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    After Ayodhya Verdict : कभी रुहेलखंड की राजधानी थी अयोध्या, ऐतिहासिक फैसले के बाद इतिहासकारों ने यादें की ताजा Bareilly News

    By Abhishek PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 11 Nov 2019 05:53 PM (IST)

    वर्ष 1764 की बात है। तब अवध की राजधानी अयोध्या हुआ करती थी और रुहेलखंड अवध का हिस्सा था। अवध पर उस दौरान नवाब शुजाउद्दौला का आधिपत्य था।

    After Ayodhya Verdict : कभी रुहेलखंड की राजधानी थी अयोध्या, ऐतिहासिक फैसले के बाद इतिहासकारों ने यादें की ताजा Bareilly News

    हिमांशु मिश्र, बरेली : वर्ष 1764 की बात है। तब अवध की राजधानी अयोध्या हुआ करती थी और रुहेलखंड अवध का हिस्सा था। अवध पर उस दौरान नवाब शुजाउद्दौला का आधिपत्य था। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया तो शहर के इतिहासकारों ने अयोध्या और रुहेलखंड की खूबसूरत यादें ताजा कर दीं।

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    रुहेलखंड विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के संस्थापक अध्यक्ष और इतिहासकार प्रो. एके सिन्हा ने रुहेलखंड और अयोध्या के बीच के रिश्तों को साझा किया। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे अयोध्या और रुहेलखंड एक हुआ और फिर अलग। प्रो. सिन्हा के मुताबिक, रुहेलखंड की स्थापना अली मुहम्मद खां ने की थी। इसकी पहली राजधानी आंवला (बरेली) थी, जो बाद में रामपुर कर दी गई।

    रुहेलखंड का इलाका हिमालय की तराई में गंगा तट से कुमाऊं की पहाड़ी तक हुआ करती थी। रुहेलों का अवध, दिल्ली और जाटों से लगातार संघर्ष होता रहता था। बाद में बाहरी आक्रांताओं का प्रवेश हुआ तो उनसे बचने के लिए रुहेलों के नेता रहमत खां ने अवध के नवाब वजीर से संधि कर लिया और बदले में 40 लाख रुपया देना स्वीकार किया।

    1773 में मराठों ने रुहेलों पर आक्रमण किया तब अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने अंग्रेजी सेना की मदद से उन्हें हराया। हालांकि बाद में रुहेलों ने अवध के नवाब को धनराशि देने से इन्कार कर दिया तो अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने ब्रिटिश सैनिक के साथ मिलकर रुहेलों पर आक्रमण कर दिया। अंग्रेजों ने उस दौरान रुहेलों को निर्वासित कर रामपुर छोड़कर बाकी रुहेलखंड का पूरा क्षेत्र अवध के नवाब शुजाउद्दौला को दे दिया गया। बाद में इलाहाबाद (प्रयागराज) को भी तत्कालीन गवर्नर वारेन हेस्टिंग्ज अवध के नवाब के सुपुर्द कर दिया।

    पहले बनारस फिर Ruhelkhand हुआ अलग

    इतिहासकार डॉ. संध्या मिश्रा बताती हैं कि अंग्रेजों ने जब अपने पैर तेजी से पसारना शुरू कर दिए तो उन्होंने राज्यों को छोटा-छोटा करना शुरू कर दिया। सबसे पहले वर्ष 1775 में अंग्रेजों ने अवध के नवाब से बनारस और फिर वर्ष 1801 में रुहेलखंड ले लिया। इस प्रकार अवध कभी बड़ा, कभी छोटा होता रहा।

    1857 की क्रांति में अंग्रेजों से जीता था Avadh

    रुहेलखंड विवि के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर विजय बहादुर यादव बताते हैं, अवध के जिलों को तोड़ते-तोड़ते 1856 में अंग्रेजों ने पूरी तरह से अवध पर कब्जा कर लिया। हालांकि एक साल बाद ही 1857 में देश में स्वतंत्रता की क्रांति का ज्वार फूट पड़ा और क्रांतिकारियों ने अवध को अंग्रेजों के हाथ से निकाल लिया। यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं रही और डेढ़ वर्ष की लड़ाई में फिर से अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया।

    अवध-आगरा से मिलकर बना Uttar Pradesh

    प्रो. सिन्हा ने बताया कि 1902 में अंग्रेजों ने आगरा और अवध के प्रांतों को मिलाकर एक नया प्रांत बनाया जिसे आगरा और अवध का संयुक्त प्रांत कहा गया। अंग्रेजी में इसे यूपी कहा जाता था जो बाद में उत्तर प्रदेश हो गया है।