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    Shortage of Remdesivir Injection : रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल रहा है तो घबराए नहीं, डेक्सामेथासोन टेबलेट या इंजेक्शन भी कोरोना के इलाज में है कारगार

    Shortage of Remdesivir Injection कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच रेमडेसिविर की मांग अचानक बढ़ गई। हालात यह हो गए कि रेमडेसिवसिर की कालाबाजारी शुरू हो गई ओर यह इंजेक्शन 10 से 50 हजार रुपये तक का बिकने लगा।लेकिन यह इंजेक्शन कोई रामबाण नहीं है।

    By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Thu, 29 Apr 2021 03:09 PM (IST)
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    कोविड अस्पतालों डेक्सामेथासोन का भी किया जा रहा इस्तेमाल, बाजार में बढ़ी मांग।

    बरेली, जेएनएन। Shortage of Remdesivir Injection : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच रेमडेसिविर की मांग अचानक बढ़ गई। हालात यह हो गए कि रेमडेसिवसिर की कालाबाजारी शुरू हो गई ओर यह इंजेक्शन 10 से 50 हजार रुपये तक का बिकने लगा।लेकिन यह इंजेक्शन कोई रामबाण नहीं है। हालांकि अभी भी इसकी मांग बनी हुई और डॉक्टर भी इसे इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन बता दें कि अगर सही समय पर अस्पताल पहुंच जाते हैं तो चिकित्सकों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे दस रुपये के डेक्सामेथासोन ही संक्रमण से आपको दूर करने में कामयाब साबित होगा।

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    कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद अप्रैल के इन 28 दिनों में तकरीबन 14 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से अब तक करीब तीन से चार हजार लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं। इनमें एक हजार से ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती थे। चिकित्सक बताते हैं कि अस्पताल में भर्ती होने वाले दो तरह के लोग होते हैं एक जिनका ऑक्सीजन लेवल लगातार कम हो रहा होता है और दूसरे जिनके फेफड़ों में संक्रमण असर करता हुआ उन्हें डैमेज करता है। इसके लिए मरीजों को ऑक्सीजन के साथ डेक्सामेथॉसोन दिया जा रहा है।

    यह संक्रमित के फेफड़ों में वायरस के फैलाव और वायरल लोड को कम करने का काम करता है। रेमडेसिविर भी वायरल लोड कम करता है। बीते कुछ दिनों से डेक्सामेथॉसोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसके चलते बाजार में इसकी टेबलेट और इंजेक्शन दोनों की मांग भी तेजी से बढ़ी है। शहर के कई कोविड अस्पतालों ने इनकी बड़ी संख्या में खरीद की है।

    क्या कहते हैं जानकार

    तीन सौ बेड कोविड अस्पताल के सीएमएस डा. वागीश वैश्य ने बताया कि रेमडेसिविर की अनुपलब्धता होने के चलते डेक्सामेथॉसोन का ही विकल्प बचता है। डेक्सामेथासोन इंजेक्शन और टेबलेट दोनों ही असरकारक है। यह वायरल लोड और संक्रमण के फैलाव का रोकती है। यह फेफड़ों को सुरक्षित करने का भी काम करती है। कई संक्रमितों डेक्सामेथॉसोन से ही ठीक हुए हैं। 

    केमिस्ट दुर्गेश खटवानी ने बताया कि बीते करीब 15 दिनों से डेक्सामेथॉसोन की मांग तेजी से बढ़ी है। अस्पतालों ने बड़ी संख्या में इसकी डिमांड शुरू की है। डॉक्टर भी मरीजों को डेक्सामेथॉसोन की टेबलेट लिख रहे हैं। इसका इंजेक्शन दस रुपये का जबकि टेबलेट छह रुपये में तीस हैं। रेमडेसिविर की जगह इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है जो कारगर भी साबित हो रहा है।