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    महिला काजी बनाने का रास्ता तलाशेगा जदीद बोर्ड

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 15 Jul 2018 04:43 AM (IST)

    तलाक, हलाला और बहु-विवाह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए महिला काजी नियुक्त की जा सकती है।

    महिला काजी बनाने का रास्ता तलाशेगा जदीद बोर्ड

    जागरण संवाददाता, बरेली : तलाक, हलाला और बहु-विवाह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए महिला काजी नियुक्त की जा सकती है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जदीद) इसका रास्ता तलाशेगा। शनिवार को बोर्ड की बैठक के बाद उलमा ने कहा कि आलिमा, काजी बनकर महिलाओं को शरीयत की जानकारी दे सकती हैं। किसी आजाद ख्याल महिला को यह जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती है। बोर्ड का बयान ऐसे समय आया है, जब निदा खान और फरहत नकवी ने महिला काजी बनाने के लिए आवाज उठा रखी है। तलाक और हलाला पर देशभर में शोर मचा हुआ है।

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    बोर्ड में किए गए अहम फैसले

    बोर्ड के सदस्य मुफ्ती रईस अशरफ ने कहा कि तलाक पीड़िताओं का मुद्दा उठाने वाली फरहत नकवी मुसलमान ही नहीं है। उनका मजहब, शिया है। वह अपने यहां काजी बनाएं, चाहें जो करें, पर सुन्नी मामलों में टांग न अड़ाएं। उन्होंने राज्य मंत्री मोहसिन रजा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रजवी का नाम लेते हुए कहा कि वे मंदिर जाकर पूजा करते हैं, लिहाजा मुसलमान नहीं है। निदा के सवाल पर कहा कि कुरान-शरीयत पर शक करके वह खुद ही इस्लाम से खारिज हो चुकी हैं। अब उन्हें शरीयत पर बोलने का कोई हक नहीं है। ससुर के साथ हलाला कराने के मामले को उलमा ने सिरे से खारिज कर दिया। कहा कि सुसर के साथ निकाह ही नहीं हो सकता है तो फिर हलाला कैसे हो गया? उन्होंने कहा कि महिलाएं अपनी समस्या लेकर दारुल इफ्ता, दारुल कजा में आएं। उनकी बात सुनकर उलमा इंसाफ करेंगे। शरीयत पर पर गलतबयानी का हक किसी को नहीं है।

    भाजपा के इशारे पर बयान, शरई अदालत मंजूर नहीं

    बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 40 साल से कौम के मसले हल नहीं किए। अब चुनाव से पहले आरएसएस और भाजपा की साजिश से शरई अदालतों का मुद्दा उठाया जा रहा। यह किसी भी सूरत पर मंजूर नहीं। जदीद बोर्ड ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कदीम को रद कर दिया है। अब जदीद बोर्ड मुसलमानों की पैरवी करेगा।

    उलमा बोले, समलैंगिकता मंजूर नहीं

    उलमा ने कहा कि भारत में विदेशों की तरह समलैंगिकता को मंजूरी नहीं दी जा सकती। ऐसा हुआ तो इसे बढ़ावा मिलेगा। समलैंगिकता ¨हदू-मुस्लिम दोनों धर्मो में धार्मिक रूप से मान्य नहीं है। अदालत से अपील है कि इसे अपराध की श्रेणी में रखे।

    कौन हैं निदा और फरहत

    निदा खान आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी और फरहत नकवी मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। ये दोनों तलाक पीड़िताओं की आवाज उठती हैं। पिछले दिनों इन्होंने हलाला, बहू-विवाह पर रोक लगाने की मांग उठाई थी। निदा आला हजरत खानदान की बहू भी रही हैं।

    बोर्ड में ये रहे मौजूद

    बोर्ड की 21 सदस्यीय कार्यकारिणी में करीब दस प्रदेशों के उलमा व सदस्य शामिल हुए। इसमें मौलाना जाहिद रजा खां, सैय्यद अहमद रजा, मौलाना शहनवाज, मुफ्ती फुरकान रजा, मौलाना सनाउल्लाह, मुफ्ती याकूब, मुफ्ती मुहम्मद नाजिम, मौलाना सुहैल, मौलाना हाशिम, मौलाना इनामुद्दीन, इकराम रजा मिस्बाही, मौलाना अकील अख्तर, कारी मुहम्मद हनीफ, डॉ. नफीस खां, मुनीर इदरीसी, अफजाल बेग, नदीम खान, सलीम खान मौजूद रहे।

    यह है जदीद बोर्ड

    ऑल इंडिया पर्सनल बोर्ड की तरह नबीरे आला हजरत मौलाना तौकीर रजा खां ने जदीद बोर्ड का गठन किया है। इसके तहत मुसलमानों के अहम मसलों के अलावा शरई मामलों की पैरवी की जाती है।