Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इज्जतनगर ने डीजल सेस से कमाए दो हजार करोड़

    By Edited By:
    Updated: Wed, 16 Apr 2014 08:48 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, बरेली: इज्जतनगर रेल मंडल ने वर्ष 2013-14 में डीजल सेस से दो हजार करोड़ रुपये की आमदनी कर 723 क्रॉसिंग में से चौदह पर सब-वे का निर्माण कराया। इसके साथ ही 32 मानव रहित क्रॉसिंग को बंद करने के साथ ही 13 को रक्षित कर गेट मैन तैनात किया। यह बात इज्जतनगर रेल मंडल के डीआरएम चंद्र मोहन जिंदल ने रेलवे के 161 साल का सफर पूरा करने पर बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कही।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने कहा कि रेलवे डीजल खरीद पर मिलने वाले एक फीसदी टैक्स (सेस) की रकम से आरओबी निर्माण और क्रॉसिंग बंद करने का काम होता है, लेकिन मंडल की सभी क्रॉसिंग को बंद करने पर पचास हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसलिए सेस बढ़ाने पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। रेल मंडल की ट्रेनों में 08.51 करोड़ यात्रियों ने सफर किया है। इससे 207.31 करोड़ रुपये की आमदनी हुई, जबकि पिछले साल 08.03 लाख यात्रियों के सफर करने से 155.98 करोड़ रुपये की कमाई की। बताया कि टिकट खरीद के लिए 43 जन साधारण टिकट केंद्र खोलेने, ब्राडगेज की 608 और मीटरगेज की 831 स्पेशल ट्रेन चलाने, ब्राडगेज में 403 एवं मीटरगेज ट्रेनों में 459 अतिरिक्त कोच लगाए जाएंगे। इस मौके पर सीएमएस डा.एमपी रावल, सीनियर डीसीएम आशीष भाटिया समेत तमाम प्रमुख अफसर मौजूद थे।

    ----

    मालभाड़े से कमाए 87 करोड़

    रेल मंडल ने मालभाड़े से 87.51 करोड़ रुपये की आमदनी की। इसके साथ ही पार्सल, टिकट जांच एवं कोचिंग से 14.82 करोड़ कमाएं, जबकि पिछले वर्ष 13.30 करोड़ रुपये की आय थे।

    बेटिकट यात्रियों से वसूले डेढ़ लाख

    इज्जतनगर रेल मंडल की ट्रेनों में 156937 लोग मुफ्त सफर करने के दौरान पकड़े गए। इनमें 20568 लोग बिना बुकिंग के माल ले जा रहे थे।

    क्या है लक्ष्य

    बरेली-कासगंज ब्रॉडगेज पर ट्रेनों के संचालन का लक्ष्य है। इसके साथ ही शहामतगंज-सीबीगंज में खाली पड़ी भूमि पर रेल लाइन डेवलप अथॉरिटी से शॉपिंग मॉल का निर्माण, सीबीगंज में डेमू मेंटीनेंस वर्कशॉप का निर्माण आदि लक्ष्य हैं।

    यह है रेलवे का इतिहास

    दुनिया में सबसे पहले इंग्लैंड में 1843 में ट्रेन चली थी। इसके मात्र दस साल बाद भारत में सोलह अप्रैल 1853 को मुंबई के थाणे से चौतीस किमी लंबे टै्रक पर ट्रेन चलाई गई। उस समय भारत में कोई मोटर वाहन नहीं था। मगर वर्तमान में चौंसठ हजार किमी लंबा रेल लाइन नेटवर्क है।