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    कछला घाट कहें या रुहेलखंड की ‘काशी’ Bareilly News

    By Abhishek PandeyEdited By:
    Updated: Wed, 25 Sep 2019 09:57 AM (IST)

    तीर्थ पर्यटन का भी अपना ही आनंद है। ऐसे में जब गंगा के सुरम्य तट पर लहरों की हलचल महसूस करते हुए समय को यादगार बनाना एक बेहतरीन अनुभव होता है। ...और पढ़ें

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    कछला घाट कहें या रुहेलखंड की ‘काशी’ Bareilly News

    कमलेश शर्मा ’ बदायूं : तीर्थ पर्यटन का भी अपना ही आनंद है। ऐसे में जब गंगा के सुरम्य तट पर लहरों की हलचल महसूस करते हुए समय को यादगार बनाना एक बेहतरीन अनुभव होता है। यह अनुभव आपको कछला घाट पर मिल सकता है। यहां गंगा घाट के आसपास आबादी से दूर सैकड़ों साधु-संत आराधना करते हैं। नियमित गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन स्नान पर्वो पर लाखों की भीड़ जुटती है। इसी साल जनवरी माह से यहां नियमित गंगा आरती शुरू हुई जिससे यह स्थान रुहेलखंड का काशी होने का आभास कराता है।

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    हरिद्वार की तरह विकसित होगा कछला गंगा घाट 

    हालांकि यहां ठहरने का कोई इंतजाम न होने से लोगों को थोड़ी परेशानी जरूर होती है, पर आने वाले दिनों में उम्मीद है ये दिक्कतें दूर हो जाएंगी। केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना शुरू की तो कछला गंगा घाट के सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट भी तैयार कराया गया। 45 करोड़ का प्रोजेक्ट भी मंजूर हुआ, हरिद्वार की तरह घाट को विकसित करने की बात कही गई, लेकिन कार्यदायी संस्था दिल्ली की होने के कारण अभी तक यहां धरातल पर कोई काम शुरू नहीं हो सका। नगर विकास राज्यमंत्री महेश गुप्ता का गंगा से लगाव रहा है, उन्होंने अपनी विधायक निधि से पक्का घाट का निर्माण भी कराया था। डीएम दिनेश कुमार सिंह कहते हैं कि स्थानीय लोगों के सहयोग से गंगा आरती नियमित होने लगी है। कछला को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

    घाट की 11 वेदियों पर नियमित होती है संध्या आरती

    11 वेदियों पर नियमित संध्या आरती..। काशी के विद्वानों के मुख से मंत्रोच्चारण..। घाट पर उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़। हम बात कर रहे हैं, बदायूं जिला मुख्यालय से करीब 29 किमी दूर कछला गंगा घाट पर संध्या आरती का। हर शाम यहां का नजारा काशी सरीखा लगता है। आप भी कभी फुर्सत में हों तो कर सकते हैं कछला की सैर..।

    गुरुकुल के विद्यार्थी कछला में जला रहे आरती की मशाल

    कछला स्थित गुरुकुल के विद्यार्थी गंगा आरती की मशाल जला रहे हैं। शुरूआत में काशी के विद्वानों से ही आरती कराई जा रही थी। उन्होंने गुरुकुल के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देकर पारंगत किया। अब विद्यार्थी ही नियमित गंगा आरती करने लगे हैं।

    प्रेरित कर रही घाट पर पहुंचकर जन्मदिन मनाने की परंपरा

    बीते कुछ महीनों में कछला गंगा घाट पर जन्मदिन मनाने की परंपरा शुरू की गई है। राज्यमंत्री महेश गुप्ता, डीएम दिनेश कुमार सिंह समेत कई हस्तियां गंगा घाट पर जन्मदिन मनाकर लोगों को यहां पहुंचने के लिए प्रेरित कर चुकी हैं। आरती के बाद आयोजक की ओर से शाम को भंडारा कराने की परंपरा भी चल रही है।

    कश्यप ऋषि व उनकी पत्नी इला के नाम का अपभ्रंश है कछला

    प्राचीन समय में गंगा के किनारे कश्यप ऋषि एवं उनकी पत्नी इला का आश्रम था। जनश्रुति है कि गंगा के समीप कश्यप इला ग्राम स्थापित था। उसी का अपभ्रंश कछला बन गया। अब नगर पंचायत कछला बन चुका है।

    गंगा के तट पर देश के पहले भागीरथ मंदिर की हुई स्थापना

    गंगा तट पर देश का पहला भागीरथ मंदिर बना है। गंगा भक्तों ने चंदा करके इस मंदिर का निर्माण कराया है। वर्षो से गंगा किनारे साधना और गंगा सफाई अभियान की अगुवाई करते आ रहे त्रिदंडी स्वामी से प्रेरित होकर इस मंदिर की स्थापना कराई गई। मंदिर को और भव्य कराकर तीर्थाटन के साथ पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है।

    कछला घाट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य 

    नौ कछला घाट पर रोज होती है मां गंगा की आरती 

    नमामि गंगे योजना को धरातल पर लाने की दरकार

    स्नान पर्वो पर एटा और राजस्थान से आते हैं पर्यटक

    प्रदेश में सबसे लंबा 115 किमी तक गंगा का किनारा

    घाट पर नियमित 11 वेदियों पर होती है संध्या आरती