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    हल्के में न लें लो बॉडी टेम्परेचर, सर्दियों में बढ़ जाता है हाइपोथर्मिया का खतरा; तुरंत हो जाएं सावधान

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 08:07 PM (IST)

    बरेली में सर्दी बढ़ने के साथ ही हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ गया है, जो बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित करता है। स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, बरेली। सर्दी बढ़ने के साथ ही हाइपोथर्मिया जो खासकर बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित करती है, उससे शुरू होने का खतरा पैदा हो रहा है। इसमें मरीज के शरीर का तापमान अचानक नीचे आ जाता है।

    यह दिक्कत अगर ज्यादा दिनों तक रहे तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है । साथ ही लोगों को सतर्क करने के लिए एडवाइजरी को भी जारी कर दिया गया है।

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    अत्यधिक सर्दी के संपर्क में आने पर, शरीर जितनी तेज़ी से गर्मी पैदा कर सकता है, उससे ज्यादा तेजी से ठंडा भी पड़ने लगता है। इसके परिणामस्वरूप हाइपोथर्मिया हो सकता है। यह एक जानलेवा स्थिति है, जो शरीर की तापमान बनाए रखने की क्षमता को प्रभावित करती है। जबकि कंपकंपी कम तापमान के लिए एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया की तरह लग सकती है, हाइपोथर्मिया उससे कहीं ज़्यादा है।

    जिला अस्पताल में एडी एसआइसी व वरिष्ठ फिजिशियन डा. अजय मोहन अग्रवाल ने बताया कि यह महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकता है, शारीरिक कार्यों को धीमा कर सकता है और अगर इलाज न किया जाए, तो गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती है।

    उन्होंने बताया कि जब शरीर का आंतरिक तापमान 95 डिग्री फ़ारेनहाइट से नीचे चला जाता है तो शरीर सामान्य रूप से एक स्थिर आंतरिक तापमान बनाए रखने के लिए काम करता है, लेकिन अत्यधिक ठंड के संपर्क में आने से यह उत्पन्न होने की तुलना में तेज़ी से गर्मी खो सकता है।

    तापमान में यह गिरावट मस्तिष्क, हृदय और मांसपेशियों जैसे महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करती है, जिससे शारीरिक कार्य धीमा हो जाता है। हाइपोथर्मिया को तीन वर्गों में बांटा गया है। इसमें पहला सामान्य, दूसरा मध्यम और तीसरा गंभीर।

    इसके आधार पर इलाज होता है। इसमें जरा सी चूक मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इधर स्वास्थ्य विभाग ने कोल्ड वेव को देखते हुए लोगों को सतर्क करने के लिए एडवाइजरी जारी कर दी गई है। इसमें बताया गया है कि किस तरह से इस बीमारी की चपेट में आने से खुद को रोक सकते हैं।

    शासन को भेजे जा रहे केस, निमोनिया और विंटर डायरिया के भी आ रहे मरीज

    सर्द हवाओं के चलने के दौरान हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसे देखते हुए शासन को इसके केस की संख्या भेजी जा रही है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी यह संख्या शून्य है। यानि अब तक इसकी चपेट में कोई आया है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. संदीप गुप्ता ने बताया कि सर्दी बढ़ने के साथ निमोनिया और डायरिया का खतरा बढ़ जा रहा है। इसकी चपेट में आने की ज्यादा आशंका बुजुर्ग और बच्चों में होती है।

    स्वास्थ्य विभाग ने इन बातों को लेकर किया सतर्क

    • कंपकंपी : कंपकंपी शरीर की गर्मी उत्पन्न करने की प्राकृतिक प्रतिक्रिया है, लेकिन हाइपोथर्मिया के बिगड़ने पर यह बंद हो सकती है।
    • ठंडी और पीली त्वचा : स्पर्श करने पर त्वचा ठंडी महसूस हो सकती है और पीली या नीली दिखाई दे सकती है।
    • अस्पष्ट वाणी : मस्तिष्क कार्य धीमे हो जाने के कारण आवाज वाणी धीमी, अस्पष्ट या समझने में कठिन हो सकती है।
    • कठिन लगते काम :गतिविधियां अस्थिर हो सकती हैं, तथा कोट के बटन लगाने जैसे सरल कार्य भी कठिन हो सकते हैं।
    • थकान : व्यक्ति को असामान्य रूप से थकान या सुस्ती महसूस हो सकती है, जिससे बेहोशी हो सकती है।

    इन वजह से होता हाइपोथर्मिया

    • पर्याप्त गर्म कपड़ों या आश्रय के बिना अत्यधिक कम तापमान में लंबे समय तक बाहर रहना।
    • ठंडे पानी में डूबने से शरीर की गर्मी 25 गुणा तेजी से कम होती है।
    • ठंड के मौसम में हल्के या गीले कपड़े पहनने से शरीर अपनी क्षमता से अधिक गर्मी खो सकता है।
    • ठंडी हवाएं शरीर की गर्मी को छीन लेती हैं, विशेष रूप से चेहरे जैसे खुले क्षेत्रों से, जिससे शरीर तेजी से ठंडा हो जाता है।