलग ही नियम
माफिया अतीक के भाई अशरफ से अवैध मुलाकात के मामले में वांछित मुहम्मद अजहर ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। पुलिस को उसकी तलाश थी। जाँच में उसका नाम सामने आया था। कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया है। जेल में अशरफ से मुलाकात का नियम अलग था, जिसमें उपहारों का लेन-देन होता था। कैंटीन संचालक दयाराम अशरफ तक पैसे पहुँचाता था।

माफिया अशरफ के गुर्गे अजहर ने कोर्ट में किया सरेंडर, नया खुलासा- जेल में चलता था अलग ही नियम
जागरण संवाददाता, बरेली। माफिया अतीक के भाई अशरफ से जेल में अवैध रूप से मुलाकात के मामले में वांछित उसके गुर्गे मुहम्मद अजहर ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। लंबे समय से बिथरी थाने की पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी। विवेचना के दौरान अजहर का नाम प्रकाश में आया था। कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया है।
वर्ष 2023 में जेल चौकी प्रभारी उप निरीक्षक अनिल कुमार ने बिथरी थाने में प्राथमिकी लिखाई थी। आरोप था कि जेल में एक ही पर्ची पर छह-सात लोगों को अशरफ से अवैध रूप से मिलवाया जाता है।
उस वक्त मामले में जांच के बाद डीजी कारागार आनंद कुमार ने जेलर राजीव मिश्रा, डिप्टी जेलर दुर्गेश सिंह, हेड वार्डन बृजवीर सिंह, वार्डर मनोज गौड़, दानिश मेहंदी और दलपत सिंह को निलंबित किया था, जबकि डिप्टी जेलर रहे कृष्ण मुरारी को नोटिस जारी हुआ और जेल अधीक्षक राजीव शुक्ला को कारण बताओ नोटिस दिया था।
इस मामले में उस वक्त पुलिस ने कई लोगों को जेल भी भेजा था। विवेचना में जगतपुर निवासी मुहम्मद अजहर का भी नाम खुला, लेकिन वह पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया। 10 अक्टूबर को उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 अक्टूबर लगी है।
जेल में मुलाकात के लिए दिए जाते थे उपहार
पुलिस के मुताबिक, जेल में अशरफ से मुलाकात का नियम अलग ही चलता था। किस गवाह और अधिकारी को धमकाना हैं, इसकी पूरी योजना जेल में ही तैयार होती थी, जिसमें प्रमुख रूप से लल्ला गद्दी व सद्दाम शामिल होता था। जेल से ही अशरफ से बात भी कराई जाती थी। इसके एवज में जेल अधिकारी कर्मचारियों को तमाम उपहार आदि दिए जाते थे।
कैंटीन संचालक के माध्यम से अशरफ तक पहुंचते थे रुपये
जेल के अंदर रुपये, बेहतर खाना आदि पहुंचाने की जिम्मेदारी कैंटीन संचालक दयाराम उर्फ नन्हें की होती थी। वह ही कैंटीन के सामान के साथ अशरफ के लिए रुपये, खाना व अन्य सामान लेकर जाया करता था। इसमें भी अधिकारियों की मिलीभगत होती थी। इसकी पुष्टि दयाराम के मोबाइल और जेल के सीसीटीवी कैमरों से भी की गई थी।
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