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जानिए बरेली के पुराने स्टीफन चर्च की क्या है खासियत

कैंट स्थित सेंट स्टीफन चर्च इंडो-गॉथिक शैली की मिसाल है। इस चर्च की खासियत इसकी दर-ओ-दीवार बुर्ज और कंगूरे हैं। प्राचीन चर्च को इंग्लैंड के आर्किटेक्ट ने भारतीय स्थापत्य और गॉथिक शैली के संगम से बनाया था। यही वजह है कि आज भी लोग इस चर्च को देखने पहुंचते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 02:29 AM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 02:29 AM (IST)
जानिए बरेली के पुराने स्टीफन चर्च की क्या है खासियत
जानिए बरेली के पुराने स्टीफन चर्च की क्या है खासियत

बरेली, जेएनएन : कैंट स्थित सेंट स्टीफन चर्च इंडो-गॉथिक शैली की मिसाल है। इस चर्च की खासियत इसकी दर-ओ-दीवार, बुर्ज और कंगूरे हैं। प्राचीन चर्च को इंग्लैंड के आर्किटेक्ट ने भारतीय स्थापत्य और गॉथिक शैली के संगम से बनाया था। यही वजह है कि आज भी लोग इस चर्च को देखने पहुंचते हैं।

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पादरी अमन प्रसाद के मुताबिक कार्यकारी इंजीनियर कैप्टन ह्यूम ने सात जनवरी, 1861 में इस चर्च की आधारशिला रखी। इस चर्च की दीवारें पांच फीट मोटी है। एबोनी लकड़ी की कुर्सियां और खिड़कियां घनी नक्काशीदार है। संगमरमर से बने पल्पिट और बपतिस्मा फांट आज भी अपनी भव्यता से लकदक हकं। इंग्लैंड के आर्किटेक्ट ने भारतीय स्थापत्य और गॉथिक शैली के संगम से इसका निर्माण पूरा किया। प्रभु यीशु के प्रमुख शिष्य स्टीफन के नाम पर चर्च का नाम रखा गया है। तत्कालीन ब्रिटिश सेना के कैप्टन रेव डब्ल्यूजी कोवी ने 25 दिसंबर 1862 को चर्च में पहली सर्विस की। उसी दिन यहां पर पहली शादी भी हुई थी। अंग्रेजों के जमाने का पाइप आर्गन और पियानो है मौजूद

चर्च का स्वयं का इतिहास होने के साथ ही यहां पर आज भी अंग्रेजों के जमाने की धरोहर को सहेजा गया है। चर्च के प्रमुख स्थल पर आज भी 150 से अधिक वर्ष पुराना पाइप आर्गन और पियानो यहां रखा हुआ है। जिससे प्रार्थना के स्वर कभी गूंजा करते थे। यह पाइप आर्गन पूरे मंडल में अपनी तरह का अनूठा वाद्य यंत्र हैं। यही नहीं चर्च में कुल 66 कुर्सियां रखी हुई है। जबकि यहां पर एक हजार लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं। 24 को मध्यरात्रि में होगी आराधना

चर्च में क्रिसमस से पहले 19 को कैंडल लाइट सर्विस व कैरल गीत गाए जाएंगे। जबकि 24 की मध्यरात्रि को आराधना व 25 दिसंबर बड़ा दिन को विशेष आराधना की जाएगी। जिसमें विशेष रूप से कोविड गाइड लाइन का पालन किया जाएगा। पादरी ने बताया कि एक बार आराधना में केवल 100 लोग ही शामिल हो सकेंगे। कई वर्षों बाद चर्च का कराया जा रहा रंगरोगन

अंग्रेजों के जमाने में स्थापित की गई इस चर्च का रंगरोगन कई वर्षों बाद कराया जा रहा है। पादरी अमन प्रसाद ने बताया कि 25 साल से अधिक समय बाद चर्च का रंगरोगन कराया जा रहा है।


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