अलौकिक शक्तियों का केंद्र है काली देवी मंदिर
इतिहास कालीबाड़ी स्थित श्री काली देवी मंदिर अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। मंदिर के निर्माण
इतिहास
कालीबाड़ी स्थित श्री काली देवी मंदिर अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। मंदिर के निर्माण को लेकर मान्यता है कि करीब 250 वर्ष पूर्व भैरो जी के समीप गोबर से निर्मित मूर्ति का पूजन होता था। एक दिन बंगाली बाबा को मां ने स्वप्न में दर्शन देकर यहां अपनी प्रतिमा स्थापित करने को कहा। मां के आदेश के अनुपालन में बाबा यहां आए और 0भैरो जी से चंद कदम दूर काली मां के स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा कराई। तभी से काली मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। नवरात्र में पूरे दिन श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खुला रहता है।
मान्यता
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मां के दिव्य स्वरूप के दर्शन मात्र से बिगडे़ काम बन जाते हैं। श्रद्धालु यहां आकर काली मां को नारियल चढ़ाते हैं। काले धागे की गांठ बांधकर मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर उस गांठ को खोलने भी आते हैं।
वर्जन
चार पीढि़यों से मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं। मंदिर अद्वितीय शक्ति पीठ है। एक बार जो यहां आकर सच्चे मन से मुराद मांग लेता है। मइया उसकी मुराद जरूर पूरी करती हैं।
पं. ब्रजेश गौड़, पुजारी।
मइया के चरणों में आकर जीवन सफल हो गया। अब पूरे परिवार के साथ मंदिर की सेवा में लगे रहते हैं।
राजेश उर्फ गुड्डू, सेवादार
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