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    स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने संभल को बताया 'नया तीर्थ', महाकुंभ और सनातन पर क्या कहा... पढ़िये खास बातचीत

    Updated: Tue, 07 Jan 2025 06:08 PM (IST)

    कुंभ मेले में गैर सनातनियों के प्रवेश और व्यापार पर जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने अपनी राय रखी है। उनका कहना है कि महा ...और पढ़ें

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    मां गंगा में डुबकी लगाने वाला हर व्यक्ति सनातनधर्मी- स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज। (तस्वीर जागरण)

    जागरण संवाददाता, बरेली। जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज का स्पष्ट कहना है कि महाकुंभ में गैर सनातनधर्मी को किसी भी व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति कदापि नहीं मिलनी चाहिए। मां गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने वाला हर व्यक्ति सनातनधर्मी है।

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    भगवान भोलेनाथ की ओर से डमरू बजाकर स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि सभी लोग जाग जाओ। कलियुग में नया तीर्थ बनने जा रहा है संभल।

    देहरादून से प्रयागराज जा रहे महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने जागरण संवाददाता नीलेश प्रताप सिंह से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है मुख्य अंश...

    सवाल- महाकुंभ में गैर सनातनधर्मी के प्रवेश व व्यवसाय को लेकर अलग-अलग तरह की मांगें उठ रहीं, आपकी क्या प्रतिक्रिया है? 

    जवाब- महाकुंभ सनातनधर्मियों का पर्व है। यहां किसी भी गैर सनातनधर्मी को व्यावसायिक गतिविधि से प्रत्येक दशा में दूर रखा जाए। इसके अनेक कारण हैं, जो अक्सर देखने-सुनने को मिलते हैं, इसलिए मां गंगा जी की गोद में जो डुबकी लगाएगा, वही सनातनधर्मी हो सकता है। 

    सवाल- संभल के वर्तमान परिदृश्य पर क्या कहना चाहेंगे?

    जवाब- संभल कलियुग का नया तीर्थ है। शंकर जी ने वहां डमरू बजाना शुरू कर दिया है। भारत के साधु-संतों ने मुस्लिमों से अयोध्या, मथुरा व काशी ही मांगा था जिसे उन्होंने नहीं दिया। जहां भी मंदिर तोड़कर मस्जिद व अन्य निर्माण किया गया है, वहां अब मंदिर स्थापित किए जाएंगे। 

    सवाल- महाकुंभ का शुभारंभ होने जा रहा है, क्या संदेश देंगे?

    जवाब- कुंभ इस बात का प्रमाण है कि भारत की संस्कृति-परंपरा अत्यंत प्राचीन है। सृष्टि के मूल उत्पति से इसका शुभारंभ हुआ। सृष्टि की रचना कैसे होगी, क्या आधार होगा, ये सभी व्यवस्थाएं देवगुरु बृहस्पति ने बनाईं। बृहस्पति गुरु के आधार पर महाकुंभ का अद्भुत संयोग बनता है। प्राचीन काल में देश की चारों दिशाओं में होने वाले विशद संत समागम का मूलाधार कुंभ ही रहा। वहां विचार मंथन के बाद तात्कालिकता के आधार पर समाज के लिए आगामी व्यवस्थाएं बनाई जाती थीं। यही व्यवस्थाएं समाज-राष्ट्र में लागू होती थीं। आज भी कुंभ में संत समाज कुछ निर्णय लेता है जो व्यवस्था के तौर पर लागू होती है।

    सवाल- कुंभ और माता गंगा की कृपा पाने के लिए विश्व भर के लोग पहुंचते हैं, देशवासियों को क्या कहेंगे? 

    जवाब- ‘माघ मकर गति रवि जब होई, तीरथ पतिहिं आव सब कोई’- कुंभ में सभी दैवीय शक्ति, तीर्थ, ऋषि, मुनि, सिद्ध संत, महापुरुष किसी न किसी रूप में आते हैं। इसका उदाहरण प्रमुख स्नानपर्व पर जुट रहे सात से 10 करोड़ श्रद्धालुओं की संख्या है। अनेक मैनेजमेंट गुरु भी आध्यात्मिक शक्ति होने की बात मानते हैं। एक माह यहां जिसने कल्पवास कर लिया, उसने ब्रह्मांड के सभी तीर्थ कर लिए।

    सवाल- अमूमन कहा जाता है कि कल्पवास बुजुर्गों के लिए होता है, युवाओं के लिए क्या संदेश है? 

    जवाब- युवाओं, देशवासियों व धर्मावलंबियों से निवेदन है कि महाकुंभ तीर्थक्षेत्र है, यहां तीर्थ ही करें। पर्यटन के लिए दूसरे शहरों में जाएं। महाकुंभ की पवित्रता बनाए रखने के लिए सभी देशवासियों को सहयोग करना होगा। 

    सवाल- चैतन्यता क्या है?

    जवाब- ब्रह्म की ऊर्जा शक्ति के दो स्वरूप हैं। अक्षर नाद और प्रकाश। यहां सब कुछ मिट्टी का है, सभी को मिट्टी में ही मिलना है। ब्रह्म उपासना के बाद सृष्टि को प्रकाश से युक्त किया गया, जिसने सभी को जीवन आधार दिया। अक्षर नाद समस्त सृष्टि को जानने का अवसर देता है। ब्रह्मा की बनाई समस्त सृष्टि में चैतन्यता तब तक ही है जब तक प्रकाश है। नाद- सभी में चैतन्यता भरता है। प्रयाग समस्त तीर्थाें का राजा है इसलिए वह तीर्थराज है। अंत में, हम सब सो जाते हैं लेकिन यह दैनिक जागरण ही है जो हर सुबह हम सभी को जगाने का प्रयास करता है। 

    सवाल- कुंभ की व्यवस्था-प्रबंधन की हर ओर प्रशंसा हो रही, बतौर महामंडलेश्वर आपकी प्रतिक्रिया।

    जवाब- कुंभ को भव्य-दिव्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिन-रात एक कर रहे हैं, जिसके लिए उन्हें साधुवाद है। देश के इतिहास में पहली बार कोई प्रधानमंत्री सिर्फ महाकुंभ की तैयारियों को देखने प्रयागराज पहुंचा जो बताता है कि देश का प्रधानमंत्री कितना श्रद्धा व आस्थावान है।

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