IGRS : शिकायतों के निस्तारण में मनमानी रिपोर्ट पर चलता जन सुनवाई पोर्टल Bareilly News
जन सुनवाई पोर्टल (आइजीआरएस) पर प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में बरेली पुलिस बीते वर्ष दस बार अव्वल रही।
जेएनएन, बरेली : जन सुनवाई पोर्टल (आइजीआरएस) पर प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में बरेली पुलिस बीते वर्ष दस बार अव्वल रही। इन शिकायतों को संबंधित थाना पुलिस, सीओ व अन्य उच्चाधिकारियों को 30 दिन में हल करना होता है। शिकायतों के अत्यधिक बोझ के चलते पुलिस ने इनका फर्जी निस्तारण करना शुरू कर दिया है। यह हम नहीं बल्कि आइजीआरएस विभाग में आने वाली शिकायतें खुद बयां कर रहीं। हर माह फीडबैक के बाद दस से बारह मामले ऐसे आ रहे जिनकी दोबारा जांच करानी पड़ती है। इन शिकायतों में पीड़ित फीडबैक में जांच से संतुष्ट होने से साफ इन्कार कर देता है।
वहीं कई बार ऐसे भी मामले सामने आए जिनमें पुलिस ने ही गलत रिपोर्ट लगाकर शासन को भेज दी। दोबारा जांच होने पर मामलों का खुलासा हुआ। कई बार तो शिकायत दस से अधिक बार आती है।
हर माह आती हजारों शिकायतें: सीएम और पीएम के अलावा अन्य संदर्भो को मिलाकर हर माह करीब दो हजार से अधिक शिकायतें आती हैं। जो संबंधित थानों और अधिकारियों तक पहुंचती हैं। निस्तारण तीस दिन के भीतर करना होता है। ऐसा न होने पर यह डिफाल्टर में शामिल हो जाती है। जिससे हर माह जारी होने वाली रैंकिंग पर फर्क पड़ता है।
महिलाओं को ही गलत बता कर लगा दी रिपोर्ट
थाना हाफिजगंज क्षेत्र में एक ही मुहल्ले के कई घरों में चोरियां हुईं लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर पहुंची। लेकिन कुछ दिन बाद ही इसमें जो रिपोर्ट लगाई गई वह बेहद हास्यास्पद थी। लिखा..महिलाओं के पति घर में नहीं रहते, महिलाएं बदचलन हैं और इनके यहां पुरुषों का आना जाना लगा रहता है। चोरी जैसी घटना हुई ही नहीं। फीडबैक लिए जाने पर महिलाओं ने असंतुष्टी जताई। बाद में मुकदमा दर्ज हुआ।
मुकदमे से दो साल पहले ही दिखा दी गिरफ्तारी
2018 में दर्ज हुए मारपीट के एक मुकदमे में आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हो रही थी। पीड़ित पक्ष ने आइजीआरएस पोर्टल से शिकायत की जो देवरनिया पुलिस के पास पहुंची। मामले की जांच करने वाले दारोगा ने रिपोर्ट लगाई कि आरोपितों की गिरफ्तारी कर 2016 में जेल भेजा जा चुका है। जब फीडबैक लिया गया तो पीड़ित ने संबंधित अधिकारी से गिरफ्तारी की बात नकार दिया। दारोगा की ओर से लगाई गई यह रिपोर्ट काफी चर्चा में रही थी।
फीडबैक में पकड़ जाता है फर्जी निस्तारण का खेल
आइजीआरएस पर आने वाली शिकायत के निस्तारण के बाद इसका फीडबैक लिया जाता है। इस फीडबैक में फर्जी निस्तारण का खेल पकड़ में आ जाता है। पीड़ित या शिकायतकर्ता से जब निस्तारण के बारे में जानकारी ली जाती है तो वह बता देता है कि यह सही है या गलत। शिकायतकर्ता अगर संतुष्ट नहीं है तो दोबारा जांच कराई जाती है। हर माह 10-12 मामले ऐसे आते हैं।
शिकायतों का मानकों के हिसाब से गुणवत्तापूर्ण निस्तारण किया जाता है। हर माह हजारों शिकायतें आती हैं। फीडबैक लेने के दौरान वादी संतुष्ट नहीं होता तो उन शिकायतों की दोबारा जांच होती है। - रमेश कुमार भारतीय, एसपी क्राइम

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