IVRI: 'सिर्फ डिग्री नहीं, देश बदलने वाला जज्बा चाहिए', नवागत छात्रों को मिला शोध और नवाचार का मंत्र
बरेली में नवागत छात्रों को संबोधित करते हुए, वक्ताओं ने सिर्फ डिग्री प्राप्त करने पर नहीं, बल्कि देश को बदलने के जज्बे पर जोर दिया। छात्रों को शोध और ...और पढ़ें

IVRI ओरिएंटेशन में मौजूद नवप्रवेशित छात्र
जागरण संवाददाता, बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्था (आइवीआरआइ) ने शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए पशुधन एवं प्रौद्योगिकी विभाग से संचालित बीवीएससी एंड एनिमल हसबेंडरी, बीटेक इन बायोटेक्नालोजी और बीटेक इन डेयरी टेक्नाेलाजी में दाखिल की प्रक्रिया पूरी कर ली है। स्नातक में प्रवेश पूर्ण होने के बाद नवप्रवेशित विद्यार्थियों को उत्साहित करने और उन्हें संस्थान के नियमों के बारे में अवगत कराने आदि को लेकर ओरियंटेंशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के पूर्व महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रभावी शिक्षण तभी संभव है, जब शिक्षक और छात्र दोनों निरंतर आत्म मूल्यांकन और सुधार को तैयार रहें। उन्होंने विद्यार्थियों को केवल डिग्री और रोजगार तक सीमित न रहकर समस्या-समाधान, नवाचार और सामाजिक योगदान की सोच विकसित करने की प्रेरणा दी।
उन्होंने पशुपालन, रोग नियंत्रण, अनुवांशिकी सुधार, कृत्रिम गर्भाधान और ग्रामीण स्तर पर तकनीक के प्रभावी उपयोग जैसे क्षेत्रों में योगदान की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। डा. महापात्रा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने कक्षाओं में पढ़ाने के बाद विद्यार्थियों से व्यवस्थित फीडबैक लिया, जिससे उन्हें अपने शिक्षण तरीकों, पाठ्यक्रम सामग्री और सीखने के वातावरण में सुधार करने में मदद मिली।
निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने संस्थान के 136 वर्षों की गौरवशाली यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि संस्थान ने वैक्सीन प्रौद्योगिकी, रोग निदान, महामारी विज्ञान, रोग नियंत्रण एवं ट्रांसलेशन रिसर्च के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने ने कहा कि वर्ष 2025 की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बहुविषयक (मल्टी-डिसिप्लिनरी) पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है।
इसका उद्देश्य शिक्षा को सशक्त बनाना और उसे आधुनिक तकनीकी जरूरतों के अनुरूप विकसित करना है। उन्होंने बताया कि संस्थान में पहले ही बायो इनफार्मेटिक्स जैसे आधारभूत पाठ्यक्रम शुरू किए जा चुके हैं। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा एनालिटिक्स तथा अन्य अत्याधुनिक तकनीकी पाठ्यक्रमों को व्यावसायिक (वेक्टर) शिक्षा के साथ एकीकृत किया जा रहा है।
कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) डा. एसके मेंदिरत्ता ने कहा कि संस्थान की प्रगति और नए कीर्तिमान स्थापित करने में उनके सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने बताया कि पीजी बीवीएससी और पीएचडी कार्यक्रम अब संस्थान के प्रमुख (फ्लैगशिप) कार्यक्रम बन चुके हैं।
साथ ही, शैक्षणिक वर्ष 2025–26 से बीटेक डेयरी टेक्नोलाजी कार्यक्रम की शुरुआत 15 छात्रों की प्रवेश क्षमता के साथ की गई है, जिसे भी उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। संचालन डा. अंशुक शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक डा. सोहिनी डे, विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डा. ज्ञानेंद्र सिंह, डा. एसके साहा सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, विज्ञानी एवं छात्र उपस्थित रहे।

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